Wednesday, 9 December 2020

संदेह

संदेह 
लेखक – जयशंकर प्रसाद 

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

1. मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है ।

प्रश्न 1 -  वक्ता एवं श्रोता कौन है? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई?

उत्तर – वक्ता रामनिहाल है और श्रोता श्यामा है। रामनिहाल कहता है कि वह बहुत ही चालाक व्यक्ति था, जितना कि मनुष्य को नहीं होना चाहिए और  इसी कारण वह अपने आप को अभागा बना चुका था । वह भारत के विभिन्न प्रदेशों में व्यवसाय पाने  की तलाश में घूमता रहता था, किंतु श्यामा के घर आकर ही उसे घर के सुख-दुख  देखकर पता चला कि वह पहले गृहहीन था।

प्रश्न 2 – अपनी महत्वाकांक्षा तथा उन्नतशील विचारों के बारे में वक्ता ने क्या कहा? 

उत्तर – वक्ता (रामनिहाल) हमेशा नया कार्य ढूंढता रहता था और अपने को कहीं रुकने नहीं देता था। वह जिन लोगों के यहाँ  नौकरी करता था, वे बड़े ही सज्जन थे । रामनिहाल सोचता था कि वह इससे भी अच्छी नौकरी  पा सकता है और दूसरी जगह नौकरी ढूंढता रहता था। वह सोचता था कि कभी न कभी तो वह इस चाह  को संभव कर ही पाएगा।

प्रश्न 3 – वक्ता ने श्रोता से किस घटना का उल्लेख किया?

उत्तर – वक्ता (रामनिहाल) ने श्रोता (श्यामा) को बताया कि जब वह काम से छुट्टी पाकर दशाश्वमेध घाट पर जा रहा था तभी उसके मालिक ब्रजकिशोर ने उसे कहा कि तुम गंगा घूमने तो जा ही रहे तो मेरे कुछ निकट संबंधी को भी ले जाओ और वहाँ उनकी मुलाकात मनोरमा से हुई जिसका पति उसपर  संदेह करता था। 

प्रश्न 4 – क्या आप वक्ता  के उपर्युक्त  कथन से सहमत हैं? कारण सहित बताइए?
  
उत्तर – हाँ, हम वक्ता (रामनिहाल) के  कथन से सहमत हैं क्योंकि जो लोग अपने आप को चतुर समझने लगते हैं  तो वे  अपने साथियों की सलाह नहीं लेते और कुछ न कुछ गलत कर बैठते हैं, जिससे उन्हें बहुत बड़ी हानि हो सकती है। ऐसे लोग अपने आप पर घमंड करने लगते हैं और उन्हें सफलता नहीं मिलती है।

2. भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है? किंतु संसार तो दूसरे को मूर्ख बनाने के व्यवसाय पर चल रहा है।

प्रश्न 1 – रामनिहाल को ब्रजकिशोर बाबू और मोहनलाल के संबंध में किस विशेष बात का पता चला? 

उत्तर – रामनिहाल को इन दोनों के संबंध के बारे में यह पता चला कि ब्रजकिशोर मोहनलाल को अदालत में पागल साबित करना चाहता है क्योंकि वह उसका अकेला निकट संबंधी है और मोहनलाल को इस बात का संदेह हो गया था और वह सोचते थे कि उनकी पत्नी भी इसमें सम्मिलित है।

प्रश्न 2 - भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है? रामनिहाल ने ऐसा क्यों कहा ?

उत्तर – रामनिहाल ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि जब मोहनलाल को पता लगता  है कि ब्रजकिशोर उसकी सारी संपत्ति लेना चाहते हैं तो उसे लगता है कि उनकी पत्नी ब्रजकिशोर की मदद कर रही है। इसलिए वह उससे अच्छा व्यवहार नहीं करता। परंतु कोई नहीं जानता कि यह सच है या नहीं इसलिए रामनिहाल  ने ऐसा कहा।

प्रश्न 3 – मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र क्यों लिखे थे? उन पत्रों को लेकर रामनिहाल को क्या संदेह होने लगा था?

उत्तर – मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र इसलिए लिखें क्योंकि मोहनलाल मनोरमा पर संदेह कर रहा था कि वह ब्रजकिशोर के साथ मिलकर उसकी संपत्ति लेना चाहती है। वह चाहती थी कि रामनिहाल मोहनलाल को समझाए और उसकी सहायता करें। रामनिहाल को संदेह होने लगा था कि मनोरमा शायद उससे प्रेम करने लगी है।

प्रश्न 4 -  रामनिहाल  के हाथ में किसका चित्र था? चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा?

उत्तर – रामनिवास के हाथ में श्यामा का चित्र था। चित्र देखकर श्यामा ने रामनिहाल से कहा - क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो? यह अच्छी फांसी लगी है तुमको। निहाल बाबू प्यार करना बड़ा कठिन है। तुम इस खेल को नहीं जानते इसके चक्कर में पड़ना भी मत। हाँ, एक दुखिया स्त्री को तुम्हारी सहायता की जरूरत है, जाओ जाकर उसकी मदद करके आओ। तुमको अभी यहीं रहना है।

No comments:

Post a Comment

गिरिधर की कुंडलियाँ

गिरिधर की कुंडलिया वीडियो लेक्चर - 1 गिरिधर की कुंडलिया वीडियो लेक्चर - 2 गिरिधर की कुंडलियाँ - गिरिधर  कवि राय  निम्नलिखित पंक्...