Wednesday, 6 April 2022

बात अठन्नी की

बाजार के बाद गुपचुप रूप से अब बैंकों ने भी अठन्नी को नकारा

बात अठन्नी की
सुदर्शन

“अगर तुम्हें कोई ज्यादा दे, तो अवश्य चले जाओ । मैं तनख्वाह नहीं बनाऊंगा।''

I. वक्ता कौन है ? उसका परिचय दीजिए। उसने उपयुक्त वाक्य किस संदर्भ में कहा है?
 उत्तर - वक्ता  बाबू जगत सिंह है। वह बहुत रिश्वत लेते थे और रसीला को बहुत कम तनख्वाह देते थे। जब रसीला ने तनख्वाह को बढ़ाने की बात कही तो उन्होंने तनख्वाह बढ़ाने से मना कर दिया और कहा कि अगर कोई तुम्हें दस रुपए से ज्यादा तनख्वाह दे, तो चले जाओ। इस बात से यह पता चलता है कि वह कितने कठोर हृदय के व्यक्ति हैं।

II. श्रोता कौन है ? उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना क्यों की?
उत्तर - श्रोता रसीला है, जिसकी तनख्वाह दस रुपए है। उसने तनख्वाह बढ़ाने की प्रार्थना इसलिए की क्योंकि उसके गांव में बूढ़े पिता पत्नी एक लड़की और दो लड़के थे इन सब का भार उसी के कंधों पर था वह सारी तनख्वाह घर भेज देता पर घर वालों का गुजारा ना चल पाता था।

III. वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी क्यों नहीं छोड़ना चाहता था ?
उत्तर - वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि वह वहां इतने सालों से है लेकिन उस पर कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यदि वह कहीं और चला भी जाए तो शायद कोई ग्यारह - बारह दे दे, पर ऐसा आदर न मिलेगा।

IV. रसीला को रुपयों की आवश्यकता क्यों थी? उसकी सहायता किसने की? सहायता करने वाले के संबंध में उसके क्या विचार किया?
उत्तर - रसीला को रुपयों की आवश्यकता इसलिए थी क्योंकि उसके घर से खत आया था कि उसके बच्चे बीमार है और उनके पास पैसे नहीं है। उसकी सहायता रमज़ान ने की। रमजान के संबंध में रसीला के विचार थे कि गरीब होकर भी उसने मेरी सहायता की, वह आदमी नहीं, देवता है। ईश्वर उसका भला करें।

“बाबू साहब की मैंने इतनी सेवा की, पर दुख में उन्होंने साथ नहीं दिया।"

I. बाबू साहब कौन थे? उनका परिचय दीजिए।
उत्तर - बाबू साहब इंजीनियर जगतसिंह थे। वे बहुत भ्रष्ट और निर्दयी थे। रसीला उनके यहां कई सालो से नौकर था। जब रसीला अपना वेतन बढ़ाने की बात कहता तो वह नहीं मानते थे। एक दिन उन्होंने रसीला को उसकी छोटी - सी चोरी के लिए जेल पहुंचा दिया, लेकिन खुद रोजाना हज़ार – पांच सौ  की रिश्वत लेते थे।

II. वक्ता को कितना वेतन मिलता था? उसमें उसका गुजारा क्यों नहीं हो पाता था?
उत्तर - वक्ता रसीला था। उसको दस रुपए वेतन मिलता था लेकिन उसका गुजारा दस रूप में नहीं हो पाता था क्योंकि गांव में उसके बूढ़े पिता, पत्नी, एक लड़की और दो लड़के थे। इन सब का भार उसी के कंधों पर था।

III. बाबू साहब द्वारा वक्ता का वेतन ने बढ़ाए जाने पर भी वह कहीं और नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था ?
उत्तर - वेतन न बढ़ने पर भी रसीला बाबू जगतसिंह की नौकरी नहीं छोड़ना चाहता था क्योंकि उसे लगता था कि वह वहां इतने सालों से है लेकिन उस पर कभी किसी ने संदेह नहीं किया। यदि वह कहीं और चला भी जाए तो शायद कोई ग्यारह - बारह दे दे, पर ऐसा आदर न मिलेगा।

IV. वक्ता की परेशानी को किसने, किस प्रकार हल किया? इससे उसके चरित्र की किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर - वक्ता की परेशानी को रमज़ान ने हल किया। उसने कुछ पैसे उसको दे दिए। इससे उसके चरित्र की इस विशेषता का पता चलता है कि वह बहुत दयालु और दयावान था।

'बस पाँच सौ ! इतनी-सी रकम देकर आप मेरा अपमान कर रहे हैं।' ' हुजूर मान जाइए। आप समझे आपने मेरा काम मुफ्त किया है।'

I. वक्ता और श्रोता कौन-कौन है ? उनके कथन का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - वक्ता बाबू जगत सिंह हैं और श्रोता एक व्यक्ति है। जब श्रोता ने बाबू जगतसिंह को पांच सौ रुपए की रिश्वत पेश की तो बाबू जगत सिंह ने कहा कि इतनी - सी रकम मेरे लिए कम है, मैं तो बड़ा आदमी हूं मुझे और रिश्वत चाहिए।

II. रसीला उनकी बातचीत को सुनकर क्या समझ गया और क्या सोचने लगा?
उत्तर - रसीला उनकी बातचीत सुनकर समझ गया कि भीतर रिश्वत ली जा रही है। वह सोचने लगा कि रुपया कमाने का यह आसान तरीका है।

III. 'आप मेरा अपमान कर रहे हैं।' कथन से वक्ता का क्या संकेत था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - 'आप मेरा अपमान कर रहे हैं।' यह कथन बाबू जगतसिंह  का है, जिसके द्वारा वह यह संकेत देना चाहते हैं कि वह एक बड़े आदमी हैं और उनके लिए पांच  सौ रुपए की रिश्वत बहुत कम है।

IV. उपर्युक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त किस बुराई की ओर संकेत किया गया है? इस बुराई का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर - उपयुक्त पंक्तियों में समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी की ओर संकेत किया गया है। इस बुराई का समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। जो लोग रिश्वत लेते हैं, वह किसी का काम बिना रिश्वत लिए नहीं करना चाहते और जो लोग ईमानदार हैं तथा रिश्वत नहीं लेते उन्हें कुछ नहीं मिलता। इस कारण अमीर लोग और अमीर होते जा रहे हैं और गरीब लोग और गरीब होते जा रहे हैं।

बस इतनी-सी बात! हमारे शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं।

I. वक्ता और श्रोता कौन-कौन है? दोनों का परिचय दीजिए।
उत्तर - वक्ता रमज़ान है तथा श्रोता रसीला है। रमज़ान जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के यहां चौकीदार है तथा रसीला इंजीनियर बाबू जगतसिंह के यहां नौकर है। यह दोनों अच्छे मित्र हैं तथा दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख के साथी हैं।

II. 'बस इतनी-सी बात' - पंक्ति का व्यंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - रमज़ान ने यह व्यंग इसलिए किया क्योंकि रिश्वत लेने के मामले में शेख सलीमुद्दीन बाबू जगतसिंह के भी गुरु थे। बाबू जगत सिंह ने रिश्वत में पांच सौ रुपए ही लिए थे, यदि शेख सलीमुद्दीन होते तो एक हज़ार रुपए से कम में न मानते।

III. 'शेख साहब तो उनके भी गुरु हैं' - वाक्य में 'शेख साहब' और 'उनके' शब्दों का प्रयोग किस-किसके लिए किया गया है? 'उनके भी गुरु है’ - पंक्ति द्वारा क्या व्यंग किया गया है?
उत्तर - वाक्य में 'शेख साहब' शेख सलीमुद्दीन के लिए तथा 'उनके' बाबू जगतसिंह के लिए प्रयोग किया गया है। वाक्य में 'उनके भी गुरु है' व्यंग इसलिए किया गया है क्योंकि न्याय के सिंहासन पर बैठ कर भी शेख सलीमुद्दीन रिश्वत का लेन-देन किया करते थे और हज़ार से कम में न मानते थे।

IV. वक्ता ने 'शेख साहब' के संदर्भ में श्रोता से अपनी विवशता के संबंध में क्या-क्या कहा ?
उत्तर - रमज़ान में रसीला से कहा कि बाबू साहब द्वारा ली जा रही रिश्वत शेख साहब के मुताबिक बहुत कम है। रमजान के अनुसार गुनाह का फल मिलेगा या नहीं, यह तो भगवान जाने, पर ऐसी ही कमाई से कोठियों में रहते हैं, और एक हम हैं कि परिश्रम करने पर भी हाथ में कुछ नहीं रहता।

'रसीला ने तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया । उसने कोई बहाना नहीं बनाया।'

I. रसीला का मुकदमा किस की अदालत में पेश हुआ ? उनका परिचय दीजिए।
उत्तर - रसीला का मुकदमा शेख सलीमुद्दीन की अदालत में पेश हुआ था। शेख सलीमुद्दीन बाबू जगत सिंह के पड़ोसी थे तथा जिला मजिस्ट्रेट होते हुए भी वे बहुत बेईमान और रिश्वतखोर थे।

II. रसीला का क्या अपराध था? उसने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया, इससे उसके चरित्र की किस विशेषता की ओर संकेत होता है?
उत्तर - रसीला का अपराध बस इतना ही था कि उसने रमज़ान का कर्ज उतारने के लिए बाबू जगतसिंह द्वारा मंगाई गई पांच रुपए की मिठाई में अठन्नी की हेरा-फेरी की थी।
चोरी पकड़े जाने पर उसने अपना अपराध तुरंत स्वीकार कर लिया, जिससे यह सिद्ध होता है कि वह एक भला मानस और ईमानदार व्यक्ति था।

III. रसीला क्या-क्या बहाने बनाकर अपने को बेकसूर साबित कर सकता था, पर उसने ऐसा क्यों नहीं किया?
उत्तर - रसीला चाहता तो वह यह कह सकता था कि यह साजिश है। मैं नौकरी नहीं करना चाहता इसीलिए हलवाई से मिलकर मुझे फंसाया जा रहा हैं, पर एक और अपराध करने का साहस रसीला न जुटा पाया।

IV. रसीला को कितनी सजा हुई? न्याय व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - रसीला को सिर्फ एक अठन्नी की हेरा-फेरी के लिए छह महीने की कारावास का दंड मिला। प्रस्तुत कहानी में न्याय व्यवस्था पर करारा प्रहार किया गया है। जो लोग ऊंचे पदों पर बैठे हैं, वे हजारों की रिश्वत का लेन देन करते हैं और कोठियों में रहकर एक सम्मानित जीवन व्यतीत करते हैं, वही एक गरीब मात्र एक अठन्नी की हेराफेरी के लिए छह महीने कारावास का दंड भोगता है।

'फैसला सुनकर रमज़ान की आंखों में खून उतर आया।'

I. रमज़ान कौन था ? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर - रमजान का रसीला का मित्र था। वह जिला मजिस्ट्रेट शेख सलीमुद्दीन के यहां चौकीदार था और बहुत ही दयावान था। उसने रसीला की सहायता उसके बुरे समय में की थी।

II. फैसला किसने सुनाया था ? उसकी चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - फैसला शेख सलीमुद्दीन में सुनाया था। वह खुद ही बहुत बड़े रिश्वतखोर थे न्याय की गद्दी पर बैठकर भी वे बहुत बड़े बेईमान और भ्रष्ट व्यक्ति थे

III. फैसला सुनकर रमज़ान क्या सोचने लगा?
उत्तर - फैसला सुनकर रमजान की आंखों में खून उतर आया और वह सोचने लगा कि यह दुनिया न्याय नगरी नहीं, अंधेर नगरी है। चोरी पकड़ी गई तो अपराध हो गया। असली अपराधी बड़ी-बड़ी कोठियों में बैठकर दोनों हाथों से धन बटोर रहे हैं। उन्हें कोई नहीं पकड़ता।

IV. 'बात अठन्नी की' कहानी द्वारा लेखक ने क्या संदेश दिया है?
उत्तर - बात अठन्नी की कहानी द्वारा लेखक ने यह संदेश दिया है कि अमीर लोग रिश्वत का लेन-देन करके भी सम्मानित जीवन व्यतीत करते हैं, जबकि एक निर्धन व्यक्ति केवल एक अठन्नी की हेरा-फेरी करने के जुर्म में छह महीने की कारावास का दंड भोगता है। यदि हमारे समाज में रिश्वतखोरी ऊपर करारा व्यंग किया जाए तो हमारे समाज में रिश्वतखोर कम होने लगेंगे।

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