मातृ मंदिर की ओर
कवयित्री – सुभद्रा कुमारी चौहान
निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए –
1. व्यथित है मेरा हृदय-प्रदेश,
चलूँ, उसको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख
उसे हृदय का भार हटाऊँ आज।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़ ,
नयन जल से नहलाऊँ आज।
मातृ – मंदिर में मैंने कहा .....
चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।”
प्रश्न – 1 कविता के रचयित्री कौन है? यह पंक्तियाँ उनकी किस कविता से ली गई हैं? उसके ह्रदय के व्यथित होने का क्या कारण है?
उत्तर – कविता की रचयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान है। यह पंक्तियाँ उनकी ‘मातृ मंदिर की ओर’ नामक कविता से ली गई है। उनका हृदय व्यथित है क्योंकि भारत माता और भारतवासी सभी विदेशी शासकों के समक्ष पराधीन हैं। अर्थात् भारत की पराधीनता ही उनके ह्रदय के व्यथित होने का कारण है।
प्रश्न – 2 कवयित्री मैं अपने मन को बहलाने का कौन-सा उपाय ढूँढा?
उत्तर – कवयित्री ने अपने मन को बहलाने हेतु ‘मातृ मंदिर की ओर’ जाने का उपाय ढूंढा तथा वहाँ पहुँचकर वह भारत माता के कमलरूपी चरणों को पकड़कर अपना दुख-दर्द को बताना चाहती है।
प्रश्न – 3 ‘चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़ नयन जल से नहलाऊँ आज’- पंक्ति का भावार्थ लिखिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति का भावार्थ यह है कि भारत की पराधीनता के कारण कवियत्री दुखी है। भारतवासियों के अगण्य बलिदानों के बावजूद हमारा मातृ-मंदिर स्वतंत्र नहीं हो पाया। इसी दुख को स्पष्ट करते हुए कवयित्री अपने आंसुओं से भारत माता के चरण धोने की कल्पना करती है।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री क्या प्रेरणा दे रही है?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री यह प्रेरणा दे रही है कि हम भारतवासियों को विदेशी शासकों का डटकर सामना करते हुए मातृ मंदिर की ओर अग्रसर होना है तथा देश की स्वाधीनता के लिए हर असंभव कार्य को संभव बना देना है।
2. किंतु यह हुआ अचानक ध्यान
दीन हूँ, छोटी हूँ, अज्ञान।
मातृ मंदिर का दुर्गम मार्ग
तुम्हीं बतला दो हे भगवान।
मार्ग के बाधक पहरेदार
सुना है ऊँचे-से सोपान।
फिसलते हैं ये दुर्बल पैर
चढ़ा दो मुझको हे भगवान।।
प्रश्न – 1 कवयित्री को अचानक क्या ध्यान आया? उसने भगवान से क्या प्रार्थना की?
उत्तर – कवयित्री को अचानक ही ध्यान में आया कि क्या उन्हें माँ के दर्शन हो सकेंगे? वह दीन, छोटी और ज्ञान से रहित है और भारत माता के मंदिर तक पहुँचने का मार्ग अत्यंत दुर्लभ है, इसलिए उसने भगवान से प्रार्थना कि उसे विदेशियों से डटकर सामना करने की शक्ति प्रदान करें।
प्रश्न – 2 ‘मार्ग के बाधक पहरेदार’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मार्ग के बाधक पहरेदार’ से कवयित्री का तात्पर्य अंग्रेज सैनिकों से है। अतः वह अपने दुख को स्पष्ट करते हुए कहती है कि मातृ-मंदिर तक पहुँचना आसान नहीं क्योंकि रास्ते में खड़े विदेशी प्रहरी दर्शनार्थियों को आगे नहीं बढ़ने देते।
प्रश्न – 3 कवयित्री ने मातृ मंदिर के मार्ग को दुर्गम क्यों कहा है? वह भगवान से क्या प्रार्थना करती है?
उत्तर – कवयित्री ने मातृ मंदिर के मार्ग को दुर्गम कहा है क्योंकि मंदिर तक जाने के लिए बहुत ऊँची सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं जिस कारण वह अपने लक्ष्य तक नही पहुँच पाती। अर्थात् शक्तिशाली विदेशी उसका रास्ता रोक खड़े हो जातें हैं। वह भगवान से प्रार्थना करती है कि उसे शक्ति प्रदान करें।
प्रश्न – 4 शब्दार्थ लिखिए – दीन, दुर्गम, बाधक, सोपान।
उत्तर – दीन – गरीब, दुर्गम – अगम्य, बाधक – रूकावट, सोपान – सीढ़ियाँ
3. अहा! वे जगमग-जगमग जगी
ज्योतियाँ दीख रहीं हैं वहाँ।
शीघ्रता करो वाद्य बज उठे
भला मैं कैसे जाऊँ वहाँ?
सुनाई पड़ता है कल-गान
मिला दूँ मैं भी अपनी तान।
शीघ्रता करो मुझे ले चलो,
मातृ मंदिर में हे भगवान।।
प्रश्न – 1 ‘ज्योतियाँ दीख रही है वहाँ’ - पंक्ति द्वारा कवयित्री का संकेत किस ओर है?
उत्तर – ‘ज्योतियाँ दीख रही है वहाँ’ से कवयित्री का संकेत जगमगाती हुई भारत माता की स्वतंत्रता की ओर है। अर्थात् कवयित्री को स्वाधीनता की जगमग करती हुई ज्योतियाँ दिखाई दे रही है।
प्रश्न – 2 ‘वाद्य बज उठे’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है? उनकी ध्वनि सुनकर उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
उत्तर – ‘वाद्य बज उठे’ से कवयित्री का अभिप्राय वहाँ बज रहे बाजे से है। उनकी वाणी सुनकर कवयित्री वहाँ जल्दी पहुँचना चाहती है ताकि भारत देश को स्वतंत्र करने में वे अपना कुछ योगदान दे सकें।
प्रश्न – 3 ‘कल-गान’ से कवयित्री का क्या आशय है? इस संदर्भ में कवयित्री अपनी क्या अभिलाषा व्यक्त करती है?
उत्तर – ‘कल-गान’ से कवयित्री का आशय सुंदर गीत से है। अर्थात् उन्हें सुंदर गीत सुनाई पड़ रह है। इस संदर्भ में कवयित्री अपनी अभिलाषा व्यक्त करती है कि वह जल्द से जल्द वहाँ पहुँचे और गीत गायन में शामिल हो ताकि देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ योगदान दें।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों का मूल भाव यह है कि भारत की स्वतंत्रता अब दूर नहीं। इसलिए वहाँ का जगमगाता दृश्य कवयित्री को दिखाई दे रहा है। अर्थात् स्वाधीनता अब दूर नहीं है और इसकी कल्पना करते हुए कवयित्री प्रभु से प्रार्थना करती है कि वे उसे शक्ति प्रदान करें और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उसकी सहायता करें।
4. चलूँ मैं जल्दी से बढ़-चलूँ।
देख लूँ माँ की प्यारी मूर्ति।
अहा! वह मीठी-सी मुसकान
जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति।।
उसे भी आती होगी याद?
उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रुठूँगी मैं आज मुसकान
सुनाऊँगी उसको फरियाद।।
प्रश्न – 1 उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कवयित्री की क्या इच्छा है?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर कवयित्री की यह इच्छा है कि भारत शीघ्रता से विदेशी शासन से मुक्त हो और वह भारत माँ को मुस्कुराता हुआ देख सके। भारत माँ के मुख पर मुसकान देखकर उसे भी नई स्फूर्ति प्राप्त होगी, उसमें नया जोश एवं नई उमंग का संचार होगा।
प्रश्न – 2 ‘मीठी-सी मुसकान’ का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मीठी-सी’ मुस्कान का संदर्भ यह है कि जब भारत माँ विदेशी शासकों और अत्याचारों से मुक्त हो जाएगी और भारत को स्वतंत्रता मिल जाएगी, तब भारतवासियों के चेहरे पर एक मीठी-सी मुस्कान आ जाएगी।
प्रश्न – 3 ‘जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति’ - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘जगा जाती है, न्यारी स्फूर्ति’ का आशय यह है कि जब भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हो जाएगी तब भारत माँ के मुख पर मुस्कान देखकर कवयित्री को भी नई स्फूर्ति प्राप्त होगी, उसमें नया जोश और नई उमंग आ जाएगी।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ यह है कि कवयित्री भारत माँ के मंदिर में जल्दी से जल्दी पहुँचकर भारत माँ की प्यारी मूर्ति को देखना चाहती है। उस मूर्ति पर मीठी-सी मुस्कान देखकर कवयित्री के ह्रदय में भी नई स्फूर्ति का संचार होगा। कवयित्री को पूरा विश्वास है कि भारत माँ को भी अपने बच्चे की याद अवश्य आती ही होगी।
5. कलेजा माँ का, मैं संतान
करेगी दोषों पर अभिमान।
मातृ-वेदी पर हुई पुकार,
चढ़ा जो मुझको, हे भगवान।।
सुनूँगी माता की आवाज़
रहूँगी मरने को तैयार।
कभी भी उस वेदी पर देव,
न होने दूँगी अत्याचार।।
न होने दूँगी अत्याचार
चलो, मैं हो जाऊँ बलिदान।
मातृ-मंदिर में हुई पुकार,
चढ़ा जो मुझको, हे भगवान।।
प्रश्न – 1 उपर्युक्त पंक्तियों में ‘माँ’ की किस विशेषता का उल्लेख किया गया है और क्यों?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में माँ की इस विशेषता का उल्लेख किया गया है कि मामा के हृदय में हमेशा अपनी संतान के प्रति स्नेह, वात्सल्य तथा ममता के भाव भरे होते हैं। वह अपनी संतान के दोषों को भी अनदेखा कर देती है क्योंकि माता की ममता कभी कम नहीं होती है।
प्रश्न – 2 ‘मातृ-वेदी पर हुई पुकार’ का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘मातृ-वेदी पर हुई पुकार’ का संदर्भ यह है कि कवयित्री भारत माँ को पराधीनता से मुक्त कराना चाहती है। उस पर किसी भी प्रकार का अत्याचार नहीं होने देना चाहती। यदि उन अत्याचारों को रोकने के लिए उसे अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े तो वह पीछे नहीं हटेगी।
प्रश्न – 3 कौन किस पर तथा किस प्रकार अत्याचार कर रहा था? अत्याचार के विरोध में कवयित्री अपनी क्या इच्छा व्यक्त करती है?
उत्तर – विदेशी शासक भारतवासियों और भारत माता को गुलाम बनाकर अत्याचार कर रहा था। अत्याचार के विरोध में कवयित्री ने यह इच्छा व्यक्त की है कि वह भारत माता पर होने वाले किसी भी अत्याचार को रोकने के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने के लिए तत्पर है।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री क्या प्रेरणा दे रही है?
उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवयित्री प्रेरणा दे रही है कि हमें अपनी मातृभूमि पर होने वाले अत्याचारों को देखकर चुप नहीं बैठना चाहिए और किसी भी प्रकार के अत्याचारों का हमेशा विरोध करना चाहिए। यदि इन अत्याचारों को रोकने के लिए हम अपने प्राणों का भी बलिदान करना पड़े तो हमें कर देना चाहिए।