Saturday, 15 May 2021

Do kalakar

पाठ – 10
दो कलाकार 
लेखक – मन्नू भंडारी 

 निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-

1. अरे यह क्या? इसमें तो सड़क, आदमी, ट्राम, बस, मोटर, मकान सब एक दूसरे पर चढ़ रहे हैं। मानो सबकी खिचड़ी पकाकर रख दी हो। क्या घनचक्कर बनाया है?

प्रश्न – 1 ‘अरे, यह क्या? -  वाक्य का वक्ता और श्रोता कौन है? उपर्युक्त कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘अरे,यह क्या’ वाक्य की वक्ता अरुणा है और श्रोता चित्रा है। जब चित्रा अपना बनाया हुआ चित्र सोती हुई अरुणा को दिखाने गई तो चित्र देखकर अरुणा को कुछ भी समझ में नहीं आया। अरुणा को चित्रों में कोई रुचि नहीं थी। अरुणा के कथन का आशय यह है कि चित्रा ने इतनी सारी चीजें एक चित्र में बनाकर खिचड़ी-सी बना दी है, जिसे देख कर कोई भी चक्कर खा सकता है।

प्रश्न – 2 चित्र को चारों ओर घुमाते हुए वक्ता ने श्रोता को चित्रों के संबंध में क्या सुझाव दिया था?

उत्तर – चित्र को चारों ओर घुमाते हुए वक्ता अर्थात अरुणा ने चित्रा को यह सुझाव दिया कि जब भी वह कोई चित्र बनाए तब उस पर उसका नाम लिख दे क्योंकि जब भी वह उसका चित्र देखती है तो समझ नहीं पाती कि वह चित्र किस चीज़ का चित्र है।

प्रश्न – 3 ‘खिचड़ी पकाकर’ और ‘घनचक्कर’ शब्दों का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि इनका प्रयोग किस संदर्भ में किया गया है और क्यों?

 उत्तर – ‘खिचड़ी पकाकर’ का अर्थ होता है बहुत सारी चीजों का एक साथ मिला देना और ‘घनचक्कर’ का अर्थ होता है जो चक्कर में डाल दे। इन दोनों शब्दों का प्रयोग चित्रा के चित्रों के लिए किया गया है क्योंकि चित्रा ने अपने चित्र में बहुत सारी चीजों को बनाकर खिचड़ी-सी बना दी थी जो चक्कर में डालने वाली थी।

प्रश्न – 4 श्रोता ने अपने चित्र को किसका प्रतीक बताया? वक्ता ने उसकी खिल्ली किस प्रकार उड़ाई?

 उत्तर – श्रोता अर्थात् चित्रा ने अपने चित्र के बारे में बताया कि यह चित्र आज की दुनिया में कंफ्यूजन का प्रतीक है। इस पर अरुणा ने उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा कि मुझे तो तेरे दिमाग के कन्फ्यूजन का प्रतीक नजर आ रहा है, बिना मतलब जिंदगी खराब कर रही है।

2. पर सच कहती हूँ मुझे तो सारी कला इतनी निरर्थक लगती है, इतनी बेमतलब लगती है कि बता नहीं सकती।

प्रश्न – 1 वक्ता को किस की कला निरर्थक लगती थी और क्यों? 

उत्तर – अरुणा को चित्रा की कला निरर्थक और बेमतलब लगती है क्योंकि चित्रा अपने चित्र को बनाने के लिए किसी चीज का ख्याल नहीं रखती थी, उसे दूसरों से कोई मतलब नहीं था। बड़ी से बड़ी घटना उसके लिए कोई महत्त्व नहीं रखती थी। हर घड़ी, हर जगह, हर चीज में वह अपने चित्रों के लिए मॉडल खोजा करती थी। अरुणा के अनुसार चित्रा यदि चित्रों को बनाने के बजाय किसी असहाय व्यक्ति की सहायता करें तो अच्छा रहता। अतः अरुणा मानती थी कि वही मनुष्य जीवन सार्थक होता है जिससे दूसरों को सहारा मिले।  

प्रश्न – 2 वक्ता ने उसकी कला पर व्यंग करते हुए क्या कहा और उसे क्या सलाह दी?

उत्तर – वक्ता यानी अरुणा ने चित्रा की कला पर व्यंग करते हुए यह सलाह दी कि वह यह निरर्थक और बेमतलब कला छोड़ दें जो आदमी को आदमी न रहने दे। अरुणा ने चित्रा को निर्जीव चित्रों को बनाने के बजाय असहाय लोगों की जिंदगी बनाने की बात कही पर ऐसा उसने इसलिए कहा क्योंकि वह बहुत ही अमीर पिता की इकलौती बेटी थी। वह चाहती तो किसी की भी मदद कर सकती थी, लेकिन उसे दूसरों की मदद करने में कोई रुचि नहीं थी। 
 
प्रश्न – 3 वक्ता की बात पर श्रोता ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की और क्यों?

उत्तर – वक्ता की बातों पर श्रोता चित्रा ने कहा कि यह काम तो तेरे लिए छोड़ दिया। मैं चली जाऊँगी तो जल्दी से सारी दुनिया का कल्याण करने के लिए झंडा लेकर निकल पड़ना। चित्रा ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि अरुणा में समाज सेवा का भाव था।

प्रश्न – 4 आपके अनुसार सच्ची कला की क्या पहचान है?

उत्तर – मेरे विचार से सच्ची कला वह है जिस कला से पूरे समाज को या पूरे देश को लाभ पहुँचे। वह कला बिल्कुल निरर्थक होती है जो केवल अपने स्वार्थ के लिए प्रस्तुत की जाती हो। चित्रा की कला निरर्थक थी और अरुणा की कला सच्ची कला थी क्योंकि उसने हमेशा समाज के दुर्बल और असहाय लोगों की मदद की।

3. यह काम तो मेरे लिए छोड़ दिया। मैं चली जाऊँगी तो जल्दी से सारी दुनिया का कल्याण करने के लिए झंडा लेकर निकल पड़ना।

प्रश्न – 1 वक्ता और श्रोता का परिचय दीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति की वक्ता चित्रा है जो एक चित्रकार है और बचपन से यह सपना देखती है कि वह विदेशों में जाकर खूब नाम कमाए। उसे भिखारिन वाले चित्र द्वारा खूब प्रसिद्धि मिलती है। प्रस्तुत कथन की श्रोता अरुणा है जो स्वभाव से एक समाज सेविका है वह हमेशा दुर्बल और असहाय लोगों की मदद के लिए तैयार रहती है। उसी ने भिखारिन के दो बच्चों को सहारा दिया और उनकी जिंदगी संवारी।

प्रश्न – 2 ‘वह काम’ से वक्ता का संकेत किस ओर है? वक्ता और श्रोता में अपने-अपने कामों को लेकर किस प्रकार की नोंक-झोंक चलती रहती थी?

 उत्तर – ‘वह काम’ से वक्ता यानी चित्रा का संकेत समाज सेवा की ओर है जो अरुणा किया करती थी लेकिन चित्रा को समाज सेवा करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी। अरुणा और चित्रा दोनों को एक-दूसरे के काम निरर्थक लगते थे। अरुणा चित्रा को हमेशा कहती थी कि तुम इन बेकार की चित्रों को बनाकर अपना समय बर्बाद कर रही हो, उसी तरह चित्रा भी हमेशा अरुणा के समाज सेवा को बेकार समझती थी। जिस कारण दोनों मित्रों में छोटी मोटी नोक-झोंक चलती रहती थी।

प्रश्न – 3 वक्ता कहाँ जा रही थी और क्यों?

उत्तर – वक्ता यानी चित्रा विदेश जा रही थी। वह अपने पिता की इकलौती बेटी थी। वह विदेश जाकर अपनी चित्र की कला को बढ़ाना, प्रसिद्धि पाना और अपने पिता का नाम रोशन करना चाहती थी। 

प्रश्न – 4 ‘वक्ता और श्रोता’ के जीवन-उद्देश्य में अंतर होते हुए भी उनमें घनिष्ट मित्रता थी’ – स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – अरुणा के जीवन का लक्ष्य समाज सेवा था और उसकी सहेली चित्रा के जीवन का उद्देश्य एक महान चित्रकार बनना था। दोनों के जीवन उद्देश्य में अंतर होते हुए भी उन्हें घनिष्ट मित्रता थी क्योंकि उनमें असीम प्रेम था। दोनों को एक दूसरे की परवाह थी। वह दोनों मन में उत्पन्न होने वाले मन-मुटाव, शंका और ईर्ष्या की भावना को दूर रखती थी। वे हॉस्टल में साथ रहती थी और एक दूसरे की मदद करती रहती थीं।

4. “कहा तो मेरे।” अरुणा से हँसते हुए कहा।
“अरे बता न, मुझे ही बेवकूफ बनाने चली है।”

प्रश्न – 1 ‘कहा तो मेरे’ वाक्य का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – कहा तो मेरे वाक्य का संदर्भ यह है कि विदेश से तीन साल बाद लौटने के उपरांत चित्रा का भारत में जोरदार स्वागत हुआ और दिल्ली में उसकी कला की प्रदर्शनी का आयोजन हुआ तो उद्घाटन करने के लिए चित्रा को ही बुलाया गया। अरुणा सिर्फ उससे मिलने के लिए उस प्रदर्शनी में आई थी। जब चित्रा और अरुणा मिले तो अरुणा के साथ दो बच्चे भी थे। चित्रा के पूछने पर अरुणा ने उन दोनों बच्चों को खुद के बच्चे बताती है। जिसे सुनकर चित्रा को विश्वास नहीं होता और वह अपने ही विचारों में खो जाती है

प्रश्न – 2 ‘मुझे ही बेवकूफ बनाने चली है’ –  वाक्य का संदर्भ स्पष्ट करते हुए बताइए कि वक्ता को श्रोता की किस बात पर विश्वास नहीं हुआ और क्यों?

उत्तर – चित्रा की कला प्रदर्शनी में जब अरुणा और चित्रा की भेंट हुई तो अरुणा के साथ दो बच्चे भी थे। लड़के की उम्र दस साल की थी और लड़की की उम्र आठ साल थी। जब चित्रा ने अरुणा से पूछा कि यह बच्चे किसके हैं तब अरुणा ने कहा कि मेरे बच्चे हैं। चित्रा को विश्वास नहीं हुआ कि वह बच्चे अरुणा के थे क्योंकि जब चित्रा तीन साल पहले विदेश गई थी तब अरुणा की शादी भी नहीं हुई थी तो उसके इतने बड़े बच्चे कैसे हो सकते थे।

प्रश्न – 3  अरुणा की कौन-सी बात सुनकर चित्रा की आँखें फैली की फैली रह गईं?

उत्तर – चित्रा के बार-बार पूछने पर जब अरुणा ने भिखारिनवाले चित्र के दोनों बच्चों पर ऊँगली रखकर बताया कि ये ही वो दोनों बच्चे हैं जिनको मैंने अपना लिया है तो चित्रा की आँखें फैली की फैली रह गईं।

प्रश्न – 4 चित्रा को किस चित्र से प्रसिद्धि मिली थी? चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।

उत्तर – चित्रा को उस मृत भिखारिन एवं बच्चों पर आधारित ‘अनाथ’ शीर्षकवाले चित्र द्वारा देश व विदेश में बहुत प्रसिद्धि मिली थी। चित्रा ने अपने चित्र में एक मृत भिखारिन और उसके सूखे शरीर से चिपक कर बुरी तरह से रो रहे दो बच्चों को चित्रित किया था।

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