Monday, 4 November 2024

वह जन्मभूमि मेरी


वह जन्मभूमि मेरी
कवि - सोहनलाल द्विवेदी 

पद्यांशों के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

1. ऊँचा खड़ा हिमालय, आकाश चूमता है,  _ _ _ _ _ _ _ _ वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।। 

प्रश्न – 1 उपर्युक्त पंक्तियाँ किस कविता से ली गई हैं?  उसके रचयिता कौन हैं?  कवि ने भारत की उत्तर तथा दक्षिण दिशाओं की किस-किस विशेषता का वर्णन किया है?

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियाँ ‘वह जन्मभूमि मेरी’ नामक कविता से ली गईं हैं। इसके रचयिता ‘सोहनलाल द्विवेदी’ जी हैं। कवि ने भारत के उत्तर में स्थित हिमालय का वर्णन किया है,  जिसकी ऊँचाई मानो आकाश को छू रही हो और भारत के दक्षिण में स्थित हिंद महासागर का वर्णन किया है जिसको देखकर ऐसा लगता है मानो वह भारत के पैरों के नीचे निरंतर झूमता रहता है। 

प्रश्न – 2 कवि ने ‘त्रिवेणी’ शब्द का प्रयोग किस लिए किया है? त्रिवेणी कहाँ है तथा वहाँ  कौन-कौन-सी नदियाँ आकर मिलती हैं? 

उत्तर – उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में जिस स्थान पर गंगा,  यमुना और सरस्वती – इन तीनों नदियों का संगम होता हैं,  उसे ‘त्रिवेणी’ कहा जाता है। 

प्रश्न – 3 कवि ने भारत को ‘पुण्यभूमि’ और ‘स्वर्णभूमि’ के विशेषणों से क्यों संबोधित किया है?  

उत्तर – कवि ने भारत को पुण्यभूमि इसलिए कहा है क्योंकि वे भारत के प्राकृतिक सौंदर्य और उसकी महानता से अत्यंत प्रभावित हैं। उनके अनुसार भारत के उत्तर में फैले हिमालय पर्वत की ऊँचाई, भारत के पैरों में झूमता हिंद महासागर और गंगा,  यमुना और सरस्वती जैसी नदियाँ इसे महान बनाते हैं। कवि ने भारत को स्वर्णभूमि इसलिए कहा है क्योंकि जहां की भूमि में मिट्टी अत्यंत उर्वरा है, यहाँ खूब फसलें होती हैं जो माता पिता के समान हमारा पालन-पोषण करती है। 

प्रश्न – 4 कवि ‘हिमालय’ और ‘सिंधु’ के संबंध में क्या कल्पना करता है? 

उत्तर – कवि ने हिमालय और सिंधु के संबंध में कल्पना की है कि हिमालय को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मानो वह  आकाश को छू रहा हो। भारत के दक्षिण में स्थित सिंधु अर्थात हिंद महासागर को देखकर ऐसा लगता है की वह भारत के पैरों के नीचे निरंतर झूमता रहता हो। 

2. झरने अनेक झरते, जिसकी पहाड़ियों में, _ _ _ _ _ _ _ _ वह जन्मभूमि मेरी,  वह मातृभूमि मेरी।। 

प्रश्न – 1 उपर्युक्त पंक्तियों के आधार पर भारत-भूमि के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – भारत भूमि के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं कि भारतवर्ष की पहाड़ियों से अनेक झरने निकलते हैं और यहाँ की झाड़ियों में चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई पड़ती है। यहाँ पर जगह-जगह आम के बाग है,  जिसमें सुबह-सुबह कोयल की मधुर आवाज़ सुनाई पड़ती है और मलयाचल पर्वत से आती हुई शीतल मंद और सुगंधित हवा सभी को प्रसन्नता से भर देती है। 

प्रश्न – 2 भारत – भूमि  की पहाड़ियों,  अमराइयों और पवन की क्या-क्या विशेषताएँ हैं? 

उत्तर – भारत की पहाड़ियों की विशेषता यह है कि उनमें से अनेक झरने निकलते हैं। अमराइयों की विशेषता यह है कि वसंत ऋतु में उसमें से कोयल की कूक सुनाई पड़ती है और मलयाचल पर्वत से आती हुई शीतल मंद और सुगंधित पवन सभी को प्रसन्नता से भर देती है। 

प्रश्न – 3 कवि ने भारत-भूमि को ‘धर्मभूमि’ और ‘कर्मभूमि’ कहकर क्यों संबोधित किया है? 

उत्तर – कवि ने भारत भूमि को धर्म भूमि इसलिए कहा है क्योंकि यहाँ धर्म का बोलबाला है अर्थात यहाँ  के निवासी धर्म में आस्था रखते हैं और कभी ने भारत भूमि को कर्मभूमि इसलिए कहा है क्योंकि यह हमें कर्म करने की प्रेरणा देती है। दक्षिण भारत के पहाड़ों से आने वाली हवा सभी को उल्लासित करती है। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का प्रतिपाद्य लिखिए। 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों का प्रतिपाद्य यह है कि हमारी भारत भूमि की अनेक प्राकृतिक विशेषताएं हैं। जहाँ पर पहाड़ियों से झरने निकलते हैं, झाड़ियों से चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई पड़ती है और जगह जगह पर आम के बाग हैं जिनमें से वसंत ऋतु में कोयल की कूक सुनाई पड़ती है। भारत भूमि में धर्म का बोलबाला है इसलिए इसे धर्मभूमि कहा गया है अतः यह भूमि हमें कर्म करने की प्रेरणा देती है इसलिए इसे कर्मभूमि भी कहा गया है। 

3. जन्मे जहाँ थे रघुपति,  जन्मी जहाँ थी सीता, _ _ _ _ _ _ _ _ वह जन्मभूमि मेरी, वह मातृभूमि मेरी।। 

प्रश्न – 1 ‘गीता का उपदेश किसने, किसे, कब और कहाँ दिया था? इस उपदेश का क्या प्रभाव पड़ा? 

उत्तर – गीता का उपदेश श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत के युद्ध के समय कुरुक्षेत्र में दिया। श्री कृष्ण ने उपदेश देकर अर्जुन को युद्ध के लिए प्रवृत्त किया था। श्री कृष्ण रणभूमि में अर्जुन को जीवन की वास्तविकता और मनुष्य धर्म से जुड़े कुछ ऐसे उपदेश दिए जिससे उनका मानसिक द्वंद समाप्त हो गया। 

प्रश्न – 2 ‘जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।’ - पंक्ति का आशय स्पष्ट करते हुए बताइए कि किसने जन्म लेकर भारत का सुयश किस प्रकार बढ़ाया? 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति के माध्यम से कवि कह रहे हैं कि भारत की पवित्र भूमि पर ही गौतम बुध का जन्म हुआ था जिन्होंने अपने देश का सुयश दूर-दूर तक फैलाया।  गौतम बुद्ध ने अहिंसा का संदेश दिया, दया  का मार्ग दिखाया और ज्ञान का दीपक दिखाकर सभी को सही मार्ग दिखाया जो भारत में नहीं अन्य देशों में भी फैल गया। 

प्रश्न – 3 कवि ने भारत-भूमि को ‘युद्धभूमि’ और ‘बुद्धभूमि’ कहकर संबोधित क्यों किया है? 

उत्तर – कवि ने भारत-भूमि को युद्धभूमि इसलिए कहा है क्योंकि यहाँ बहुत से महायुद्ध हुए जिसमे इस भूमि के वीरों ने अपने सम्मान और भूमि की रक्षा की।  कवि ने भारत-भूमि को बुद्ध को में कहकर भी संबोधित किया है क्योंकि इस भूमि पर गौतम बुद्ध ने जन्म लिया और समस्त संसार को दया और अहिंसा का संदेश दिया। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवि ने क्या संदेश दिया हैं? 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कवि ने मातृभूमि के प्रति सम्मान जगाते हुए और भारत-भूमि की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि हमें इस भारत-भूमि पर जन्मे श्री राम और सीता के गुणों को अपनाकर अपने आचरण में बदलाव करना चाहिए एवं कवि  ने श्री कृष्ण के उपदेश के माध्यम से जीवन की वास्तविकता और मनुष्य धर्म से जुड़ने का संदेश दिया है। अंत में कवि ने गौतम बुध के माध्यम से अहिंसा और दया के मार्ग पर चलने का संदेश दिया है। 

Sunday, 26 May 2024

विनय के पद


विनय के पद  
लेखक – तुलसीदास 

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

1. ऐसो को उदार जग माहीं । _ _ _ _ _ _ कृपानिधि तेरो ।। 

प्रश्न 1. ‘ऐसो को उदार जग माहीं’ – पंक्ति के आधार पर किसकी उदारता की बात की जा रही है उनकी उदारता की क्या विशेषताएँ हैं?

उत्तर – पंक्ति के आधार पर राम की उदारता के बात की जा रही है। उनकी उदारता की यह विशेषता है कि वह दीन दुखियों पर बिना उनकी  सेवा के  ही दया करते हैं । भाव यह है कि श्री राम दीन दुखियों पर उनके द्वारा सेवा किए जाने के बिना ही कृपा करते हैं । अतः राम के समान उदार व्यक्ति की संपूर्ण संसार में कोई नहीं है।

प्रश्न 2. ‘गीध’ और ‘सबरी’ कौन थे? राम ने उन्हें कब, कौन-सी गति प्रदान की?

उत्तर – गीध से कवि का संकेत गीद्धराज जटायु से है तथा सबरी का अर्थ शबर जाति की एक महिला है, जो श्री राम की परम भक्त थी । जब गीद्धराज जटायु रावण के साथ युद्ध में बुरी तरह घायल होकर गिर पड़े, तो भगवान श्री राम ने उसे मुक्ति प्रदान की। इसी प्रकार श्री राम ने सबरी महिला को सद्गति प्रदान की।

प्रश्न 3. रावण ने कौन-सी संपत्ति किससे तथा किस प्रकार प्राप्त की थी? वह संपत्ति विभीषण को देते समय राम के हृदय में कौन-सा भाव था?

उत्तर  - रावण ने अपने दस सिर शिव जी को चढ़ाकर उनसे अनेक वरदान एवं लंका की संपत्ति प्राप्त की तथा उसी संपत्ति को भगवान श्रीराम ने अत्यंत संकोच के साथ उसे विभीषण को प्रदान किया।

प्रश्न 4. तुलसीदास जी सब प्रकार के सुख प्राप्त करने के लिए किसका वजन करने को कह रहे हैं और क्यों?

उत्तर – तुलसीदास कहते हैं कि यदि हम सब प्रकार के सुख को भोगना चाहते हैं, तब हमें भगवान श्री राम का भजन करना चाहिए क्योंकि इन सभी सुखों की प्राप्ति भगवान राम की कृपा से ही संभव है। वे ज्ञान के, कृपा के सागर है, अतः वे ही हमारी सभी प्रकार की इच्छा पूर्ति कर सकते हैं।

2. जाके प्रिय न राम वैदेही । _ _ _ _ _ _ जासों होय सनेह राम-पद, ऐतो मतो  हमारो ।।

प्रश्न 1. तुलसीदास किन्हें  तथा क्यों त्यागने को कह रहे हैं? 

उत्तर - तुलसीदास भगवान श्रीराम और माता सीता के विरोधी को त्यागने के लिए कह रहे हैं, अर्थात हमें उन व्यक्ति के साथ संबंध नहीं रखना चाहिए जो श्रीराम और माता  सीता से प्रेम नहीं करते, क्योंकि ऐसे व्यक्तियों के साथ संबंध रखने से हमें केवल दुख और क्षति ही प्राप्त होती है।

प्रश्न 2. उपर्युक्त पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि किस-किस ने अपने किस-किस प्रयोजन को क्यों छोड़ दिया?

उत्तर – उपर्युक्त पद के अनुसार प्रह्लाद ने प्रभु राम  का विरोध करने वाले अपने पिता हिरण्यकशिपु  का त्याग किया, विभीषण ने श्री राम के विरोधी अपने भाई रावण का परित्याग कर दिया, भरत ने श्री राम को वनवास दिलाने वाली अपनी माता के कई का त्याग किया और राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य को छोड़ दिया।

प्रश्न 3. ‘अंजन कहा आँख जेहि फूटै’ – पंक्ति द्वारा तुलसीदास क्या सिद्ध करना चाहते हैं?

उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति द्वारा तुलसीदास यह सिद्ध करना चाहते  हैं कि हमें उन व्यक्तियों का सदा त्याग करना चाहिए जो राम सीता के से प्रेम नहीं करते। कवि कहते हैं कि ऐसे सुरमें या काजल को आँख में लगाने से क्या लाभ जिसका प्रयोग करने पर आँखे फूट जाए। अतः हमें ऐसे काजल रूपी व्यक्ति का   त्याग कर देना चाहिए।

प्रश्न 4. बलि के गुरु कौन थे? बलि ने अपने गुरु  का परित्याग कब तथा क्यों कर दिया? 

उत्तर – बलि के गुरु शुक्राचार्य थे जब गुरु शुक्राचार्य को ज्ञात हुआ कि वामन अवतार में स्वयं भगवान विष्णु ने  ही राजा बलि से तीन पग भूमि की मांग की है तब गुरु ने बलि को सचेत किया और भूमि न देने का आग्रह किया तभी राजा बलि ने अपने गुरु शुक्राचार्य को त्याग कर अपने प्रभु के प्रति भक्ति व शुद्ध प्रेम का प्रमाण दिया।

Tuesday, 30 April 2024

काकी

काकी
लेखक - सियारामशरण गुप्त 

1. "वर्षा के अनंतर एक-दो दिन में ही पृथ्वी के ऊपर का पानी तो अगोचर हो जाता है परंतु भीतर ही भीतर उसकी आदत आदत जैसे बहुत दिन तक बनी रहती है वैसी ही उसके अंतस्तल में वह शोक जाकर बस गया था।"

प्रश्न - 1 'उसके' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है? उसकी मनोदशा पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- 'उसके' शब्द का प्रयोग श्यामू के लिए किया गया है। जिस प्रकार वर्षा के बाद वर्षा का पानी धरती के ऊपर से एक-दो दिन में सूख जाता है परंतु उसकी नमी अंदर कई दिन तक बनी रहती है। उसी प्रकार काकी की मृत्यु के बाद श्यामू बाहर से तो शांत रहने लगा था परंतु उसके अंतस्थल में वह शोक जाकर बस गया था। वह उदास रहने लगा था और काकी को याद करके अकेला बैठा- बैठा शून्य मन से आकाश की ओर देखता रहता था।।

प्रश्न - 2 'असत्य के आवरण मे सत्य बहुत दिन तक छिपा ना रह सका'- श्यामू को किस सत्य का, कैसे पता चला ? इससे उस पर क्या प्रभाव पड़ा ? 

उत्तर - श्यामू को उसकी माँ के सत्य के बारे में सच पता चला कि उसकी माँ मामा जी के पास नहीं राम जी के पास गई है। यह बात उसे अपने पड़ोस में रहने वाले दोस्तों द्वारा पता चली और वह कभी वापस नहीं आएगी तो वह बहुत उदास रहने लगा। वह अपनी माँ को याद कर के कोने में चुपचाप बैठ कर अंदर ही अंदर बहुत दुखी होता था।

प्रश्न - 3 ‘काकी’ कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर - इस कहानी में अत्यंत मार्मिक ढंग से एक अबोध तथा मासूम बालक की मातृ-वियोग की पीड़ा को व्यक्त किया गया है। कहानीकार ने यह चित्रित किया है कि बालकों का हृदय अत्यंत कोमल, भावुक तथा संवेदनशील होता है ।बच्चे मातृ वियोग का पीड़ा सहन नहीं कर पाते।

प्रश्न - 4 'काकी ' शीर्षक कहानी से बालकों के किस स्वभाव का पता चलता है ?

उत्तर - "काकी "शीर्षक कहानी से बालकों के कोमल मन, भावुकता और उनकी संवेदनशीलता के बारे में पता चलता है। वे अपने मातृ वियोग की पीड़ा को सहन नहीं कर पाते ,इस कहानी में श्यामू अपनी मांँ को याद करके दुखी हो रहा है और उन्हें बुलाने के लिए पतंग का सहारा लेना उत्तम समझता है अतः इससे हमें स्पष्ट पता चलता है कि बच्चों का मन बहुत ही कोमल और पवित्र होता है।

2-"एक दिन उसने ऊपर एक पतंग उड़ती देखी। न जाने क्या सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा।"

प्रश्न – 1 ‘उसने’- से किस की ओर संकेत किया गया है? वह उदास क्यों रहा करता था?

उत्तर - "उसने" से श्यामू की ओर संकेत किया गया है। वह उदास इसलिए रहा करता था क्योंकि उसकी माँ राम जी के पास चली गई थी। अर्थात् वह कभी नहीं लौटेगी । अपनी माँ को याद में वह अक्सर घर के कोने में बैठकर आकाश की ओर देखा करता था।

प्रश्न - 2 उड़ती हुई पतंग को देखकर उसका ह्रदय क्या सोचकर खिल उठा? 

उत्तर - जब श्यामू ने एक दिन पतंग को आसमान में उड़ते हुए देखा तो वह मन ही मन बहुत खुश हो गया। उसके दिल में यह ख्याल आया कि वह पतंग के द्वारा अपनी काकी को नीचे जरूर ला पाएगा। यह सोचकर उसका हृदय एकदम खिल उठा।

प्रश्न – 3 पतंग मँगवाने के लिए उसने किन से प्रार्थना की ? उसकी बात सुनकर उनकी क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर - पतंग मँगवाने के लिए श्यामू ने अपने पिता विश्वेश्वर से प्रार्थना की। पत्नी की मृत्यु के बाद विश्वेश्वर ( श्यामू के पिता) उदास रहा करते थे। जब श्यामू ने अपने पिता विश्वेश्वर से पतंग मँगवाने की प्रार्थना की तो वे उदास भाव में बोले कि अच्छा मँगा दूँगा और कह कर चले गए। किंतु उसको पतंग नहीं मँगवा कर दी।

प्रश्न – 4 पतंग प्राप्त करने के लिए उसने किस उपाय का सहारा लिया और पतंग मंगवाने के लिए किस की सहायता ली? इसका क्या परिणाम निकला?

उत्तर - पतंग प्राप्त करने के लिए श्यामू अपने पिता के कोट से चवन्नी चुरा ली और पतंग को मँगवाने के लिए उसने अपने मित्र भोला (सुखिया दासी के पुत्र)की सहायता ली। जब उसके पिता विश्वेश्वर को यह बात पता चली कि श्यामू ने उनकी जेब से चवन्नी चुराई है तब वह क्रोधित हुए और श्यामू को तमाचा मार दिया।

3-"देखो, खूब अकेले में जाना ,कोई जान ना पाए।"

प्रश्न – 1 वक्ता और श्रोता कौन कौन है ? दोनों का परिचय दीजिए।

उत्तर - इस वाक्य में वक्ता श्यामू है और श्रोता सुखिया दासी का बेटा भोला है ।श्यामू अपने पिता विश्वेश्वर का बेटा है । वह सीधा सा कोमल दिल वाला बालक है। भोला सुखिया दासी का बेटा और श्यामू का समवयस्क साथी भी है।

प्रश्न – 2 वक्ता ने श्वेता को अकेले में जाने के लिए क्यों कहा? उसे किस बात का भय था ?

उत्तर - श्यामू ने पतंग के पैसे अपने पिता की जेब से चुराए थे। इसलिए वह चाहता है कि उसका मित्र बिना किसी को दिखे अति शीघ्र पतंग लेकर आ जाए। किसी को यदि यह बात पता चलती है तो हो सकता है उसके काम में रुकावट आ जाए।

प्रश्न – 3 वक्ता ने उससे क्या मँगवाया ?उस वस्तु को लाने के लिए उसने उसे कितने पैसे दिए? वे पैसे उसने कहां से प्राप्त किए थे और क्यों?

उत्तर - श्यामू ने भोला से एक पतंग और डोर को मंँगवाया ।पतंग को मंँगवाने के लिए श्यामू अपने पिता विश्वेश्वर की जेब से पैसे चुराए और भोला को दे दिए । ताकि वह पतंग के द्वारा अपनी काकी को नीचे ला सके।

प्रश्न – 4 वक्ता उस वस्तु का प्रयोग किस लिए करना चाहता था? वह उसका प्रयोग क्यों नहीं कर पाया?

उत्तर - वक्ता श्यामू पतंग का प्रयोग करके काकी को उस पर बैठा कर नीचे लाना चाहता था ।जब श्यामू के पिता विश्वेश्वर को यह बात पता चली कि उसकी जेब से पैसे गायब हुए हैं तो वह बहुत क्रोधित हो गए । उन्होंने दोनों से पूछा कि चोरी किसने की है, यह सुनकर भोला ने डरकर सारी बात विश्वेश्वर को बता दी ।विश्वेश्वर क्रोधित हुए और श्यामू को डांँटते हुए पतंग फाड़ दी। जिस कारण श्यामू काकी को नीचे लाने के लिए पतंग का प्रयोग नहीं कर पाया।

4-'अकस्मात शुभ कार्य में विघ्न की तरह उग्र रूप धारण किए हुए विश्वेश्वर वहाँ आ पहुंँचे।"

प्रश्न - 1 'शुभ कार्य' और 'विघ्न' शब्दों का प्रयोग किस-किस संदर्भ में किया गया है?

उत्तर - श्यामू पतंग में डोरी बाँध रहा था और वह इसका प्रयोग अपनी माँ को नीचे लाने में करने वाला था। उसके लिए शुभ कार्य था परंतु शुभ कार्य में विघ्न की तरह उसके पिता वहाँ पहुँचे और उसे डाँटने लगे यही इस संदर्भ में दर्शित किया गया है।

प्रश्न - 2 विश्वेश्वर कौन है ? उनकी उग्रता का क्या कारण था ?

उत्तर - विश्वेश्वर श्यामू के पिता है ।जब उन्हें पता चला कि उनकी जेब से पैसे गायब हो गई है ,तो वह बहुत क्रोधित हुए ।सच जानने के लिए वे उन दोनों से पूछने लगे कि पैसे किसने चुराए हैं तो भोला ने डरकर सारी पोल खोल दी और सच विश्वेश्वर के सामने आ गया ।श्यामू को तमाचा जड़ दिया और कहा 'चोरी करोगे तो जेल जाओगे' यही कहकर पतंग भी फाड़ दी।उनकी उग्रता का यही कारण था।

प्रश्न - 3 वहाँ कौन-कौन थे और वे क्या कर रहे थे ?

उत्तर - कोठरी में श्यामू और भोला थे। वे दोनों पतंग में रस्सी बाँध रहे थे और उस पर काकी का नाम लिख रहे थे ताकि उस पतंग के सहारे नीचे आ जाए।

प्रश्न - 4 विश्वेश्वर ने धमकाकर किससे क्या पूछा और उन्हें असलियत का पता कैसे चला ? उन्होंने अपराधी को क्या दंड दिया ?

उत्तर - जब विश्वेश्वर को पता चला कि उनकी कोट की जेब से पैसे गायब हुए हैं तो वह क्रोधित हो गए और उन्होंने श्यामू और भोला को धमकाया कि किसने मेरी कोट की जेब से पैसे चुराए हैं। यह सुनकर भोला डर गया और सारी बात बता दी ।भोला ने कहा कि चोरी श्यामू ने की है , उसी ने मुझे पतंग लाने के लिए कहा था ।‌ विश्वेश्वर श्यामू पर बहुत क्रोधित हुए उसे तमाचा जड़ दिया। पतंग को भी नष्ट कर दिया।

5-"भोला सकपकाकर एक ही डाँट में मुखबिर हो गया।"

 प्रश्न - 1 भोला कौन था ? वह क्यों सकपका गया ? मुखबिर' शब्द का क्या अर्थ है ?

उत्तर - भोला सुखिया दासी का बेटा था ।वह श्यामू का समव्यस्क मित्र था ।जब उग्र रूप धारण किए विश्वेश्वर उस कोठरी में पहुँचे और धमकाकर भोला और श्यामू से चोरी का कारण पूछने लगे तो भोला ने डरकर श्यामू की सारी बात को कह दिया । मुखबिर का अर्थ है-" पोल खोल देना।"

प्रश्न - 2 डाँटने वाले का परिचय दीजिए ? उसके डाँटने का क्या कारण था ?

उत्तर - डाँटने वाले का नाम विश्वेश्वर था जो कि श्यामू के पिता थे, जब विश्वेश्वर को पता चला कि उनके बेटे ने उनकी जेब से पैसे चुराए हैं तो वह बहुत गुस्सा हुए ।और गुस्से में श्यामू को तमाचा जड़ दिया।

प्रश्न - 3 भोला ने डाँटने वाले को क्या बताया? भोला की बात सुनकर डाँटने वाले ने किसे क्या दंड दिया ?

उत्तर - उग्र रूप धारण किए विश्वेश्वर जब भोला और श्यामू को धमकाकर पूछने लगे कि तुमने मेरी जेब से पैसे चुराए थे। तब यह बात सुनकर भोला घबरा गया और उसने सारी बात बता दी। उसने बताया कि पैसे श्यामू ने चुराए थे। श्यामू ने मुझसे पतंग लाने के लिए कहा था। यह सुनकर विश्वेश्वर और भी क्रोधित हो गए ।श्यामू को डांँटा और तमाचा जड़ते हुए कहने लगे कि 'चोरी सीखो गे तो जेल जाओगे 'यह कहकर में पतंग को भी फाड़ दिया।

प्रश्न - 4 भोला की बात सुनकर डाँटने वाले की क्या मनोदशा हुई ?

उत्तर - भोला ने जब विश्वेश्वर को बताया कि श्यामू ने पतंग अपनी काकी को नीचे लाने के लिए खरीदी थी, तब उन्हें बहुत ही दुख हुआ ।यह सुनकर हत बुद्धि हो गए थे । पतंग पर काकी का नाम लिखा देखा तो उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ।उन्हें एहसास हुआ कि वे व्यर्थ में ही अपने बच्चे को डाँट रहे थे।





Monday, 22 April 2024

साखी


कविता  1 साखी
कवि - कबीरदास


 निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

गुरु गोबिंद दोऊ खड़े काके लागू पायँ।
बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोबिंद दियौ बताय।।

प्रश्न - 1 संत कबीर ने गुरु और ईश्वर की तुलना किस प्रकार की है तथा इस दोहे के माध्यम से क्या सीख दी है ?

उत्तर 1. संत कबीर ने गुरु और ईश्वर की तुलना करते हुए कहा है कि अगर गुरु और ईश्वर दोनों मेरे सामने हो तो मैं गुरु के चरण स्पर्श करूंगा क्योंकि गुरु ने ही मुझे ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया हैं। इस दोहे के माध्यम से हमें यह सीख मिलती है कि गुरु के बिना ईश्वर को प्राप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि ईश्वर को पाने का माध्यम गुरु ही है।

प्रश्न - 2 'गुरु' और 'भगवान' को अपने सामने पाकर कबीर ने कौन-सी समस्या उत्पन्न हुई ? कबीर ने उसका हल किस प्रकार निकाला और क्यों ?

उत्तर 2. गुरु और भगवान को सामने पाकर कबीर की समस्या है कि वह किसके चरण स्पर्श करें। कबीर ने उसका हल इस प्रकार निकाला की वह पहले गुरु के चरण स्पर्श करेगा क्योंकि गुरु ने ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग बताया है। इस प्रकार गुरु ईश्वर से भी महान है। अगर गुरु न होते तो ईश्वर की प्राप्ति असंभव थी।

प्रश्न - 3 'बलिहारी गुरु आपनो' कबीर ने ऐसा क्यों कहा है ?

उत्तर 3. 'बलिहारी गुरु आपनो' अर्थात् मैं अपने गुरु पर बलिहारी जाता हूँ । कबीर ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि गुरु ने ही उसे भगवान के दर्शन करवाएं हैं।

प्रश्न -4 'गुरु गोबिंद दोऊ खड़े' - शीर्षक साखी के आधार पर गुरु का महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।

उत्तर 4. कबीर की दृष्टि में गुरु की महिमा अपार है। वह गुरु को ईश्वर से भी बढ़कर मानते हैं। उनका मत है कि गुरु की कृपा से ही ईश्वर की प्राप्ति हो सकती है। कबीर का कहना है कि भगवान के रूठने पर गुरु का सहारा मिल सकता है किंतु गुरु के रूठने पर कोई सहारा नहीं मिल सकता है।

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि।
प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि।।

प्रश्न - 1 'जब 'मैं' था तब हरि नहीं' - दोहे में 'मैं' शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया गया है ? 'जब मैं था तब हरि नहीं' - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर 1. दोहे में 'मैं' शब्द का प्रयोग स्वयं कबीरदास जी ने अहंकार के लिए किया है। इस पंक्ति द्वारा कबीरदास जी कहते हैं कि जब तक मनुष्य के भीतर अहंकार की भावना होती है तब तक उसमें ईश्वर का वास नहीं हो सकता है। अहंकारी व्यक्ति ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग को नहीं समझ सकता।

प्रश्न - 2 कबीर के अनुसार प्रेम की गली की क्या विशेषता है ? प्रेम की गली में कौन-सी दो बातें एक साथ नहीं रह सकती और क्यों ?
उत्तर 2. कबीर के अनुसार प्रेम की गली बहुत संकरी (पतली) और तंग है। इसमें भगवान और अहंकार साथ-साथ नहीं रह सकते। भाव यह है कि यदि व्यक्ति अहंकारी है तो वह कभी भी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता और जो भगवान को पा लेता है, उसका अहंकार स्वत: ही समाप्त हो जाता है।

प्रश्न - 3 उपर्युक्त साथी द्वारा कबीर क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर 3. उपर्युक्त साखी द्वारा कबीर यह संदेश देना चाहते हैं कि व्यक्ति को घमंड का त्याग कर देना चाहिए क्योंकि जिन वस्तु पर वह घमंड करता है, वे एक दिन समाप्त हो जाती हैं परंतु ईश्वर को प्राप्त करके घमंड करने वाली वस्तुओं की आवश्यकता ही नहीं रहती। ईश्वर शाश्वत है, सत्य है, और हमेशा रहने वाला है।

प्रश्न - 4 'प्रेम गली अति  साँकरी' - पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 4. उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि प्रेम गली बहुत छोटी है। उसमें एक साथ मनुष्य का अहंकार और भगवान नहीं रह सकते। जहाँ ईश्वर का वास होता है वहां अहंकार नहीं होता। इस प्रकार भगवान के प्रति जो प्रेम गली है, उसमें ईश्वर ही रह सकते हैं अहंकार नहीं।

काँकर पाथर जोरि कै, मसजिद लई बनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय।।

प्रश्न - 1 कबीर ने मसजिद की क्या-क्या विशेषताएँ बताई हैं ?
उत्तर 1. कबीर ने अपनी साखियों में प्रचलित रूढ़ियों एवं आडंबरों पर गहरी चोट की है। कबीर जी कहते हैं कि मुसलमानों ने कंकड़ पत्थर जोड़कर मस्जिद बना ली है। यह उनकी धार्मिक उपासना का स्थल है जिस पर मौलवी चिल्ला-चिल्ला कर नमाज पढ़ते हैं, जैसे कि उनका खुदा बहरा हो। उनके अनुसार खुदा तो सर्वत्र व्याप्त है, उसके लिए मस्जिद बनाकर उसमें अज़ान के लिए जोर-जोर से चिल्लाना आवश्यक नहीं है।

प्रश्न - 2 उपर्युक्त पंक्तियों में निहित व्यंग्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर 2. उपर्युक्त पंक्तियों में निहित व्यंग्य यह है कि खुदा को मन ही मन भी याद किया जा सकता है। उसे चिल्ला कर बुलाने की आवश्यकता नहीं है। परमात्मा हर व्यक्ति के हृदय में वास करता है। इस प्रकार उसे शांत भाव से भी याद किया जा सकता है।

 प्रश्न - 3 उपर्युक्त दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि कबीर ने बाहय आडंबरो के विरोधी थे।
उत्तर 3. कबीर के अनुसार ईश्वर को याद करने के लिए बाहरी  आडंबरों की आवश्यकता नहीं है। जो व्यक्ति परमात्मा को सच्चे दिल से याद करेगा वह उसे निश्चित ही प्राप्त कर लेगा।

प्रश्न - 4 उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कबिर क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर 4. उपर्युक्त पंक्तियों द्वारा कबीर यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें अंधविश्वास व बाहरी आडंबरों को त्याग देना चाहिए क्योंकि ईश्वर को सच्चे मन से याद करके भी प्राप्त किया जा सकता है।

पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजूँ पहार।
ताते ये चाकी भली, पीस खाय संसार।।

प्रश्न - 1 कबीर हिंदू की मूर्ति पूजा पर किस प्रकार व्यंग्य कर रहे हैं ?
उत्तर 1. हिंदुओं की मूर्ति पूजा पर व्यंग करते हुए कबीरदास जी कहते हैं कि अगर पत्थर पूजने से भगवान मिल जाते हैं तो मैं हिमालय पर्वत को पूजुं। उससे तो यह गेहूं पीसने की चक्की ज्यादा भली है, जिससे सारा संसार अन्य खाता है। कबीर का कहना है कि मनुष्य को मूर्ति पूजा छोड़कर निर्गुण भक्ति अपनानी चाहिए।

प्रश्न - 2 'ताते यह चाकी भली' - पंक्ति द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं ?
उत्तर 2. कबीर दास जी मूर्तियों से गेहूं पीसने की चक्की की तुलना करते हुए कहते हैं कि यह गेहूं पीसने की  चक्की ज्यादा भली है क्योंकि इससे पीसा हुआ अन्न सारा संसार खाता है।

प्रश्न - 3 'कबीर एक समाज सुधारक थे' - उपर्युक्त पंक्तियों के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि इन पंक्तियों द्वारा वह क्या संदेश दे रहे हैं ?
उत्तर 3. कबीर जी वास्तव में एक समाज सुधारक थे। उन्होंने हिंदू धर्म में फैले अंधविश्वासों मूर्ति पूजा और अन्य कुरीतियों का घोर विरोध किया। उन्होंने मुसलमानो  के बाहरी आडंबरों, रोज़े, नमाज़, काज़ी, मुल्ला, आदि लोगो का खंडन किया।

प्रश्न - 4 कबीर की भाषा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर 4. कबीर की भाषा में भोजपुरी, अवधी, ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, खड़ी बोली, उर्दू और फ़ारसी आदि भाषाओं के शब्द भी पाए जाते हैं, इसलिए विद्वानों ने कबीर की भाषा को सधुक्कड़ी या पंचमेल खिचड़ी कहा है।

सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराय।
सब धरती कागद करौं, हरि गुन लिखा न जाय।।

प्रश्न - 1 'भगवान के गुण अनंत हैं' - कबीर ये यह बात किस प्रकार स्पष्ट की है ?
उत्तर - प्रस्तुत साखी के माध्यम से कबीरदास जी ने भगवान के गुणों का महिमामंडन किया है। वे कहते हैं कि यदि सातों समुद्रों की स्याही बना दी जाए, सारे जंगलों के पेड़ों की कलमें बनाई जाएँ तथा समस्त पृथ्वी को कागज के रूप में प्रयोग कर लिया जाए तब भी हम ईश्वर के गुणों का वर्णन नहीं कर सकते क्योंकि भगवान के गुण अनंत हैं।

प्रश्न - 2 कबीर की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - कबीरदास निर्गुण भक्ति शाखा के ज्ञानाश्रयी कवि थे। उन्होंने निर्गुण ब्रह्मा की उपासना की इसलिए इन्होंने मूर्ति-पूजा, ढोंग-आडंबर आदि का डटकर विरोध किया। यह भक्ति सामान्य व्यक्ति के लिए आसान नहीं होती क्योंकि इसमें जप-तप और ध्यान का महत्व होता है।

प्रश्न - 3 कबीर ने भगवान के गुणों का बखान करने के लिए किन - किन वस्तुओं की कल्पना की है ? वे इस कार्य के लिए पर्याप्त क्यों नहीं है ?
उत्तर - कबीर ने भगवान के गुणों का बखान करने के लिए सातों समुद्रों को स्याही, सारे जंगलों के पेड़ों को कलम तथा समस्त पृथ्वी को कागज बनाने की कल्पना की है। किंतु फिर भी वे इस कार्य के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि भगवान के गुण अनंत है।

प्रश्न - 4 'लेखनि सब बनराय' का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि यदि सारे जंगल के पेड़ों से कलम बना दिया जाए और समस्त पृथ्वी को कागज बनाकर उसका प्रयोग किया जाए तो भी ईश्वर के गुणों को नहीं लिखा जा सकता। इसलिए हम कह सकते हैं कि भगवान के गुण अनंत हैं।

गिरिधर की कुंडलियाँ

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