Sunday, 25 April 2021

भिक्षुक


भिक्षुक
कवि - सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

1. वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
पेट-पीठ दोनों मिलकर है एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को - भूख मिटाने को
मुँह फटी-पुरानी झोली को फैलता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता

प्रश्न – 1 ‘दो टूक कलेजे के करता’ - से कवि का क्या आशय है ?

उत्तर – हिंदी के निराले कवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी द्वारा रचित उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि एक भिक्षुक हृदय से दुखी होता हुआ पश्चताप करता हुआ सड़क पर आ रहा है, वह लोगों से कुछ खाने के लिए माँगता है परंतु उसे बदले में केवल अपमान और फटकार ही मिलती है। इसलिए उसका हृदय टूट जाता है।

प्रश्न – 2 ‘पेट-पीठ दोनों मिलकर है एक’ - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ?

उत्तर – ‘पेट-पीठ दोनों मिलकर है एक’ - पंक्ति का आशय यह है कि एक दुखी भिक्षुक काफी दिनों से भूखा है। उसे कुछ भी खाने के लिए प्राप्त नहीं हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उसका पेट और पीठ मिलकर एक हो गए है। लोगों से भीख माँगने पर भी उसे केवल अपमान और दुख ही प्राप्त होता है।

प्रश्न - 3 उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर भिक्षुक की दयनीय दशा का वर्णन कीजिए।

उत्तर – उपरोक्त पंक्तियों में महाकवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी ने एक असहाय भिक्षुक की दयनीय दशा का चित्रण करते हुए कहा है कि वह हृदय से दुखी होता हुआ और अपने भाग्य पर पछताता हुआ लाठी के सहारे सड़क पर आ रहा है। वह कई दिनों से भूखा है जिस कारण उसका पेट और पीठ मिल गए हैं,परंतु उसकी दयनीय दशा का निवारण करने वाला कोई नहीं। वह मुट्ठी भर दाने पाने के लिए बड़ी उम्मीद से अपनी झोली फैला रहा है।

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी ने लोगों की दयाहीनता की भावना को प्रदर्शित किया है। एक भिक्षुक जो कई दिनों से भूखा प्रतीत होता हैं और जिस कारण उसका पेट और पीठ एक हो गए हैं, लाठी के सहारे सड़क पर आ रहा है और झोली फैलाकर लोगों से मुट्ठी भर दाने की गुहार लगा रहा है लेकिन लोगों में दयाहीनता होने के कारण उसे भूखा रहना पड़ता है।


2. साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
 बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
 और दाहिना दया-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाएं।
 भूख से सुख ओंठ जब जाते,
 दाता-भाग्य, विधाता से क्या पाते?
 घूँट आँसुओं का पीकर रह जाते।

प्रश्न – 1 भिक्षुक के साथ कौन है? वे क्या कर रहे हैं तथा क्यों? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – भिक्षुक के साथ दो बच्चे भी हैं। अपनी भूख प्रदर्शित करने के लिए और लोगों का ध्यान केंद्रित करने के लिए वे अपने बाएँ हाथ से अपना पेट मिल रहे हैं और दाहिने हाथ से लोगों से कुछ सहायता करने की प्रार्थना कर रहे हैं।

प्रश्न – 2 ‘दाता-भाग्य-विधाता’ ने कवि का संकेत किन की ओर है? कौन किन से क्या प्राप्त नहीं कर पाते ?

उत्तर – दाता-भाग्य विधाता से कवि का संकेत उन लोगों की ओर है जो उनको भोजन देने के लिए समर्थ हैं, परंतु दयाहीनता के अभाव में वे उन्हें असहाय छोड़ देते हैं। भिक्षुक के दोनों बच्चे आने वाले लोगों से कुछ भी खाने के लिए प्राप्त नहीं कर पाते।

प्रश्न – 3 ‘घूँट आँसुओं का पीकर रह जाते’ - मुहावरे का प्रयोग कवि ने किस संदर्भ में किया है? 

उत्तर – जब बच्चे और भिक्षुक लोगों के सामने हाथ फैलाते हैं, तब लोगों द्वारा कुछ न प्राप्त करने के कारण एवं भूखे रहने के कारण उनके होंठ सूख जाते हैं। वही अपमान और दुख के कारण वे आँसुओ का घूँट पीकर रह जाते हैं अर्थात अपना मन मसोसकर रह जाते हैं।

 प्रश्न – 4 भिक्षुक के बच्चों की दयनीय दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर – भिक्षुक के बच्चे अपने हाथ फैलाकर लोगों से भिक्षा माँग रहे हैं। बच्चे अपने बाएँ हाथ से अपना पेट मल रहे हैं और दाहिने हाथ से लोगों से कुछ दया, सहायता करने की प्रार्थना कर रहे हैं। वे इतने भूखे हैं कि उनके होंठ सूख चुके हैं। लोगों से अपमान और दुख के अतिरिक्त उन्हें कुछ भी प्राप्त नहीं होता।

3. चाट रहे जूठी पत्तल वे, कभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए।
 ठहरो, अहो। मेरे हृदय में है अमृत, मैं सींच दूँगा।
 अभिमन्यु-जैसे हो सकोगे तुम,
 तुम्हारे दुख में मैं अपने हृदय को खींच लूँगा।

प्रश्न – 1 भिक्षुक तथा उसके बच्चे क्या करने के लिए विवश है और क्यों?

उत्तर – कई दिनों से भूखे रहने के कारण भिक्षुक तथा उसके बच्चे जूठी पत्तल चाटने को विवश हैं। अनेक प्रयासों व प्रार्थनाओं के बाद भी भिक्षुक व बच्चों को आसपास के लोगों से कुछ भी प्राप्त नहीं हो पाता, इसलिए वे सड़क पर जूठी पत्तलों का बचा हुआ थोड़ा-सा भोजन चाट-चाटकर वे अपनी भूख मिटाने का प्रयत्न कर रहे हैं।

प्रश्न – 2 ‘और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए’ - पंक्ति द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहता है?

उत्तर – भिक्षुक व उसके बच्चे कई दिनों से भूखे हैं और किसी से भी कोई सहायता नहीं मिलने के कारण वे सड़क पर झूठी पत्तलों पर बचा-खुचा थोड़ा-सा भोजन चाट-चाट कर अपनी भूख मिटाने का प्रयत्न कर रहे हैं लेकिन उसके लिए भी उन्हें कुत्तों से संघर्ष करना पड़ रहा है। अतः निराला जी यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि भिक्षुक व उसके बच्चों की दशा पशुओं से भी हीन है।

प्रश्न – 3 भिक्षुक कविता में कवि ने समाज को किस बात के लिए फटकारा है?

उत्तर – भिक्षुक कविता में कवि ने समाज के समर्थ वर्ग के लोगों को फटकारा है जो समर्थ होते हुए भी भीख नहीं देते हैं और उन्हें अपमान करके भगा देते हैं। इसी दयाहीनता के कारण वह व्यक्ति भूखा मर जाता है। इसी बात के लिए निराला जी ने ऐसे दयाहीन समाज को फटकारा है।

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने ‘अभिमन्यु’ शब्द का प्रयोग किस लिए किया है?

उत्तर – कवि ने ‘अभिमन्यु’ शब्द का प्रयोग भिक्षुक को प्रेरित करने के लिए किया है ताकि वे अभिमन्यु के समान संघर्ष कर सके। जिस प्रकार अभिमन्यु अकेले ही युद्ध में चक्रव्यूह भेदने के लिए गया था पर अंत में वह लौटते समय सात महारथियों के एक साथ प्रहार से मर गया था और मरने के बाद भी अपनी वीरता के कारण हमेशा के लिए अमर हो गया। इसी तरह की कल्पना कवि भिक्षुक के लिए भी करते हैं।

गिरिधर की कुंडलियाँ

गिरिधर की कुंडलिया वीडियो लेक्चर - 1 गिरिधर की कुंडलिया वीडियो लेक्चर - 2 गिरिधर की कुंडलियाँ - गिरिधर  कवि राय  निम्नलिखित पंक्...