Thursday, 7 April 2022

भीड़ में खोया आदमी

भीड़ में खोया आदमी
लेखक – लीलाधर शर्मा पर्वतीय

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

1. ‘उम्र में मुझ से छोटे हैं, पर अपने घर में बच्चों की फौज खड़ी कर ली है।'

क – उम्र में कौन, किससे छोटा है? दोनों का नाम बताएँ और आपस में दोनों का क्या संबंध है?

उत्तर – प्रस्तुत वाक्य लेखक द्वारा उनके अभिन्न मित्र के लिए कहा गया है। उम्र में लेखक लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी अपने मित्र बाबू श्यामलाकांत से छोटे हैं।

ख – किसने घर में बच्चे की फौज खड़ी कर ली है? उसकी चरित्रगत विशेषताएँ लिखें।

उत्तर – लेखक के मित्र बाबू श्यामलाकांत जी ने अपने घर में बच्चों की फौज खड़ी कर ली है। बाबू श्यामलाकांत बड़े सीधे-सादे, परिश्रमी, ईमानदार किन्तु निजी जीवन में बड़े लापरवाह व्यक्ति थे।

ग – बच्चों की फौज से क्या तात्पर्य है? उन्हें वह परिवार ‘बच्चों की फौज’ क्यों लगता है ?

उत्तर – बच्चों की फौज तात्पर्य छोटे से मकान में बच्चों की अधिक संख्या होने से है। श्यामलाकांत की बड़ी बेटी की शादी थी। उनका एक बेटा पढ़ाई पूरी करके नौकरी की तलाश में भटक रहा था। एक लड़का घर के कामकाज में मदद करता है। उनकी तीन छोटी लड़कियाँ और दो छोटे लड़के थे। इसलिए लेखक को श्यामलाकांत का परिवार बच्चों की फौज जैसा प्रतीत हुआ।

घ – क्या उसका परिवार एक सुखी परिवार है? कैसे?

उत्तर – नहीं, उनका परिवार एक सुखी परिवार नहीं था क्योंकि इतने बड़े परिवार में रहन-सहन व खान-पान की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। हर दिन कोई न कोई बीमार रहता था। घर में कोई भी काम ढंग से नहीं हो पाता था। कोई न कोई परेशानी उन्हें घेरे रहती थी।

2. भाई, नाम तो तुम्हारा लिख देता हूँ पर जल्दी नौकरी पाने की कोई आशा मत करना।

क – यह पंक्ति कौन, किसके लिए कह रहा है वह क्यों कह रहा है ?

उत्तर – श्यामलाकांत बाबू का बड़ा लड़का दीनानाथ रोजगार कार्यालय में जब नौकरी पाने के लिए अपना नाम लिखवाने गया था तब वहाँ उपस्थित अधिकारी ने उसका नाम तो लिख दिया परंतु साथ ही में कह भी दिया कि वह जल्दी नौकरी पाने की कोई आशा न रखें क्योंकि उसकी योग्यता वाले हज़ारों लोग पहले ही कतार में थे ।

ख - उसे नौकरी खोजते कितने वर्ष हो गए? उसे नौकरी क्यों नहीं मिल रही ?

उत्तर – उसे नौकरी खोजते हुए दो वर्ष हो गए थे। बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ती है क्योंकि नौकरी के एक पद के लिए सामान्य योग्यता के अनेक उम्मीदवार आवेदन देते हैं।

ग – इस पंक्ति में लेखक ने देश की किस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है और कैसे?

उत्तर – इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने बड़ी उत्कृष्टता से देश में बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उत्पन्न बेरोजगारी की समस्या की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया है। श्यामलाताल का बड़ा पुत्र दीनानाथ जब रोजगार कार्यालय में नौकरी के लिए गया तो वहाँ उपस्थित अधिकारी ने उससे कह दिया कि उसकी योग्यता के हजारों उम्मीदवार पहले ही कतार में है इसलिए वह जल्दी नौकरी की कामना न करें।

घ - इस समस्या के समाधान के लिए कोई दो बिंदु लिखें।

उत्तर – इस समस्या का कारण जनसंख्या विस्फोट है। अतः इस समस्या के समाधान के लिए दो बिंदु निम्नलिखित हैं –
• परिवार नियोजन की शिक्षा प्रत्येक नागरिक को दी जाए।
• जनसंख्या विस्फोट को रोका जाए तथा नियंत्रित किया जाए।

3. ‘क्या तुम्हारे पास यही दो कमरे हैं?’

क – यह पंक्ति किसने, किससे कहीं और क्यों कहीं

उत्तर – लेखक बाबू श्यामलाकांत की बेटी की शादी में शामिल होने उनके घर गए थे। लेखक ने वहाँ बच्चों की भीड़ देखी, जिसके हिसाब से दो कमरों का घर बहुत छोटा था। इसलिए लेखक ने श्यामलाकांत से यह प्रश्न किया।

ख – इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कौन - सी परेशानी बताई?

उत्तर – उन्होंने बताया कि वह दो वर्ष से मकान की तलाश में भटक रहे हैं। शहर में चक्कर काट-काट कर उनके जूते घिस गए थे तब बड़ी मुश्किल से उन्हें मकान के नाम पर सिर छिपाने के लिए गली के अंदर एक छत मिली है।

ग – उन कमरों में कितने लोग रहते हैं? उनका विवरण दें ।

उत्तर – उन कमरों में श्यामला काम उसकी पत्नी व उनके आठ बच्चे रहते थे। इतने बड़े परिवार के लिए दो कमरे बहुत कम थे। श्यामला कांत का बड़ा लड़का दीनानाथ दो वर्षो से नौकरी की तलाश कर रहा था, दूसरा बेटा सुमंत घर के छोटे-मोटे काम काज देखा करता था, एक बेटी की शादी होने वाली थी बाकी और तीन छोटी लड़कियाँ और दो छोटे लड़के थे।

घ - इस पंक्ति में किस समस्या की ओर संकेत किया गया है?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में लेखक ने बढ़ती जनसंख्या के कारण आवास की समस्या की ओर संकेत किया है। शहर पहले की तुलना में कई गुना फैल चुके हैं, दूर-दूर तक नई कालोनी बन गई है, फिर भी बहुत से लोग मकानों के लिए भटक रहे हैं।

4. ‘कब से अस्वस्थ हैं? डॉक्टर को दिखा कर इलाज नहीं करा रही हैं क्या?’

क – यह पंक्ति किसने, किससे कही और क्यों कही?

उत्तर – प्रस्तुत वाक्यांश लेखक ने श्यामलाकांत की पत्नी से कहा। जब श्यामला जी की पत्नी जलपान लेकर आई तब उनके पीछे तीन छोटी लड़कियाँ और पल्ला पकड़े दो लड़के थे। लेखक उनकी दुर्बल काया और पीला चेहरा देखकर स्तब्ध रह गय। इसलिए उसने यह बात श्यामला जी की पत्नी से कही।

ख – इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने किस परेशानी का उल्लेख किया?

उत्तर – इस प्रश्न के उत्तर में श्यामलाकांत जी की पत्नी ने बताया कि इतने बड़े परिवार में रोज कोई न कोई बीमार रहता ही है। अस्पताल में भी रोगी व उनके संबंधी डॉक्टर को मधुमक्खी के छत्ते की तरह घेरे रहते हैं,जिस कारण डॉक्टर अच्छी तरह देख नहीं पाते। ऐसा लगता है मानो जैसे पूरा शहर अस्पताल में उमड़ आया हो।

ग – व्यक्ति बीमार किन कारणों से होता है? कोई दो कारण बताएँ। इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

उत्तर – उचित आहार की कमी के कारण व्यक्ति की बीमारियों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। कुपोषण बीमारियों का कारण होता है।
दूषित वातावरण व गंदगी भी बीमारी के कीटाणुओं को बढ़ाते हैं। इसलिए स्वस्थ रहने के लिए पौष्टिक आहार और स्वच्छ वातावरण अति आवश्यक है।

घ – बीमारियों से बचने के कोई दो उपाय बताएँ।

उत्तर – बीमारियों से बचने के लिए हमें गंदगी और दूषित वातावरण से बचना चाहिए। आहार में पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में शामिल करने चाहिए। नियमित योग तथा व्यायाम करना चाहिए।

5. ‘मुझे अपने मित्र श्यामलाकांत को अब इस भीड़ का रहस्य बताने की आवश्यकता नहीं है।'

क – ‘मुझे’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? उन्हें अपने मित्र को किस भीड़ का रहस्य बताने की आवश्यकता नहीं है और क्यों?

उत्तर – लेखक लीलाधर शर्मा पर्वतीय जी के लिए ‘मुझे’ शब्द का प्रयोग किया गया है। उन्हें अपने मित्र को भीड़ का रहस्य बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि श्यामलाकांत स्वयं इतने बड़े परिवार के कारण इन समस्याओं को झेल रहे थे।

ख – श्यामलाकांत को अपने घर में भीड़ के कारण किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?

उत्तर – श्यामलाकांत को अपने घर में भीड़ के कारण बच्चों के पालन-पोषण की, रहन-सहन क, शिक्षा-दीक्षा की समस्याएँ झेल रहे थे। गंदे तथा संकीर्ण मकानों में दूषित वातावरण के कारण घर में कोई न कोई बीमार रहता ही था।

ग – ‘भीड़’ शब्द से देश की किस समस्या की ओर संकेत किया गया है? इस समस्या के कारण किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है?

उत्तर – ‘भीड़’ शब्द देश में बढ़ती हुई अनियंत्रित जनसंख्या की ओर संकेत करता है। इस समस्या के कारण हमारे देश में रोजगार संबंधी समस्याएँ, चिकित्सा संबंधी समस्याएँ, आवासीय समस्याएँ, यातायात संबंधी समस्याएँ व पालन -पोषण संबंधी अनेक समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।

घ – ‘भीड़’ से पैदा होने वाली समस्याओं से किस प्रकार छुटकारा मिल सकता है?

उत्तर – भीड़ अथवा बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए लोगों को सामाजिक रूप से जागरूक करना अति आवश्यक है। लोगों को इस बात की परिवार नियोजन की शिक्षा देनी चाहिए कि छोटा परिवार ही सुखी परिवार होता है। लोगों को अपनी आय तथा साधनों के अनुरूप ही परिवार को नियोजित करना चाहिए।

Wednesday, 6 April 2022

बात अठन्नी की

बाजार के बाद गुपचुप रूप से अब बैंकों ने भी अठन्नी को नकारा

बात अठन्नी की
सुदर्शन

“अगर तुम्हें कोई ज्यादा दे, तो अवश्य चले जाओ । मैं तनख्वाह नहीं बनाऊंगा।''

I. वक्ता कौन है ? उसका परिचय दीजिए। उसने उपयुक्त वाक्य किस संदर्भ में कहा है?
 उत्तर - वक्ता  बाबू जगत सिंह है। वह बहुत रिश्वत लेते थे और रसीला को बहुत कम तनख्वाह देते थे। जब रसीला ने तनख्वाह को बढ़ाने की बात कही तो उन्होंने तनख्वाह बढ़ाने से मना कर दिया और कहा कि अगर कोई तुम्हें दस रुपए से ज्यादा तनख्वाह दे, तो चले जाओ। इस बात से यह पता चलता है कि वह कितने कठोर हृदय के व्यक्ति हैं।

II. श्रोता कौन है ? उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना क्यों की?
उत्तर - श्रोता रसीला है, जिसकी तनख्वाह दस रुपए है। उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना इसलिए की क्योंकि उसके गांव में बूढ़े पिता पत्नी एक लड़की और दो लड़के थे इन सब का भार उसी के कंधों पर था वह सारी तनख्वाह घर भेज देता पर घर वालों का गुजारा ना चल पाता था।

III. वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी क्यों नहीं छोड़ना चाहता था ?
उत्तर - वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि वह वहां इतने सालों से है लेकिन उस पर कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यदि वह कहीं और चला भी जाए तो शायद कोई ग्यारह - बारह दे दे, पर ऐसा आदर न मिलेगा।

IV. रसीला को रुपयों की आवश्यकता क्यों थी? उसकी सहायता किसने की? सहायता करने वाले के संबंध में उसके क्या विचार किया?
उत्तर - रसीला को रुपयों की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि उसके घर से खत आया था कि उसके बच्चे बीमार है और उनके पास पैसे नहीं है। उसकी सहायता रमज़ान ने की। रमजान के संबंध में रसीला के विचार थे कि गरीब होकर भी उसने मेरी सहायता की, वह आदमी नहीं, देवता है। ईश्वर उसका भला करें।

“बाबू साहब की मैंने इतनी सेवा की, पर दुख में उन्होंने साथ नहीं दिया।"

I. बाबू साहब कौन थे? उनका परिचय दीजिए।
उत्तर - बाबू साहब इंजीनियर जगतसिंह थे। वे बहुत भ्रष्ट और निर्दयी थे। रसीला उनके यहां कई सालो से नौकर था। जब रसीला अपना वेतन बढ़ाने की बात कहता तो वह नहीं मानते थे। एक दिन उन्होंने रसीला को उसकी छोटी - सी चोरी के लिए जेल पहुंचा दिया, लेकिन खुद रोजाना हज़ार – पांच सौ  की रिश्वत लेते थे।

II. वक्ता को कितना वेतन मिलता था? उसमें उसका गुजारा क्यों नहीं हो पाता था?
उत्तर - वक्ता रसीला था। उसको दस रुपए वेतन मिलता था लेकिन उसका गुजारा दस रूप में नहीं हो पाता था क्योंकि गांव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे। इन सब का भार उसी के कंधों पर था।

III. बाबू साहब द्वारा वक्ता का वेतन ने बढ़ाए जाने पर भी वह कहीं और नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था ?
उत्तर - वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि वह वहां इतने सालों से है लेकिन उस पर कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यदि वह कहीं और चला भी जाए तो शायद कोई ग्यारह - बारह दे दे, पर ऐसा आदर न मिलेगा।

IV. वक्ता की परेशानी को किसने, किस प्रकार हल किया? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर - वक्ता की परेशानी को रमज़ान ने हल किया। उसने कुछ पैसे उसको दे दिए। इससे उसके चरित्र की इस विशेषता का पता चलता है कि वह बहुत दयालु और दयावान था।

'बस पाँच सौ ! इतनी-सी रकम देकर आप मेरा अपमान कर रहे हैं।' ' हुजूर मान जाइए। आप समझे आपने मेरा काम मुफ्त किया है।'

I. वक्ता और श्रोता कौन-कौन है ? उनके कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - वक्ता बाबू जगत सिंह हैं और श्रोता एक व्यक्ति है। जब श्रोता ने बाबू जगतसिंह को पांच सौ रुपए की रिश्वत पेश की तो बाबू जगत सिंह ने कहा कि इतनी - सी रकम मेरे लिए कम है, मैं तो बड़ा आदमी हूं मुझे और रिश्वत चाहिए।

II. रसीला उनकी बातचीत को सुनकर क्या समझ गया और क्या सोचने लगा?
उत्तर - रसीला उनकी बातचीत सुनकर समझ गया कि भीतर रिश्वत ली जा रही है। वह सोचने लगा कि रुपया कमाने का यह आसान तरीका है।

III. 'आप मेरा अपमान कर रहे हैं।' कथन से वक्ता का क्या संकेत था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - 'आप मेरा अपमान कर रहे हैं।' यह कथन बाबू जगतसिंह  का है, जिसके द्वारा वह यह संकेत देना चाहते हैं कि वह एक बड़े आदमी हैं और उनके लिए पांच  सौ रुपए की रिश्वत बहुत कम है।

IV. उपर्युक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त किस बुराई की ओर संकेत किया गया है? इस बुराई का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर - उपयुक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की ओर संकेत किया गया है। इस बुराई का समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। जो लोग रिश्वत लेते हैं, वह किसी का काम बिना रिश्वत लिए नहीं करना चाहते और जो लोग ईमानदार हैं तथा रिश्वत नहीं लेते उन्हें कुछ नहीं मिलता। इस कारण अमीर लोग और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं।

बस इतनी-सी बात! हमारे शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं।

I. वक्ता और श्रोता कौन-कौन है? दोनों का परिचय दीजिए।
उत्तर - वक्ता रमज़ान है तथा श्रोता रसीला है। रमज़ान जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के यहां चौकीदार है तथा रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहां नौकर है। यह दोनों अच्छे मित्र हैं तथा दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी हैं।

II. 'बस इतनी-सी बात' - पंक्ति का व्यंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - रमज़ान ने यह व्यंग इसलिए किया क्योंकि रिश्वत लेने के मामले में शेख सलीमुद्दीन बाबू जगतसिंह के भी गुरु थे। बाबू जगत सिंह ने रिश्वत में पांच सौ रुपए ही लिए थे, यदि शेख सलीमुद्दीन होते तो एक हज़ार रुपए से कम में न मानते।

III. 'शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं' - वाक्य में 'शेख साहब' और 'उनके' शब्दों का प्रयोग किस-किसके लिए किया गया है? 'उनके भी गुरु है’ - पंक्ति द्वारा क्या व्यंग किया गया है?
उत्तर - वाक्य में 'शेख साहब' शेख सलीमुद्दीन के लिए तथा 'उनके' बाबू जगतसिंह के लिए प्रयोग किया गया है। वाक्य में 'उनके भी गुरु है' व्यंग इसलिए किया गया है क्योंकि न्याय के सिंहासन पर बैठ कर भी शेख सलीमुद्दीन रिश्वत का लेन-देन किया करते थे और हज़ार से कम में न मानते थे।

IV. वक्ता ने 'शेख साहब' के संदर्भ में श्रोता से अपनी विवशता के संबंध में क्या-क्या कहा ?
उत्तर - रमज़ान में रसीला से कहा कि बाबू साहब द्वारा ली जा रही रिश्वत शेख साहब के मुताबिक बहुत कम है। रमजान के अनुसार गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी ही कमाई से कोठियों में रहते हैं, और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।

'रसीला ने तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया । उसने कोई बहाना नहीं बनाया।'

I. रसीला का मुकदमा किस की अदालत में पेश हुआ ? उनका परिचय दीजिए।
उत्तर - रसीला का मुकदमा शेख सलीमुद्दीन की अदालत में पेश हुआ था। शेख सलीमुद्दीन बाबू जगत सिंह के पड़ोसी थे तथा जिला मजिस्ट्रेट होते हुए भी वे बहुत बेईमान और रिश्वतखोर थे।

II. रसीला का क्या अपराध था? उसने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया, इससे उसके चरित्र की किस विशेषता की ओर संकेत होता है?
उत्तर - रसीला का अपराध बस इतना ही था कि उसने रमज़ान का कर्ज उतारने के लिए बाबू जगतसिंह द्वारा मंगाई गई पांच रुपए की मिठाई में अठन्नी की हेरा-फेरी की थी।
चोरी पकड़े जाने पर उसने अपना अपराध तुरंत स्वीकार कर लिया, जिससे यह सिद्ध होता है कि वह एक भला मानस और ईमानदार व्यक्ति था।

III. रसीला क्या-क्या बहाने बनाकर अपने को बेकसूर साबित कर सकता था, पर उसने ऐसा क्यों नहीं किया?
उत्तर - रसीला चाहता तो वह यह कह सकता था कि यह साजिश है। मैं नौकरी नहीं करना चाहता इसीलिए हलवाई से मिलकर मुझे फंसाया जा रहा हैं, पर एक और अपराध करने का साहस रसीला न जुटा पाया।

IV. रसीला को कितनी सजा हुई? न्याय व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - रसीला को सिर्फ एक अठन्नी की हेरा-फेरी के लिए छह महीने की कारावास का दंड मिला। प्रस्तुत कहानी में न्याय व्यवस्था पर करारा प्रहार किया गया है। जो लोग ऊंचे पदों पर बैठे हैं, वे हजारों की रिश्वत का लेन देन करते हैं और कोठियों में रहकर एक सम्मानित जीवन व्यतीत करते हैं, वही एक गरीब मात्र एक अठन्नी की हेराफेरी के लिए छह महीने कारावास का दंड भोगता है।

'फैसला सुनकर रमज़ान की आंखों में खून उतर आया।'

I. रमज़ान कौन था ? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर - रमजान का रसीला का मित्र था। वह जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के यहां चौकीदार था और बहुत ही दयावान था। उसने रसीला की सहायता उसके बुरे समय में की थी।

II. फैसला किसने सुनाया था ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - फैसला शेख सलीमुद्दीन में सुनाया था। वह खुद ही बहुत बड़े रिश्वतखोर थे न्याय की गद्दी पर बैठकर भी वे बहुत बड़े बेईमान और भ्रष्ट व्यक्ति थे

III. फैसला सुनकर रमज़ान क्या सोचने लगा?
उत्तर - फैसला सुनकर रमजान की आंखों में खून उतर आया और वह सोचने लगा कि यह दुनिया न्याय नगरी नहीं, अंधेर नगरी है। चोरी पकड़ी गई तो अपराध हो गया। असली अपराधी बड़ी-बड़ी कोठियों में बैठकर दोनों हाथों से धन बटोर रहे हैं। उन्हें कोई नहीं पकड़ता।

IV. 'बात अठन्नी की' कहानी द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर - बात अठन्नी की कहानी द्वारा लेखक ने यह संदेश दिया है कि अमीर लोग रिश्वत का लेन-देन करके भी सम्मानित जीवन व्यतीत करते हैं, जबकि एक निर्धन व्यक्ति केवल एक अठन्नी की हेरा-फेरी करने के जुर्म में छह महीने की कारावास का दंड भोगता है। यदि हमारे समाज में रिश्वतखोरी ऊपर करारा व्यंग किया जाए तो हमारे समाज में रिश्वतखोर कम होने लगेंगे।

महायज्ञ का पुरस्कार


 महायज्ञ का पुरस्कार
  - सियारामशरण गुप्त
उत्तर कुंजी

1. 'अकस्मात दिन फिरे और सेठ को गरीबी का मुंह देखना पड़ा।' 'संगी साथियों ने भी मुंह फेर लिया।'

क- सेठ के चरित्र की क्या विशेषताएं थी ?

उत्तर – सेठ अत्यंत विनम्र, उदार और धर्मपरायण थे। कोई साधु-संत उनके द्वार से निराश न लौटता था। सेठ ने दान में न जाने कितना धन दीन-दुखियों में बांट दिया था।

ख- 'संगी-साथियों ने भी मुंह फेर लिया' पंक्ति द्वारा समाज की किस दुर्बलता की ओर संकेत किया गया है ?

उत्तर - इस पंक्ति द्वारा समाज की उस दुर्बलता की ओर संकेत किया गया है कि जब विपत्ति आती है तो पक्के दोस्त, रिश्तेदार एवं संगी साथी भी साथ नहीं देते।

ग- उन दिनों क्या प्रथा प्रचलित थी? सेठानी ने सेठ को क्या सलाह दी ?

उत्तर – उन दिनों यज्ञ से प्राप्त फलों को खरीदने व बेचने की प्रथा प्रचलित थी। सेठानी ने सेठ को यह सलाह दी कि उन्हें अपने एक यज्ञ को बेच देना चाहिए ताकि उनके घर का गुजारा चल सके।

घ- सेठानी की बात मानकर सेठ जी कहां गए? धन्ना सेठ की पत्नी के बारे में क्या अफवाह थी ?

उत्तर - सेठानी की बात मानकर सेठ जी कुंदनपुर नाम के एक नगर गए। धन्ना सेठ की पत्नी के बारे में यह अफवाह थी कि उन्हें एक दैवी शक्ति प्राप्त है, जिसके द्वारा वह तीनों लोकों की बात जान लेती थीं।

2. सेठ जी, यज्ञ खरीदने के लिए तो हम तैयार हैं, पर आपको अपना महायज्ञ बेचना पड़ेगा।'

क - वक्ता कौन है? उसका उपर्युक्त कथन सुनकर सेठ जी को क्यों लगा कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है?

उत्तर - वक्ता धन्ना सेठ की पत्नी है। उसकी बात सुनकर सेठ जी को यह इसलिए लगा कि उनका मजाक उड़ाया जा रहा है क्योंकि वह बहुत उदार, अच्छे और धर्मपरायण व्यक्ति थे। जिनको यह लग रहा था कि उन्होंने आज तो क्या कई वर्षों से कोई यज्ञ नहीं किया।

प्रश्न - 2 सेठानी के अनुसार सेठ जी ने कौन-सा महायज्ञ किया था?

उत्तर - सेठानी के अनुसार सेठ जी ने यह महायज्ञ किया था कि वह खुद बहुत भूखे थे लेकिन जो वह अपने खाने के लिए चार रोटी लाए थे, वह सब रोटी खुद न खाकर एक दुर्बल कुत्ते को खिला दी और पानी पीकर कुंदनपुर के लिए चल दिए।

ग - सेठानी की बात सुनकर यज्ञ बेचने आए सेठ जी की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर - सेठानी की बात सुनकर यज्ञ बेचने आए सेठ जी को आश्चर्य हुआ, क्योंकि उनके अनुसार उन्होंने कभी कोई महायज्ञ किया ही नहीं था। सेठ जी को लगा उनका मजाक उड़ाया जा रहा है।

घ - यज्ञ बेचने आए सेठ के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर - यज्ञ बेचने आए सेठ के चरित्र की विशेषताएँ थी कि वे बहुत उदार, धर्मपरायण और विनम्र थे। पहले वे बहुत धनी थे। उनके घर से कोई साधु संत खाली नहीं जाता था, सबको भरपेट भोजन मिलता था। वे गरीबों की हमेशा मदद करते रहते थे और इस कारण एक दिन वह बहुत गरीब हो गए।


3. सेठ ने आद्योपांत सारी कथा सुनाई। कथा सुनकर सेठानी की समस्त वेदना जाने कहां विलीन हो गई।

क- सेठ जी को खाली हाथ वापस आता देखकर सेठानी की क्या प्रतिक्रिया हुई और क्यों ?

उत्तर – सेठ जी को खाली हाथ वापस आते देखकर सेठानी डर गई क्योंकि उन्होंने सोचा था कि यज्ञ बेचने से बहुत बड़ी चीज मिलेगी और जब सेठ जी ने पूरी कहानी सुनाई तो वह बहुत खुश हुईं। उन्होंने यह सोचा कि मुश्किल के समय में भी उनके पति ने धर्म का साथ नहीं छोड़ा और अपने पति के चरणों की रज मस्तक पर लगाते हुए बोली, “धीरज रखें, भगवान सब भला करेंगे।”

ख - सेठ ने आद्योपांत जो कथा सुनाई, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर – जब सेठ कुंदनपुर की ओर जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में एक भूखा कुत्ता मिला। उन्होंने उसे अपनी चारों रोटियां खिला दी। जब वह धन्ना सेठ के यहां पहुंचे तो धन्ना सेठ की पत्नी ने उनसे उनके इसी महायज्ञ को मांग लिया। इस पर सेठ को आश्चर्य हुआ और कहने लगे कि मैंने तो कई सालों से महायज्ञ किया ही नहीं। उन्हें लगा कि सेठानी उनका मजाक उड़ा रही है, इसलिए वह बिना यज्ञ बेचे वहां से चले गए।

ग - सेठ जी की बात सुनकर सेठानी की समस्त वेदना क्यों विलीन हो गई ?

उत्तर - सेठ जी की बात सुनकर सेठानी की समस्त वेदना इसलिए विलीन हो गई क्योंकि उन्होंने सोचा कि मुश्किल समय में भी सेठ जी ने अपना धर्म नहीं छोड़ा। उनके पति महान है और फिर सेठ के चरणों की रज मस्तक पर लगाते हुए बोली, “धीरज रखें, भगवान सब भला करेंगे।”

घ - 'महायज्ञ का पुरस्कार' कहानी के द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है?

उत्तर -  महायज्ञ का पुरस्कार कहानी के द्वारा लेखक ने यह संदेश दिया है कि निस्वार्थ भावना से किया गया कर्म किसी महायज्ञ से कम नहीं होता तथा इस प्रकार के कर्म का फल अवश्य प्राप्त होता है। जीवो पर दया करना मनुष्य का परम कर्तव्य है। नर सेवा ही नारायण सेवा सेवा होती है। स्वयं कष्ट सहन करके दूसरों के कष्टों का निवारण करना मानव धर्म है और दिखाने के लिए किया गया कर्म महत्वहीन होता है।

गिरिधर की कुंडलियाँ

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