पद्य भाग - 5
मेघ आये
कवि - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए -
1. मेघ आये _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के।
प्रश्न 1.कवि ने मेघों के आगमन की तुलना किससे की है? उनका स्वागत किस प्रकार होता है?
उत्तर – कवि ने मेघों के आगमन की तुलना शहर से गाँव में आए मेघ रूपी अतिथि से की है। उनका स्वागत अतिथि की तरह होता है। जिस तरह गाँव में आए हुए अतिथि का स्वागत किया जाता है, ठीक उसी प्रकार उपर्युक्त पंक्तियों में मेघों का स्वागत किया जा रहा है।
प्रश्न 2. मेघों के आगमन पर बयार (हवा) की क्या प्रतिक्रिया हुई तथा क्यों? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – मेघों के आगमन पर पुरवाई हवा नाचती गाती चल पड़ती है, मानो की वे मेघों के आने का संकेत दें रही हो और इस हवा के बहते ही लोगों के खिड़की दरवाज़े खुलने लगते है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि लोग मेघ रूपी दामाद को देखने को आतुर है।
प्रश्न 3. मेघों के लिए ‘बन-ठन के’, ‘सँवर के’ शब्दों का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर – जिस प्रकार शहर से कोई अतिथि (पाहुन) सज-धजकर तैयार होकर गाव आता है तो उसे देखकर लोगों में प्रसन्नता भर जाती है, उसी प्रकार मेघों के बन सँवरकर आने से लोगों में उसे देखने के लिए उल्लास उत्सुकता भर जाती है। अतः इसलिए मेघों के लिए बन-ठन के, सँवर के शब्दों का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 4. ‘पाहुन ज्यों आएं हों, गाँव में शहर के’ – पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि ग्रामीण संस्कृति में ‘पाहुन’ का विशेष महत्त्व क्यों है?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों में पाहुन अर्थात दामाद के रूप में प्रकृति का मानवीकरण हुआ है। प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने मेघों के आगमन की तुलना किसी शहरीय अतिथि से की है। वह कहते हैं कि जिस प्रकार मेघ बहुत दिनों के बाद गाँव में आया है, उसी प्रकार वे अतिथि भी कई दिनों के बाद गाँव में पधारे हैं। ग्रामीण संस्कृति में पाहुन का विशेष महत्व है क्योंकि उनके लिए अतिथि देव स्वरूप हैं, अर्थात अतिथि देवो भव:।
2. पेड़ झुक झाँकने लगे _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के।
प्रश्न 1. ‘पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी द्वारा आकाश में बादलों के घिर आने के माध्यम से किसी शहरी से गाँव में आये मेहमान का मानवीकरण किया गया है। जब मेघ आ गए तो पेड़ों का गरदन उचकाकर उन्हें देखने लगतें हैं। अतः भाव यह है कि जब पुरवाई हवा चलती है तो पेड़ों की टहनियाँ झुक जाती हैं और तब ऐसा प्रतीत होता है मानो मेघों के आगमन पर पेड़ गर्दन झुकाए अत्यंत उल्लास एवं उत्सुकता के साथ मेघों को देख रहें हैं।
प्रश्न 2. उपर्युक्त पंक्तियों में ‘पेड़’, ‘धूल’ और ‘नदी’ को किस-किस का प्रतीक बताया गया है और कैसे?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में पेड़ नगरवासियों का प्रतीक बताया गया है। जिस प्रकार गाँव के लोग झुक-झुककर मेहमान को प्रणाम करते हैं, ठीक उसी प्रकार पेड़ भी अपनी गरदन झुकाकर आए हुए मेहमान को देखते है। धूल एक दौड़ती हुई युवती का प्रतीक है, जो आए हुए मेहमान को देखकर भागी चली जा रही है तथा कवि ने नदी को वधुओं का प्रतीक बताया है, जो घूँघट करके अपने मेहमानों को देखती है।
प्रश्न 3. ‘ बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए’ – पंक्ति का भाव – सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि मेघों के आने का प्रभाव पूरी प्रकृति पर पड़ता है। जिस प्रकार नदी ठिठकर ऊपर मेघ को देखने की चेष्टा करती है और तिरछी नज़र से मेघों को देखती है, ठीक उसी प्रकार गाँव की वधुओं ने घूँघट कर लिया है और वह मेहमान को देखने लगी हैं।
प्रश्न 4. उपर्युक्त पंक्तियों का भाव – सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि गाँव में शहर से आए मेहमान के बन ठनकर आने पर जिस प्रकार गाँव के लोग उसे झुक-झुककर प्रणाम करते हैं वैसे ही पेड़ भी मेघों के गरदन झुकाकर देख रहे हैं। आँधी को उड़ते हुए देखकर कवि कल्पना करते हैं कि गाँव की मानो कोई युवती भेंट करने मेहमान की ओर भागी चली जा रही है। नदी के ठिठकने से कवि का आशय है कि गाँव की वधुओं ने घूँघट कर लिया है और वे मेहमानों को देखने लगी है।
3. बूढ़े पीपल ने आगे _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के।
प्रश्न 1. मेघों के आगमन पर पीपल ने क्या किया? उसके लिए बूढ़े शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर – मेघों के आगमन पर पीपल उनका अभिवादन किया है। पीपल के पेड़ के लिए बूढ़े शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि उसकी आयु बहुत लंबी होती है।
प्रश्न 2. लता ने मेघों के आगमन पर उनसे क्या कहा और कैसे? काव्य पंक्ति में ‘ओट को किवार की’ का प्रयोग क्यों किया गया है?
उत्तर – उपयुक्त पंक्तियों में लता को ऐसी पत्नी के रूप में दिखाया गया है जिसका पति उससे एक वर्ष बाद मिलने आया हो। इसलिए वे लता किवाड़ की ओट में खड़ी होकर अपने पति को एक वर्ष के बाद आने का उलाहना देती है। काव्य पंक्ति में ‘ओट हो किवार की’ का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि उस गाँव में पत्नी अपने पति के सामने नहीं आती इसलिए कवि ने कल्पना की है कि लता किवार की ओट में खड़ी होकर अपने पति को देखती है।
प्रश्न 3. उपर्युक्त पंक्तियों में ‘पीपल’, ‘लता’ और ‘ताल’ शब्दों का प्रयोग कवि ने किस-किस के प्रतीक के रूप में किया है?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में पीपल बूढ़े-बुजुर्गों का प्रतीक है, लता किवार की ओट से अतिथि को उलाहना देने वाली एक युवती का प्रतीक है और ताल उन सेवकों का प्रतीक है जो ख़ुशी ख़ुशी परात में पानी भरकर लाता है और मेहमानों के चरणों को धोता है।
प्रश्न 4. शब्दार्थ लिखिए – जुहार, सुधि, अकुलाई, किवार।
उत्तर – जुहार – अभिवादन
सुधि – खबर
अकुलाई – उत्सुकता
किवार – दरवाजा
4. क्षितिज अटारी गहराई _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के।
प्रश्न 1. ‘क्षितिज अटारी’ से कवि का क्या अभिप्राय है? वहाँ किस-किस का मिलन हुआ?
उत्तर – क्षितिज अटारी से कवि का अभिप्राय है कि आकाश में बादल आ गए हैं, यहाँ पर गहरे बादलों में बिजली चमकी और वर्षा शुरू होने लगी। यहाँ पर अथिति व उसकी पत्नी का मिलन हुआ है।
प्रश्न 2. ‘क्षमा करो गाँठ खुल गई भरम की’ – पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि किसने, किससे, कब तथा क्यों क्षमा माँगी?
उत्तर – मिलन के उपरांत पत्नी के मन में जो भ्रम था, वह दूर हो गया, उसके भ्रम की गाँठ खुल गई अर्थात उसके मन की सारी शंकाएं दूर हो गई। जब पति-पत्नी का मिलन हुआ तो मिलन के अश्रु बह निकले तथा एक वर्ष के वियोग का बाँध भी मानो टूट गया। उसने मेहमान(अपने पति से) से क्षमा याचना की।
प्रश्न 3. ‘बाँध टूटा, झर-झर मिलन के अश्रु ढरके’ – आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जैसे ही मेहमान और उसकी पत्नी का मिलन हुआ वैसे ही पत्नी की पति के प्रति सभी शिकायतें दूर हो गई। कवि ने इस संबंध में कल्पना की है कि जब दोनों का मिलन हुआ तो बिजली-सी कौंध गई और मिलन के अश्रु बहने लगे मानो कि एक वर्ष के वियोग का बाँध टूट गया।
प्रश्न 4. उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उपयुक्त पंक्तियों में कवि ने पति-पत्नी के मिलने का सुंदर चित्र अंकित किया है। पत्नी के ह्रदय में पति के प्रति जो उलाहना व शिकायतें थी, मिलन होते ही दूर हो गई। मेघों से वर्षा की छड़ी लगने को कवि ने आनंद एवं मिलन के अश्रु कहा है। बादलों का जल इस प्रकार बरसने लगा जैसे कि बाँध के टूटने पर पानी तेजी से बहने लगता हो। अतः भाव यह है कि पति-पत्नी का मिलन क्षितिज रूपी अटारी पर हुआ है।
No comments:
Post a Comment