Monday, 5 May 2025

Class 8 संस्कृत CH 2 Pratham kuuph

सरोवर के चारों ओर एक छोटा-सा राज्य था। एक बार गर्मियों में भयंकर गर्मी पड़ी और वर्षा नहीं हुई। सरोवर सूख गया। लोग चिंतित हो गए। वे सभी राजा के पास गए।

किसानों और मछुआरों ने कहा, "लंबे समय से वर्षा नहीं हुई। हमारे खेत सूख गए हैं। सरोवर में मछली पकड़ने के लिए मछलियाँ नहीं हैं। हम अपनी आजीविका कैसे चलाएँगे? हे राजन, हमारी रक्षा करें।

जल की खोज के लिए राजा ने चारों दिशाओं में चार कुशल सेनापतियों को भेजा। उन्होंने दिन-रात जल की खोज की। उनमें से तीन सेनापति खाली हाथ नगर लौट आए।जो सेनापति उत्तर दिशा में गया, उसने सोचा, "मुझे किसी भी तरह जल की खोज करनी होगी। यह मेरा कर्तव्य है।" वह आगे बढ़ता गया। अंततः उसे पर्वत पर एक ठंडा गाँव मिला। जब वह पर्वत की घाटी में बैठा, तब एक वृद्धा वहाँ आई और उसके पास बैठ गई।


सेनापति ने कहा, "मैं एक सुंदर राज्य से आया हूँ, जहाँ पूरे वर्ष वर्षा नहीं हुई। क्या तुम जल खोजने में मेरी सहायता करोगी?"वह महिला सेनापति का अनुसरण करने को तैयार हो गई और उसे एक पर्वत गुफा में ले गई। उसने गुफा में हिमशंकु दिखाते हुए कहा, "यह हिम है। इसे ले लो। तुम्हारा देश कभी प्यासा नहीं रहेगा।"सेनापति ने एक बड़ा हिमखंड तोड़ा और उसे अपने रथ में रखा। वह तेजी से घर की ओर लौटा। जब तक वह नगर पहुँचा, तब तक वह विशाल हिमशंकु छोटा हो गया था।

सभी आश्चर्य से उस हिमखंड को देख रहे थे। "यह जल-बीज हो सकता है," एक मंत्री ने अचानक कहा।राजा ने जल-बीज को शीघ्र बोने का आदेश दिया। जब किसानों ने गड्ढा खोदा, तो हिमखंड और अधिक पिघल गया।उन्होंने जल्दी से उस बीज को गड्ढे में रखा, लेकिन उसे ढकने से पहले ही वह बीज अदृश्य हो गया। उन्होंने उस गड्ढे को और गहरा, रात तक खोदा और उस विचित्र बीज की खोज की।सेनापति ने कहा, "मैं एक सुंदर राज्य से आया हूँ, जहाँ पूरे वर्ष वर्षा नहीं हुई। क्या तुम जल खोजने में मेरी सहायता करोगी?"वह महिला सेनापति का अनुसरण करने को तैयार हो गई और उसे एक पर्वत गुफा में ले गई। उसने गुफा में हिमशंकु दिखाते हुए कहा, "यह हिम है। इसे ले लो। तुम्हारा देश कभी प्यासा नहीं रहेगा।"सेनापति ने एक बड़ा हिमखंड तोड़ा और उसे अपनी रथ में रखा। वह तेजी से घर की ओर लौटा। जब तक वह नगर पहुँचा, तब तक वह विशाल हिमशंकु छोटा हो गया था।
सुबह राजा ने गड्ढे में देखा। चकित होकर उसने जोर से कहा, "जागो, मेरी प्रजा! जल-बीज अंकुरित हो गया है। गड्ढे में जल है।" इस प्रकार पहला कुआँ बनाया गया।

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