Tuesday, 25 May 2021

मातृ मंदिर की ओर

मातृ मंदिर की ओर 
कवयित्री – सुभद्रा कुमारी चौहान 

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए – 

1. व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश, 
चलूँ, उसको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख 
उसे हृदय का भार हटाऊँ आज।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़ , 
नयन जल से नहलाऊँ आज।
मातृ – मंदिर में मैंने कहा .....
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।”

प्रश्न – 1 कविता के रचयित्री कौन है? यह पंक्तियाँ उनकी किस कविता से ली गई हैं? उसके ह्रदय के व्यथित होने का क्या कारण है?
उत्तर – कविता की रचयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान है। यह पंक्तियाँ उनकी ‘मातृ मंदिर की ओर’ नामक कविता से ली गई है। उनका हृदय व्यथित है क्योंकि भारत माता और भारतवासी सभी विदेशी शासकों के समक्ष पराधीन हैं। अर्थात् भारत की पराधीनता ही उनके ह्रदय के व्यथित होने का कारण है।

प्रश्न – 2 कवयित्री मैं अपने मन को बहलाने का कौन-सा उपाय ढूँढा?
उत्तर – कवयित्री ने अपने मन को बहलाने हेतु ‘मातृ मंदिर की ओर’ जाने का उपाय ढूंढा तथा वहाँ पहुँचकर वह भारत माता के कमलरूपी चरणों को पकड़कर अपना दुख-दर्द को बताना चाहती है।

प्रश्न – 3 ‘चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़ नयन जल से नहलाऊँ आज’- पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति का भावार्थ यह है कि भारत की पराधीनता के कारण कवियत्री दुखी है। भारतवासियों के अगण्य बलिदानों के बावजूद हमारा मातृ-मंदिर स्वतंत्र नहीं हो पाया। इसी दुख को स्पष्ट करते हुए कवयित्री अपने आंसुओं से भारत माता के चरण धोने की कल्पना करती है। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री क्या प्रेरणा दे रही है?
उत्तर – उपर्युक्त  पंक्तियों द्वारा कवयित्री यह प्रेरणा दे रही है कि हम भारतवासियों को विदेशी शासकों का डटकर सामना करते हुए मातृ मंदिर की ओर अग्रसर होना है तथा देश की स्वाधीनता के लिए हर असंभव कार्य को संभव बना देना है। 

2. किंतु यह हुआ अचानक ध्यान
दीन हूँ, छोटी हूँ, अज्ञान।
मातृ मंदिर का दुर्गम मार्ग 
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।
मार्ग के बाधक पहरेदार 
सुना है ऊँचे-से सोपान।
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।

प्रश्न – 1 कवयित्री को अचानक क्या ध्यान आया? उसने भगवान से क्या प्रार्थना की? 
उत्तर – कवयित्री को अचानक ही ध्यान में आया कि क्या उन्हें माँ के दर्शन हो सकेंगे? वह दीन, छोटी और ज्ञान से रहित है और भारत माता के मंदिर तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत दुर्लभ है, इसलिए उसने भगवान से प्रार्थना कि उसे विदेशियों से डटकर सामना करने की शक्ति प्रदान करें।

प्रश्न – 2 ‘मार्ग के बाधक पहरेदार’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मार्ग के बाधक पहरेदार’ से कवयित्री का तात्पर्य अंग्रेज सैनिकों से है। अतः वह अपने दुख को स्पष्ट करते हुए कहती है कि मातृ-मंदिर तक पहुँचना आसान नहीं क्योंकि रास्ते में खड़े विदेशी प्रहरी दर्शनार्थियों को आगे नहीं बढ़ने देते।

प्रश्न – 3 कवयित्री ने मातृ मंदिर के मार्ग को दुर्गम क्यों कहा है? वह भगवान से क्या प्रार्थना करती है?
उत्तर – कवयित्री ने मातृ मंदिर के मार्ग को दुर्गम कहा है क्योंकि मंदिर तक जाने के लिए बहुत ऊँची सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं जिस कारण वह अपने लक्ष्य तक नही पहुँच पाती। अर्थात् शक्तिशाली विदेशी उसका रास्ता रोक खड़े हो जातें हैं। वह भगवान से प्रार्थना करती है कि उसे शक्ति प्रदान करें।

प्रश्न – 4 शब्दार्थ लिखिए – दीन, दुर्गम, बाधक, सोपान।
उत्तर – दीन – गरीब,  दुर्गम – अगम्य, बाधक – रूकावट, सोपान – सीढ़ियाँ 
  
3. अहा! वे जगमग-जगमग जगी 
ज्योतियाँ दीख रहीं हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे 
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान 
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।

प्रश्न – 1 ‘ज्योतियाँ दीख रही है वहाँ’ - पंक्ति द्वारा कवयित्री का संकेत किस ओर है? 
उत्तर – ‘ज्योतियाँ दीख रही है वहाँ’ से कवयित्री का संकेत जगमगाती हुई भारत माता की स्वतंत्रता की ओर है। अर्थात् कवयित्री को स्वाधीनता की जगमग करती हुई ज्योतियाँ दिखाई दे रही है।

प्रश्न – 2 ‘वाद्य बज उठे’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है? उनकी ध्वनि सुनकर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर –  ‘वाद्य बज उठे’ से कवयित्री का अभिप्राय वहाँ बज रहे बाजे से है। उनकी वाणी सुनकर कवयित्री वहाँ जल्दी पहुँचना चाहती है ताकि भारत देश को स्वतंत्र करने में वे अपना कुछ योगदान दे सकें। 

प्रश्न – 3 ‘कल-गान’ से कवयित्री का क्या आशय है? इस संदर्भ में कवयित्री अपनी क्या अभिलाषा व्यक्त करती है?
उत्तर – ‘कल-गान’ से कवयित्री का आशय सुंदर गीत से है। अर्थात् उन्हें सुंदर गीत सुनाई पड़ रह है। इस संदर्भ में कवयित्री अपनी अभिलाषा व्यक्त करती है कि वह जल्द से जल्द वहाँ पहुँचे और गीत गायन में शामिल हो ताकि देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ योगदान दें। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों का मूल भाव यह है कि भारत की स्वतंत्रता अब दूर नहीं। इसलिए वहाँ का जगमगाता दृश्य कवयित्री को दिखाई दे रहा है। अर्थात् स्वाधीनता अब दूर नहीं है और इसकी कल्पना करते हुए कवयित्री प्रभु से प्रार्थना करती है कि वे उसे शक्ति प्रदान करें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसकी सहायता करें। 

4. चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
अहा! वह मीठी-सी मुसकान 
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रुठूँगी मैं आज मुसकान
सुनाऊँगी उसको फरियाद।।

प्रश्न – 1 उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवयित्री की क्या इच्छा है?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर कवयित्री की यह इच्छा है कि भारत शीघ्रता से विदेशी शासन से मुक्त हो और वह भारत माँ को मुस्कुराता हुआ देख सके। भारत माँ के मुख पर मुसकान देखकर उसे भी नई स्फूर्ति प्राप्त होगी, उसमें नया जोश एवं नई उमंग का संचार होगा।

प्रश्न – 2 ‘मीठी-सी मुसकान’ का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मीठी-सी’ मुस्कान का संदर्भ यह है कि जब भारत माँ विदेशी शासकों और अत्याचारों से मुक्त हो जाएगी और भारत को स्वतंत्रता मिल जाएगी, तब भारतवासियों के चेहरे पर एक मीठी-सी मुस्कान आ जाएगी।

प्रश्न – 3 ‘जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति’ - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर – ‘जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति’ का आशय यह है कि जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो जाएगी तब भारत माँ के मुख पर मुस्कान देखकर कवयित्री को भी नई स्फूर्ति प्राप्त होगी, उसमें नया जोश और नई उमंग आ जाएगी।

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवयित्री भारत माँ के मंदिर में जल्दी से जल्दी पहुँचकर भारत माँ की प्यारी मूर्ति को देखना चाहती है। उस मूर्ति पर मीठी-सी मुस्कान देखकर कवयित्री के ह्रदय में भी नई स्फूर्ति का संचार होगा। कवयित्री को पूरा विश्वास है कि भारत माँ को भी अपने बच्चे की याद अवश्य आती ही होगी।

5. कलेजा माँ का, मैं संतान 
 करेगी दोषों पर अभिमान।
 मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
 चढ़ा जो मुझको, हे भगवान।।
 सुनूँगी माता की आवाज़ 
 रहूँगी मरने को तैयार।
 कभी भी उस वेदी पर देव,
 न होने दूँगी अत्याचार।। 
 न होने दूँगी अत्याचार
 चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
 मातृ-मंदिर में हुई पुकार,
 चढ़ा जो मुझको, हे भगवान।।

प्रश्न – 1 उपर्युक्त पंक्तियों में ‘माँ’ की किस विशेषता का उल्लेख किया गया है और क्यों?
उत्तर –  उपर्युक्त पंक्तियों में माँ की इस विशेषता का उल्लेख किया गया है कि मामा के हृदय में हमेशा अपनी संतान के प्रति स्नेह, वात्सल्य तथा ममता के भाव भरे होते हैं। वह अपनी संतान के दोषों को भी अनदेखा कर देती है क्योंकि माता की ममता कभी कम नहीं होती है।

प्रश्न – 2 ‘मातृ-वेदी पर हुई पुकार’ का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मातृ-वेदी पर हुई पुकार’ का संदर्भ यह है कि कवयित्री भारत माँ को पराधीनता से मुक्त कराना चाहती है। उस पर किसी भी प्रकार का अत्याचार नहीं होने देना चाहती। यदि उन अत्याचारों को रोकने के लिए उसे अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगी।

प्रश्न – 3 कौन किस पर तथा किस प्रकार अत्याचार कर रहा था? अत्याचार के विरोध में कवयित्री अपनी क्या इच्छा व्यक्त करती है?
उत्तर – विदेशी शासक भारतवासियों और भारत माता को गुलाम बनाकर अत्याचार कर रहा था। अत्याचार के विरोध में कवयित्री ने यह इच्छा व्यक्त की है कि वह भारत माता पर होने वाले किसी भी अत्याचार को रोकने के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने के लिए तत्पर है। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री क्या प्रेरणा दे रही है?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री प्रेरणा दे रही है कि हमें अपनी मातृभूमि पर होने वाले अत्याचारों को देखकर चुप नहीं बैठना चाहिए और किसी भी प्रकार के अत्याचारों का हमेशा विरोध करना चाहिए। यदि इन अत्याचारों को रोकने के लिए हम अपने प्राणों का भी बलिदान करना पड़े तो हमें कर देना चाहिए।


Saturday, 15 May 2021

Do kalakar

पाठ – 10
दो कलाकार 
लेखक – मन्नू भंडारी 

 निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-

1. अरे यह क्या? इसमें तो सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक दूसरे पर चढ़ रहे हैं। मानो सबकी खिचड़ी पकाकर रख दी हो। क्या घनचक्कर बनाया है?

प्रश्न – 1 ‘अरे, यह क्या? -  वाक्य का वक्ता और श्रोता कौन है? उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘अरे,यह क्या’ वाक्य की वक्ता अरुणा है और श्रोता चित्रा है। जब चित्रा अपना बनाया हुआ चित्र सोती हुई अरुणा को दिखाने गई तो चित्र देखकर अरुणा को कुछ भी समझ में नहीं आया। अरुणा को चित्रों में कोई रुचि नहीं थी। अरुणा के कथन का आशय यह है कि चित्रा ने इतनी सारी चीजें एक चित्र में बनाकर खिचड़ी-सी बना दी है, जिसे देख कर कोई भी चक्कर खा सकता है।

प्रश्न – 2 चित्र को चारों ओर घुमाते हुए वक्ता ने श्रोता को चित्रों के संबंध में क्या सुझाव दिया था?

उत्तर – चित्र को चारों ओर घुमाते हुए वक्ता अर्थात अरुणा ने चित्रा को यह सुझाव दिया कि जब भी वह कोई चित्र बनाए तब उस पर उसका नाम लिख दे क्योंकि जब भी वह उसका चित्र देखती है तो समझ नहीं पाती कि वह चित्र किस चीज़ का चित्र है।

प्रश्न – 3 ‘खिचड़ी पकाकर’ और ‘घनचक्कर’ शब्दों का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि इनका प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है और क्यों?

 उत्तर – ‘खिचड़ी पकाकर’ का अर्थ होता है बहुत सारी चीजों का एक साथ मिला देना और ‘घनचक्कर’ का अर्थ होता है जो चक्कर में डाल दे। इन दोनों शब्दों का प्रयोग चित्रा के चित्रों के लिए किया गया है क्योंकि चित्रा ने अपने चित्र में बहुत सारी चीजों को बनाकर खिचड़ी-सी बना दी थी जो चक्कर में डालने वाली थी।

प्रश्न – 4 श्रोता ने अपने चित्र को किसका प्रतीक बताया? वक्ता ने उसकी खिल्ली किस प्रकार उड़ाई?

 उत्तर – श्रोता अर्थात् चित्रा ने अपने चित्र के बारे में बताया कि यह चित्र आज की दुनिया में कंफ्यूजन का प्रतीक है। इस पर अरुणा ने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नजर आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।

2. पर सच कहती हूँ मुझे तो सारी कला इतनी निरर्थक लगती है, इतनी बेमतलब लगती है कि बता नहीं सकती।

प्रश्न – 1 वक्ता को किस की कला निरर्थक लगती थी और क्यों? 

उत्तर – अरुणा को चित्रा की कला निरर्थक और बेमतलब लगती है क्योंकि चित्रा अपने चित्र को बनाने के लिए किसी चीज का ख्याल नहीं रखती थी, उसे दूसरों से कोई मतलब नहीं था। बड़ी से बड़ी घटना उसके लिए कोई महत्त्व नहीं रखती थी। हर घड़ी, हर जगह, हर चीज में वह अपने चित्रों के लिए मॉडल खोजा करती थी। अरुणा के अनुसार चित्रा यदि चित्रों को बनाने के बजाय किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करें तो अच्छा रहता। अतः अरुणा मानती थी कि वही मनुष्य जीवन सार्थक होता है जिससे दूसरों को सहारा मिले।  

प्रश्न – 2 वक्ता ने उसकी कला पर व्यंग करते हुए क्या कहा और उसे क्या सलाह दी?

उत्तर – वक्ता यानी अरुणा ने चित्रा की कला पर व्यंग करते हुए यह सलाह दी कि वह यह निरर्थक और बेमतलब कला छोड़ दें जो आदमी को आदमी न रहने दे। अरुणा ने चित्रा को निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय असहाय लोगों की जिंदगी बनाने की बात कही पर ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि वह बहुत ही अमीर पिता की इकलौती बेटी थी। वह चाहती तो किसी की भी मदद कर सकती थी, लेकिन उसे दूसरों की मदद करने में कोई रुचि नहीं थी। 
 
प्रश्न – 3 वक्ता की बात पर श्रोता ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की और क्यों?

उत्तर – वक्ता की बातों पर श्रोता चित्रा ने कहा कि यह काम तो तेरे लिए छोड़ दिया। मैं चली जाऊँगी तो जल्दी से सारी दुनिया का कल्याण करने के लिए झंडा लेकर निकल पड़ना। चित्रा ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अरुणा में समाज सेवा का भाव था।

प्रश्न – 4 आपके अनुसार सच्ची कला की क्या पहचान है?

उत्तर – मेरे विचार से सच्ची कला वह है जिस कला से पूरे समाज को या पूरे देश को लाभ पहुँचे। वह कला बिल्कुल निरर्थक होती है जो केवल अपने स्वार्थ के लिए प्रस्तुत की जाती हो। चित्रा की कला निरर्थक थी और अरुणा की कला सच्ची कला थी क्योंकि उसने हमेशा समाज के दुर्बल और असहाय लोगों की मदद की।

3. यह काम तो मेरे लिए छोड़ दिया। मैं चली जाऊँगी तो जल्दी से सारी दुनिया का कल्याण करने के लिए झंडा लेकर निकल पड़ना।

प्रश्न – 1 वक्ता और श्रोता का परिचय दीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति की वक्ता चित्रा है जो एक चित्रकार है और बचपन से यह सपना देखती है कि वह विदेशों में जाकर खूब नाम कमाए। उसे भिखारिन वाले चित्र द्वारा खूब प्रसिद्धि मिलती है। प्रस्तुत कथन की श्रोता अरुणा है जो स्वभाव से एक समाज सेविका है वह हमेशा दुर्बल और असहाय लोगों की मदद के लिए तैयार रहती है। उसी ने भिखारिन के दो बच्चों को सहारा दिया और उनकी जिंदगी संवारी।

प्रश्न – 2 ‘वह काम’ से वक्ता का संकेत किस ओर है? वक्ता और श्रोता में अपने-अपने कामों को लेकर किस प्रकार की नोंक-झोंक चलती रहती थी?

 उत्तर – ‘वह काम’ से वक्ता यानी चित्रा का संकेत समाज सेवा की ओर है जो अरुणा किया करती थी लेकिन चित्रा को समाज सेवा करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। अरुणा और चित्रा दोनों को एक-दूसरे के काम निरर्थक लगते थे। अरुणा चित्रा को हमेशा कहती थी कि तुम इन बेकार की चित्रों को बनाकर अपना समय बर्बाद कर रही हो, उसी तरह चित्रा भी हमेशा अरुणा के समाज सेवा को बेकार समझती थी। जिस कारण दोनों मित्रों में छोटी मोटी नोक-झोंक चलती रहती थी।

प्रश्न – 3 वक्ता कहाँ जा रही थी और क्यों?

उत्तर – वक्ता यानी चित्रा विदेश जा रही थी। वह अपने पिता की इकलौती बेटी थी। वह विदेश जाकर अपनी चित्र की कला को बढ़ाना, प्रसिद्धि पाना और अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती थी। 

प्रश्न – 4 ‘वक्ता और श्रोता’ के जीवन-उद्देश्य में अंतर होते हुए भी उनमें घनिष्ट मित्रता थी’ – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – अरुणा के जीवन का लक्ष्य समाज सेवा था और उसकी सहेली चित्रा के जीवन का उद्देश्य एक महान चित्रकार बनना था। दोनों के जीवन उद्देश्य में अंतर होते हुए भी उन्हें घनिष्ट मित्रता थी क्योंकि उनमें असीम प्रेम था। दोनों को एक दूसरे की परवाह थी। वह दोनों मन में उत्पन्न होने वाले मन-मुटाव, शंका और ईर्ष्या की भावना को दूर रखती थी। वे हॉस्टल में साथ रहती थी और एक दूसरे की मदद करती रहती थीं।

4. “कहा तो मेरे।” अरुणा से हँसते हुए कहा।
“अरे बता न, मुझे ही बेवकूफ बनाने चली है।”

प्रश्न – 1 ‘कहा तो मेरे’ वाक्य का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – कहा तो मेरे वाक्य का संदर्भ यह है कि विदेश से तीन साल बाद लौटने के उपरांत चित्रा का भारत में जोरदार स्वागत हुआ और दिल्ली में उसकी कला की प्रदर्शनी का आयोजन हुआ तो उद्घाटन करने के लिए चित्रा को ही बुलाया गया। अरुणा सिर्फ उससे मिलने के लिए उस प्रदर्शनी में आई थी। जब चित्रा और अरुणा मिले तो अरुणा के साथ दो बच्चे भी थे। चित्रा के पूछने पर अरुणा ने उन दोनों बच्चों को खुद के बच्चे बताती है। जिसे सुनकर चित्रा को विश्वास नहीं होता और वह अपने ही विचारों में खो जाती है

प्रश्न – 2 ‘मुझे ही बेवकूफ बनाने चली है’ –  वाक्य का संदर्भ स्पष्ट करते हुए बताइए कि वक्ता को श्रोता की किस बात पर विश्वास नहीं हुआ और क्यों?

उत्तर – चित्रा की कला प्रदर्शनी में जब अरुणा और चित्रा की भेंट हुई तो अरुणा के साथ दो बच्चे भी थे। लड़के की उम्र दस साल की थी और लड़की की उम्र आठ साल थी। जब चित्रा ने अरुणा से पूछा कि यह बच्चे किसके हैं तब अरुणा ने कहा कि मेरे बच्चे हैं। चित्रा को विश्वास नहीं हुआ कि वह बच्चे अरुणा के थे क्योंकि जब चित्रा तीन साल पहले विदेश गई थी तब अरुणा की शादी भी नहीं हुई थी तो उसके इतने बड़े बच्चे कैसे हो सकते थे।

प्रश्न – 3  अरुणा की कौन-सी बात सुनकर चित्रा की आँखें फैली की फैली रह गईं?

उत्तर – चित्रा के बार-बार पूछने पर जब अरुणा ने भिखारिनवाले चित्र के दोनों बच्चों पर ऊँगली रखकर बताया कि ये ही वो दोनों बच्चे हैं जिनको मैंने अपना लिया है तो चित्रा की आँखें फैली की फैली रह गईं।

प्रश्न – 4 चित्रा को किस चित्र से प्रसिद्धि मिली थी? चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर – चित्रा को उस मृत भिखारिन एवं बच्चों पर आधारित ‘अनाथ’ शीर्षकवाले चित्र द्वारा देश व विदेश में बहुत प्रसिद्धि मिली थी। चित्रा ने अपने चित्र में एक मृत भिखारिन और उसके सूखे शरीर से चिपक कर बुरी तरह से रो रहे दो बच्चों को चित्रित किया था।

Saturday, 8 May 2021

Bade Gher ki Beti

पाठ – 06
बड़े घर की बेटी 
प्रेमचंद 

दी गई पंक्तियों को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-


1. ‘श्रीकंठ सिंह की दशा बिल्कुल विपरीत थी।’

प्रश्न – 1 श्रीकंठ सिंह की शारीरिक बनावट किस के विपरीत की और कैसे?

उत्तर – श्रीकंठ सिंह की शारीरिक बनावट अपने छोटे भाई लाल बिहारी सिंह से विपरीत थी क्योंकि श्रीकंठ सिंह बिल्कुल दुर्बल शरीर का था जबकि लाल बिहारी दोहरे बदन का सजीला जवान था। उसका भरा हुआ मुखड़ा और चौड़ी छाती थी। श्रीकंठ जी बी. ए. पास किए हुए थे जबकि लाल बिहारी पहलवानी करता था।

प्रश्न – 2 सम्मिलित कुटुंब के संबंध में श्रीकंठ सिंह के क्या विचार थे?

उत्तर – श्रीकंठ सिंह सम्मिलित कुटुंब का एकमात्र उपासक था। वह पाश्चात्य सामाजिक प्रथाओं को नहीं मानता था। आज स्त्रियों को कुटुंब में मिल-जुलकर रहने को जो अरुचि होती है, उसे वह जाति और देश दोनों के लिए हानिकारक समझता था। उसने अपने कई मित्रों के घरों को टूटने से बचाया था।

प्रश्न – 3 सम्मिलित कुटुंब के संबंध में श्रीकंठ सिंह और उसकी पत्नी के विचारों का अंतर स्पष्ट कीजिए?

उत्तर – सम्मिलित कुटुंब के संबंध में श्रीकंठ सिंह का मानना था कि स्त्रियों में जो सम्मिलित कुटुंब में रहने की अरुचि है, वह जाति और देश दोनों के लिए हानिकारक है जबकि उनकी पत्नी का मानना था कि यदि बहुत कुछ सहने पर भी परिवार के साथ निर्वाह न हो सके तो आए दिन के कलह से जीवन को नष्ट करने की अपेक्षा अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाई जाए।

प्रश्न – 4 श्रीकंठ सिंह की पत्नी का संबंध किस कुल से था, स्पष्ट कीजिए।

 उत्तर – श्रीकंठ सिंह की पत्नी आनंदी बड़े उच्च कुल से थी। उनके पिता भूप सिंह एक छोटी-सी रियासत के ताल्लुकेदार थे। उनका एक विशाल भवन, एक हाथी, तीन कुत्ते, झाड़फानूस, आनरेरी मजिस्ट्री और ऋण, जो एक प्रतिष्ठित ताल्लुकेदार के योग्य पदार्थ हैं, सभी वहाँ विद्यमान थे।


2. ´वह एक सीधा साधा देहाती गृहस्थ का मकान था, किंतु आनंदी ने थोड़े ही दिनों में अपने आप को इस नई परिस्थिति के ऐसा अनुकूल बना लिया, मानो विलास के सामान कभी देखी ही न थे।`

प्रश्न – 1 ‘सीधा-सादा गृहस्थ’ – से किसकी ओर संकेत किया गया है? उसका परिचय दीजिए।

उत्तर – ‘सीधा-सादा गृहस्थ’ के माध्यम से एक मध्यवर्गीय पुरुष के घर की ओर संकेत किया गया है, जो श्रीकंठ सिंह का था। उन्होंने बी. ए. किया हुआ था। वह अपने पिता बेनी माधव सिंह और छोटे भाई लाल बिहारी के साथ रहता था। वह पाश्चात्य प्रथाओं को नहीं मानता था और सम्मिलित कुटुंब का पक्षधर था। उसका विवाह एक बड़े कुल की लड़की आनंदी से हुआ था।

प्रश्न – 2 आनंदी के पिता उसके विवाह को लेकर किस प्रकार के धर्म संकट में थे?

उत्तर – आनंदी अपने घर में चौथी लड़की थी। वह बहुत ही रूपवती थी। उसके माता-पिता उससे बहुत प्रेम करते थे। वह उसके विवाह को लेकर इसलिए चिंतित थे क्योंकि वह चाहते थे कि न तो ऋण का बोझ बड़े और न ही उसकी बेटी अपने आप को भाग्यहीन समझे। वह उसका भला चाहते थे।

प्रश्न – 3 आनंदी के मैके और ससुराल के वातावरण में क्या अंतर था?

उत्तर – आनंदी का जन्म एक उच्च कुल में हुआ था। वहाँ उसे किसी चीज की कमी नहीं थी। उसके मैके में अगर कोई आता तो खाली हाथ नहीं जाता था लेकिन उसके ससुराल का माहौल बिल्कुल अलग था, वहाँ न तो घूमने के लिए बगीचा था, न ही जमीन पर फर्श था और न दीवार पर तस्वीरें थी।

प्रश्न – 4 आनंदी और लाल बिहारी की तकरार किस बात पर शुरू हुई?

उत्तर – एक दिन लाल बिहारी दो चिड़ियाँ लिए हुए आया और आनंदी से बोला कि उसे भूख लगी है जल्दी से इसे पका दो। अब घर में बचे हुए थोड़े बहुत घी को उसने मांस पकाने में लगा दिया किंतु दाल में घी डालने के लिए नहीं बचा इसलिए ऐसे ही खाना परोस दिया। जब लाल बिहारी खाना खाने आए तो दाल में घी नहीं मिला जिस कारण  लाल बिहारी ने आनंदी के मैके को बुरा भला कह दिया तो आनंद ही ने कहा कि उनके यहाँ इतना घी तो नौकर खा जाते हैं। इस बात पर दोनों की तकरार बढ़ गई।


3.‘भाभी, भैया ने निश्चय किया है कि वे मेरे साथ इस घर में न रहेंगे। आप भी मेरा मुँह भी नहीं देखना चाहते, इसलिए मैं जाता हूँ। उन्हें फिर मुँह न दिखाऊँगा। मुझसे जो अपराध हुआ, उसे क्षमा करना।’

प्रश्न – 1 भाभी और भैया का परिचय दीजिए। भैया ने क्या निश्चय किया था और क्यों?

 उत्तर – भाभी आनंदी है और भैया श्रीकंठ है। आनंदी एक अच्छे परिवार की लड़की है जिसका विवाह श्रीकंठ से हुआ है। आनंदी बहुत गुणवती है और श्रीकंठ बहुत दुर्बल शरीर के बी. ए. पास व्यक्ति है। आनंदी व लाल बिहारी सिंह की तकरार के बाद श्रीकंठ ने यह निश्चय किया कि या तो वह इस घर में रहेगा या लाल बिहारी क्योंकि तकरार के दौरान उसने अपनी भाभी को अपशब्द कहे थे।

प्रश्न – 2 आनंदी के स्वभाव की चर्चा कीजिए। वह अपने पति पर किस बात के लिए झुँझला रही थी?

 उत्तर – आनंदी बहुत ही समझदार स्त्री कि वे स्वभाव से दयालु थी अपने उच्च कुल को लेकर उसमें थोड़ा भी घमंड नहीं था। वह अपने पति पर इसलिए चिल्ला रही थी क्योंकि उसका पति ने अपने भाई की बातों में उससे यह पूछा की उसने क्या उपद्रव मचा रखा है।

प्रश्न – 3 आनंदी की अपने पति से क्या बातचीत हुई?

उत्तर – जब लाल बिहारी अपने भाई श्रीकंठ सिंह की बातें सुन लेता है तो वह आनंदी से कहता है कि भाभी मैं जा रहा हूँ तब आनंदी अपने पति को समझाती है कि वह लाल बिहारी को माफ कर दें। उसे पछतावा हो गया है। पहले तो श्रीकंठ नहीं माने लेकिन लाल बिहारी उनका छोटा भाई था इसलिए उनको उस पर तरस आ गया और उनका भी दिल पिघल गया और लाल बिहारी को माफ करके गले लगा लिया।

प्रश्न – 4 घटनाक्रम ने अंत में किस प्रकार मोड़ लिया?

उत्तर – जब लाल बिहारी ने आनंदी के ऊपर चप्पल फेंक कर मारी थी तो घी के ऊपर छोटे से झगड़े ने बड़ा मोड़ ले लिया। श्रीकंठ सिंह आनंदी से पूरा घटनाक्रम सुनने के बाद घर छोड़ने का निश्चय कर चुके थे। यह देखकर लाल बिहारी को बहुत पछतावा हुआ तो उसने श्रीकंठ सिंह और आनंदी से माफी मांगी। पहले तो श्रीकंठ ने लाल बिहारी को माफ नहीं किया किंतु आनंदी के समझाने पर उसे माफ कर दिया और गले लगा लिया।

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