गिरिधर की कुंडलियाँ
- गिरिधर कविराय
निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
1. लाठी में गुण बहुत हैँ ____________हाथ महँ लीजै लाठी।।
प्रश्न – 1 गिरिधर कविराय ने लाठी के किन-किन गुणों की ओर संकेत किया है?
उत्तर – कवि कहते हैं कि लाठी में बहुत गुण है, इसलिए इसे हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। यदि गहरी नदी या नाली हो तो यह न सिर्फ हमें गिरने से बचाती है, बल्कि लाठी के सहारे हम गहराई नाप कर उसे पार भी कर सकते है। मार्ग में कुत्ते से सामना हो तो लाठी द्वारा उससे रक्षा हो सकती है। लाठी से दुश्मन पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।
प्रश्न – 2 लाठी हमारी किन-किन स्थितियों में सहायता करती है?
उत्तर – लाठी अनेक प्रकार से हमारी सहायता करती है। नदी व नाली की गहराई नापने के काम आती है। मार्ग में अगर कुत्ता झपट पड़े तो उससे बचाव हो सकता है और दुश्मन अगर आक्रमण करें तो लाठी उससे भी हमें बचा सकती है।
प्रश्न - 3 कवि सब हथियारों को छोड़कर अपने साथ लाठी रखने की बात कह रहे हैं। क्या आप उनकी बात से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि सब हथियारों को छोड़कर अपने साथ लाठी रखने की बात कह रहे हैं। हाँ, हम उनकी बातों से सहमत हैं क्योंकि लाठी घर के बाहर सब जगह रखी जा सकती है, यह हथियार भी नहीं है जो इसे रखने पर पाबंदी होगी। यह हर प्रकार से मनुष्य की सच्ची दोस्त है, जो हर प्रकार के मनुष्य की रक्षा करती है।
प्रश्न – 4 शब्दार्थ लिखिए – नारी, दावागीर, तिनहूँ, छाँड़ि
उत्तर – नारी – नाली,
दावागीर – हमला,
तिनहूँ – उनके ,
छाँड़ि – छोड़कर
2. कमरी थोरे दाम कि _____________ बड़ी मर्यादा कमरी।।
प्रश्न – 1 छोटी-सी कमरी हमारे किस-किस काम आ सकती है?
उत्तर – कवि के अनुसार काला कमरी( साधारण कंबल ) थोड़ी मूल्य में प्राप्त हो जाती है। इसके अनेक लाभ हैं जैसे कीमती कपड़ों को लपेट कर उन्हें कंबल में रखा जा सकता है क्योंकि यह कीमती कपड़ों को धूल व धूप से बचाता है, उनका मान रखता है। इसकी छोटी-सी गठरी बनाई जा सकती है। रात में कंबल को झाड़ कर बिछाया जा सकता है तथा उस पर आराम से सोया जा सकता है।
प्रश्न – 2 गिरिधर कविराय के अनुसार कमरी में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर – कवि के अनुसार कंबल थोड़े से मूल्य में ही प्राप्त हो जाता है। इसके अनेक लाभ हैं। उत्तम वे महंगे कपड़ों को लपेटकर कंबल में रखा जा सकता है, जिससे उन कपड़ों पर धूल व धूप लगने से बचती है और उनका मान बना रहता है। इसकी छोटी-सी गठरी बनाई जा सकती है। रात में कंबल को झाड़ कर बिछाया जा सकता है और उस पर आराम से सोया जा सकता है, इसलिए इसे हमेशा साथ रखना चाहिए।
प्रश्न – 3 ‘बकुचा बाँटे मोट, राति को झारि बिछाव’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – इस पंक्ति द्वारा कवि कहना चाहते हैं कि इस कमरी के अनेक लाभ हैं। यह हमारे बहुत प्रकार से काम आती है। हम रात में कमरे को झाड़ कर उसे बिछा सकते हैं तथा उस पर आराम से सोया भी जा सकता है। इसी प्रकार ठंड लगने पर इसे ओढ़ा भी जा सकता है।
प्रश्न – 4 ‘खासा मलमल वाफ़्ता, उनकर राखै मान’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर - उपर्युक्त पंक्ति द्वारा कवि बताते हैं कि खासा व मलमल और महंगे कपड़ों को कमरी धूप में धूल और पानी से बचाती है, उनका मान रखती है। अत: कंबल बहुत उपयोगी चीज़ है।
3. गुन के गाहक सहस ________________ सहस नर गाहक गुन के।।
प्रश्न – 1 ‘गुन के गाहक सहस नर’ को स्पष्ट करने के लिए कविराय ने कौन-सा उदाहरण दिया है और क्यों?
उत्तर – कवि के अनुसार संसार में सर्वत्र गुणी व्यक्ति का आदर व सम्मान होता है। गुणी व्यक्ति को चाहने वाले हजारों होते हैं। ऐसे व्यक्ति को कोई नहीं पूछता, जिसमें कोई गुण न हो। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुणों का विकास करना चाहिए। कवि ने कौवा और कोयल का उदाहरण देकर भी समझाया है कि कौवा और कोयल दोनों का रंग काला होता है, किंतु कोयल को उसकी आवाज़ की वजह से पसंद किया जाता है और कौवे को उसकी कर्कश आवाज की वजह से कोई पसंद नहीं करता।
प्रश्न – 2 कागा और कोकिला में कौन-सी बात समान है और कौन- सी असमान? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि के अनुसार कागा और कोकिला दोनों का रंग काला होता है और दोनों समान आकर के भी होते हैं, किंतु कोयल को उसकी मधुर आवाज़ के कारण पसंद किया जाता है और कौवे को उसकी काँव-काँव की वजह से कोई पसंद नहीं करता।
प्रश्न – 3 बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – कवि इस पंक्ति द्वारा कहते हैं कि समाज में केवल गुणों की सराहना की जाती है। गुणों का ही आदर किया जाता है, रंग रूप आदि का नहीं। बिना गुणों के किसी भी व्यक्ति का सम्मान नहीं होता और गुणी व्यक्ति को चाहने वाले हज़ारों होते हैं।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त कुंडलियों का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि इस कुंडलियां द्वारा क्या संदेश दिया गया है?
उत्तर – केंद्रीय भाव यह है कि गुणी व्यक्ति के हज़ारो प्रशंसक होते हैं एवं उसके गुणों की सरहाना की जाती है, इसलिए व्यक्ति को सदैव अपने गुणों का विकास करने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।
4. साईं सब _______________________ कोई साईं।।
प्रश्न – 1 कवि के अनुसार इस संसार में किस प्रकार का व्यवहार प्रचलित है?
उत्तर – कवि के अनुसार इस संसार में सभी लोग मतलब से व्यवहार करते हैं, मतलब से ही संबंध बनाए रखते हैं और जब मतलब सिद्ध हो जाता है तब संबंध समाप्त हो जाता है। भाव यह है कि संसार में लगभग सभी व्यक्ति स्वार्थी हैं। जब तक किसी पर धन दौलत रुपया पैसा रहेगा उसके मित्र उसके चारों ओर बैठे रहेंगे और जब धन समाप्त हो जाता है तब मित्रता भी समाप्त हो जाती है।
प्रश्न – 2 ‘साईं सब संसार में’ - शीर्षक कुंडलिया से मिलने वाले संदेश पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - 'साईं इस संसार में’ नामक शीर्षक कुंडली से संदेश मिलता है कि दुनिया में रहने वाले सभी व्यक्ति स्वार्थी एवं मतलबी होते हैं। जब तक उनका मतलब सिद्ध होता है तब तक व्यक्ति के साथ संबंध बना रहता है और जब मतलब खत्म हो जाता है तो संबंध भी समाप्त हो जाता है।
प्रश्न – 3 उपर्युक्त कुंडलिया में सच्चे एवं झूठे मित्र की क्या पहचान बताई गई है?
उत्तर – उपर्युक्त कुंडलिया में बताया गया है कि सच्चा मित्र विपरीत परिस्थितियों में भी कभी साथ नहीं छोड़ता, परंतु झूठा मित्र सुख में तो हरदम साथ रहता है और दुख पड़ने पर मित्र को भूल जाता है। सच्ची मित्रता मरते दम तक साथ रहती है, परंतु झूठी मित्रता चार दिन की चांदनी के बाद समाप्त हो जाती है।
प्रश्न - 4 उपर्युक्त कुंडलिया का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर - प्रस्तुत कुंडलिया में कवि ने इस बात पर बल दिया है कि हमें मित्रों का चयन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए क्योंकि इस संसार में बहुत से स्वार्थी लोग भरे हैं जो हमारे अच्छे समय में तो हमारे साथ रहते हैं किंतु बुरे वक्त में हम से दूरी बना लेते हैं और सीधे मुंह बात भी नहीं करते। अतः संसार का यही व्यवहार है, यही रीति है और यहाँ का व्यवहार स्वार्थ पर आधारित है।
5. रहिए लटपट ______________________ छाया में रहिए।।
प्रश्न – 1 कवि के अनुसार हमें किस प्रकार के पेड़ की छाया में बैठना चाहिए और क्यों?
उत्तर – कवि के अनुसार हमें मजबूत पेड़ की छाया में ही बैठना चाहिए क्योंकि आँधी या तूफ़ान आने पर उसके पत्ते तो झड़ सकते हैं किंतु तना और डालियाँ सुरक्षित रहेंगी। अतः मनुष्य को भी किसी बलवान व्यक्ति के साथ ही संगत करनी चाहिए क्योंकि वह खुद को भी सुरक्षित रखता है और अपने पास आए व्यक्ति को भी सुरक्षित रख सकता है।
प्रश्न – 2 ‘छाँह मोटे की गहिए’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति द्वारा गिरिधर कविराय जी हमें मोटे तने वाले पेड़ की छाँव में बैठने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि तूफान व आँधी आने पर उसके पत्ते तो झड़ सकते हैं, किंतु उसका तना व डालियाँ सुरक्षित रहती हैं। अतः मनुष्य को किसी अनुभवी व मजबूत व्यक्ति के साथ संगत करनी चाहिए क्योंकि विपत्ति आने पर वह स्वयं को भी संभाल सकता है और अपने संगी साथी को भी।
प्रश्न – 3 उपर्युक्त कुंडलियां द्वारा कवि क्या संदेश दे रहे हैं?
उत्तर – उपर्युक्त कुंडली द्वारा कविराय पेड़ के माध्यम से यह संदेश दे रहे हैं कि हमें समर्थ एवं अनुभवी व्यक्ति का सहारा लेना चाहिए निर्बल का नहीं। निर्बल व्यक्ति न अपनी सुरक्षा कर सकता है न ही दूसरे की जबकि सबल व्यक्ति स्वयं भी सुरक्षित रहता है और अपने पास आए व्यक्ति को भी सुरक्षित रख सकता है।
प्रश्न – 4 कवि के अनुसार एक दिन कौन धोखा देगा तथा कब ? उससे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए?
उत्तर – कवि के अनुसार जिस प्रकार आँधी व तूफ़ान में पतले तने वाला पेड़ और कमजोर डालियाँ टूट जाती हैं उसी प्रकार विपत्ति आने पर कमजोर व्यक्ति भी धोखा दे देता है। अतः ऐसे धोखे से बचने के लिए मजबूत एवं अनुभवी व्यक्ति के साथ रहना चाहिए।
6. पानी बाढ़ै नाव में _____________________ राखिये अपना पानी।।
प्रश्न – 1 ‘दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानों काम’ – पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति द्वारा कविराय जी कहते हैं कि यदि नाव में ज्यादा पानी आ जाए या घर में धन बढ़ जाए तो हमें दोनों हाथों से उसे निकालकर परोपकारी कार्यों में लगाना चाहिए। यही बुद्धिमानी का काम है। अतः हमें सबका परोपकार करना चाहिए।
प्रश्न – 2 ‘पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि अगर कभी जीवन में किसी का परोपकार करने के लिए हमें शीश का बलिदान भी देना पड़े तो हमें अवश्य शीश को अर्पित कर देना चाहिए। अर्थात् दूसरों के भले के लिए हमें प्रभु का नाम स्मरण करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे देना चाहिए।
प्रश्न – 3 उपर्युक्त कुंडलिया में ‘बड़ों की किस वाणी’ की चर्चा की गई हैं तथा क्यों?
उत्तर – उपर्युक्त कुंडलियां में बड़े बुजुर्गों ने यह सीख दी है कि हमें हमेशा अच्छे ढंग से जीवन यापन करना चाहिए और सही मार्ग पर चलते हुए अपने सम्मान को बनाए रखना चाहिए। बड़े बुजुर्गों ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि सही मार्ग पर चलने से ही हम अपने सम्मान की रक्षा कर सकते हैं।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त कुंडलिया का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर – उपर्युक्त कुंडलिया का प्रतिपाद्य यह है कि जब नाव में अधिक पानी भर जाए या घर में अधिक धन हो जाए तो हमें उसका प्रयोग खुशी से दूसरे के भले के लिए परोपकारी कार्यों में करना चाहिए।
7. राजा के दरबार में ____________________ बहुरि अनखैहैं राजा।।
प्रश्न – 1 राजा के दरबार में कब जाना चाहिए, कहाँ नहीं बैठना चाहिए और क्यों?
उत्तर – व्यवहार कुशलता के विषय में बताते हुए कविराय जी ने बताया है कि हमें अवसर पाकर ही राजा के दरबार में जाना चाहिए और अपने स्तर के अनुसार ही स्थान ग्रहण करना चाहिए। हमें ऐसे स्थान पर नहीं बैठना चाहिए जो हमारे स्तर के अनुसार नए हो क्योंकि ऐसे स्थान पर बैठने से हमें कोई भी वहाँ से उठा सकता है।
प्रश्न – 2 कवि ने दरबार में कब बोलने और कब न बोलने की सलाह दी है?
उत्तर – गिरिधर कविराय जी ने यह सलाह दी है कि राजा के दरबार में जब कुछ बोलने को कहा जाए तभी राजा के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने चाहिए। बोलते समय संयम बरतना चाहिए तथा अधिक उतावला नहीं होना चाहिए। जब तक बोलने के लिए कुछ कहा न जाए तब तक चुप ही रहना चाहिए। यही व्यवहार की कुशलता है।
प्रश्न – 3 ‘हँसिये नहीं हहाय, बात पूछे ते कहिए’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहते हैं?
उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से गिरिधर कविराय जी कहना चाहते हैं कि राजा के दरबार में ज़ोर–ज़ोर से नहीं हँसना चाहिए। बोलने के लिए उतावला नहीं होना चाहिए और जब कुछ पूछा जाए तभी बोलना चाहिए।
प्रश्न – 4 उपर्युक्त कुंडलिया से क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर – उपर्युक्त कुंडली से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी प्रकार की सभा में अपने स्तर के अनुकूल स्थान ग्रहण करना चाहिए, सभा में कभी भी ज़ोर-ज़ोर से नहीं हँसना चाहिए, बोलने के लिए उतावला नहीं होना चाहिए और जब बोलने के लिए कहा जाए तभी बोलना चाहिए।
kataii zeher answers - maja aa gya
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