Wednesday, 9 December 2020

संदेह

संदेह 
लेखक – जयशंकर प्रसाद 

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

1. मैं चतुर था, इतना चतुर जितना मनुष्य को न होना चाहिए, क्योंकि मुझे विश्वास हो गया है कि मनुष्य अधिक चतुर बनकर अपने को अभागा बना लेता है और भगवान की दया से वंचित हो जाता है ।

प्रश्न 1 -  वक्ता एवं श्रोता कौन है? उसने श्रोता से अपने मन की बात किस प्रकार बताई?

उत्तर – वक्ता रामनिहाल है और श्रोता श्यामा है। रामनिहाल कहता है कि वह बहुत ही चालाक व्यक्ति था, जितना कि मनुष्य को नहीं होना चाहिए और  इसी कारण वह अपने आप को अभागा बना चुका था । वह भारत के विभिन्न प्रदेशों में व्यवसाय पाने  की तलाश में घूमता रहता था, किंतु श्यामा के घर आकर ही उसे घर के सुख-दुख  देखकर पता चला कि वह पहले गृहहीन था।

प्रश्न 2 – अपनी महत्वाकांक्षा तथा उन्नतशील विचारों के बारे में वक्ता ने क्या कहा? 

उत्तर – वक्ता (रामनिहाल) हमेशा नया कार्य ढूंढता रहता था और अपने को कहीं रुकने नहीं देता था। वह जिन लोगों के यहाँ  नौकरी करता था, वे बड़े ही सज्जन थे । रामनिहाल सोचता था कि वह इससे भी अच्छी नौकरी  पा सकता है और दूसरी जगह नौकरी ढूंढता रहता था। वह सोचता था कि कभी न कभी तो वह इस चाह  को संभव कर ही पाएगा।

प्रश्न 3 – वक्ता ने श्रोता से किस घटना का उल्लेख किया?

उत्तर – वक्ता (रामनिहाल) ने श्रोता (श्यामा) को बताया कि जब वह काम से छुट्टी पाकर दशाश्वमेध घाट पर जा रहा था तभी उसके मालिक ब्रजकिशोर ने उसे कहा कि तुम गंगा घूमने तो जा ही रहे तो मेरे कुछ निकट संबंधी को भी ले जाओ और वहाँ उनकी मुलाकात मनोरमा से हुई जिसका पति उसपर  संदेह करता था। 

प्रश्न 4 – क्या आप वक्ता  के उपर्युक्त  कथन से सहमत हैं? कारण सहित बताइए?
  
उत्तर – हाँ, हम वक्ता (रामनिहाल) के  कथन से सहमत हैं क्योंकि जो लोग अपने आप को चतुर समझने लगते हैं  तो वे  अपने साथियों की सलाह नहीं लेते और कुछ न कुछ गलत कर बैठते हैं, जिससे उन्हें बहुत बड़ी हानि हो सकती है। ऐसे लोग अपने आप पर घमंड करने लगते हैं और उन्हें सफलता नहीं मिलती है।

2. भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है? किंतु संसार तो दूसरे को मूर्ख बनाने के व्यवसाय पर चल रहा है।

प्रश्न 1 – रामनिहाल को ब्रजकिशोर बाबू और मोहनलाल के संबंध में किस विशेष बात का पता चला? 

उत्तर – रामनिहाल को इन दोनों के संबंध के बारे में यह पता चला कि ब्रजकिशोर मोहनलाल को अदालत में पागल साबित करना चाहता है क्योंकि वह उसका अकेला निकट संबंधी है और मोहनलाल को इस बात का संदेह हो गया था और वह सोचते थे कि उनकी पत्नी भी इसमें सम्मिलित है।

प्रश्न 2 - भगवान जाने इसमें क्या रहस्य है? रामनिहाल ने ऐसा क्यों कहा ?

उत्तर – रामनिहाल ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि जब मोहनलाल को पता लगता  है कि ब्रजकिशोर उसकी सारी संपत्ति लेना चाहते हैं तो उसे लगता है कि उनकी पत्नी ब्रजकिशोर की मदद कर रही है। इसलिए वह उससे अच्छा व्यवहार नहीं करता। परंतु कोई नहीं जानता कि यह सच है या नहीं इसलिए रामनिहाल  ने ऐसा कहा।

प्रश्न 3 – मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र क्यों लिखे थे? उन पत्रों को लेकर रामनिहाल को क्या संदेह होने लगा था?

उत्तर – मनोरमा ने रामनिहाल को पत्र इसलिए लिखें क्योंकि मोहनलाल मनोरमा पर संदेह कर रहा था कि वह ब्रजकिशोर के साथ मिलकर उसकी संपत्ति लेना चाहती है। वह चाहती थी कि रामनिहाल मोहनलाल को समझाए और उसकी सहायता करें। रामनिहाल को संदेह होने लगा था कि मनोरमा शायद उससे प्रेम करने लगी है।

प्रश्न 4 -  रामनिहाल  के हाथ में किसका चित्र था? चित्र को देखकर श्यामा ने रामनिहाल से क्या कहा?

उत्तर – रामनिवास के हाथ में श्यामा का चित्र था। चित्र देखकर श्यामा ने रामनिहाल से कहा - क्या तुम मुझसे प्रेम करते हो? यह अच्छी फांसी लगी है तुमको। निहाल बाबू प्यार करना बड़ा कठिन है। तुम इस खेल को नहीं जानते इसके चक्कर में पड़ना भी मत। हाँ, एक दुखिया स्त्री को तुम्हारी सहायता की जरूरत है, जाओ जाकर उसकी मदद करके आओ। तुमको अभी यहीं रहना है।

Sunday, 6 December 2020

अपना अपना भाग्य

पाठ – 05
अपना-अपना भाग्य 
लेखक – जैनेंद्र कुमार 

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

1. ‘नैनीताल की संध्या धीरे धीरे उतर रही है।'

प्रश्न-1 नैनीताल की संध्या की विशेषताएँ बताइए। 

उत्तर – नैनीताल की संध्या की विशेषता यह हैं कि उस समय आकाश में भांप जैसे बादल थे जो रुई  के रेशे की तरह लेखक और उसके मित्र के सिर को छूकर बेरोक घूम रहे थे जैसे उनके साथ खेलना चाहते हो। हल्के प्रकाश और अंधियारी से रंग कर कभी वे नीले दिखते,  कभी सफेद और कभी ज़रा लाल पड़ जाते। 

प्रश्न - 2 लेखक अपने मित्र के साथ कहाँ बैठा था?  वह वहाँ  बैठा-बैठा बोर क्यों हो रहा था और क्यों कुढ़ रहा था? 

उत्तर – लेखक अपने मित्रों के साथ नैनीताल की किसी एक सड़क के किनारे बेंच पर बैठे थे।  पँद्रह  मिनट बाद लेखक वहाँ से जाना चाहते थे,  परंतु मित्रों के उठने का कोई इरादा ना मालूम हुआ इसलिए लेखक बोर हो रहे थे और अपने मित्रों  के उठने का इंतजार कर रहे थे। 

प्रश्न - 3 लेखक के मित्र को अचानक क्या दिखाई पड़ा?  उसका परिचय दीजिए। 

उत्तर – लेखक के मित्र को कोहरे में एक काली - सी मूर्ति आती दिखाई पड़ी तीन  गज दूरी से दिखाई पड़ा एक लड़का नंगे पैर नंगे सिर एक मैली सी कमीज लटकाए आ रहा था। उसके बड़े बड़े बाल थे जिन्हें वह खुजला रहा था। वह लगभग दस बारह वर्ष का था। उसका रंग गोरा था तथा माथे पर झुर्रियां थी।
 
प्रश्न - 4 जरा-सी उम्र में उसकी मौत से पहचान कैसे हो गई थी? 

उत्तर – ज़रा-सी उम्र में उसकी मौत से पहचान हो गई थी क्योंकि उसे खाना नहीं मिलता था,  कभी मिल गया तो कभी नहीं मिलता था। उसके पास पैसे नहीं थे,  नौकरी भी नहीं थी।  वह अपने मां-बाप से दूर था।  वह अपना गांव छोड़कर  एक साथी के साथ आया था जो होटल मालिक द्वारा सताये जाने पर दम तोड़ चूका था। इस प्रकार बालक की छोटी-सी उम्र में मौत से पहचान हो गई।

2. बालक फिर आँखों से बोलकर मूक खड़ा रहा। आँखें मानो बोलती थी-  'यह भी कैसा मूर्ख प्रश्न है।'

प्रश्न - 1 किस प्रश्न को सुनकर बालक मूक खड़ा रहा। उसकी आँखों ने क्या कह दिया?

उत्तर - अनेक प्रश्नों के उत्तर देने के बाद जब लेखक के मित्रों ने उस बालक से उसके रात में सोने के स्थान और उन्हीं कपड़ों में सोने के विषय में पूछा तो बालक मूक ही खड़ा रह गया उसकी आँखें जैसे बोलती थीं कि यह कैसा प्रश्न हैं, यहाँ मुझे खाने को कुछ नहीं है और ये लोग कपड़ों के लिए पूछ रहें हैं।

प्रश्न - 2 अपने परिवार के बारे में बालक ने क्या बताया?

उत्तर - अपने परिवार के विषय में बालक ने बताया कि उसके माँ-बाप पंद्रह कोस दूर गाँव में रहते हैं और उसके कई भाई-बहन हैं। उनके घर की हालत इतनी खराब थी कि परिवार के सदस्यों को खाना भी नसीब नहीं होता था। इसलिए वह वहाँ से भाग आया।

प्रश्न - 3 लेखक को बालक की किस बात को सुनकर अचरज हुआ?

उत्तर - लेखक को बालक के साथी की मृत्यु होने की बात पर अचरज हुआ और यह जानकर कि उसे मौत के विषय में पता है क्योंकि उसकी उम्र के बालक को मौत के विषय में कोई जानकारी नहीं होती।

प्रश्न - 4 लेखक और उसका मित्र बालक को कहाँ ले गए और क्यों? वकील साहब का पहाड़ी बालकों के संबंध में क्या मत था?

उत्तर - लेखक और उसके मित्र बालक को अपने वकील दोस्त के होटल में ले गए क्योंकि उसको एक नौकर की जरुरत थीं। वे उस बालक को उनके यहाँ इस उम्मीद से लेकर गए थे की उनका वकील दोस्त अपने होटल में उस बालक को काम दे देगा किंतु उनके वकील दोस्त ने नौकरी देने से साफ इंकार कर दिया क्योंकि उसको पहाड़ी बालाकों पर बिल्कुल भी विश्वास न था।


3. ‘भयानक शीत है।  उसके पास कम बहुत कम कपड़े….?’ ‘यह संसार है यार,’ मैंने स्वार्थ ही फ़िलासफ़ी सुनाई? 

प्रश्न - 1 लेखक के मित्र की उदासी का कारण स्पष्ट करते हुए बताइए कि वह पहाड़ी बालक की सहायता क्यों नहीं कर सका? 

उत्तर – लेखक के मित्र की उदासी का कारण यह था कि वह उस बालक की सहायता करना चाहते थे,  परंतु वकील साहब को बहुत समझाने के बाद भी वे नहीं माने और अपने कमरे में सोने के लिए चले गए। बालक समझ गया कि वहाँ उसका कुछ नहीं होगा और वह भी वहाँ से चला गया। 

प्रश्न - 2 ‘यह संसार है यार’ – वाक्य आजकल के मनुष्यों की किस प्रवृत्ति का द्योतक है ?

उत्तर – ‘यह संसार है यार’ – वाक्य आजकल के मनुष्यों की इस प्रवृत्ति का द्योतक है कि आजकल हर मनुष्य मतलबी हो गया है।  गरीब और जरूरतमंद लोगों पर विश्वास नहीं किया जाता है। उन्हें संदेह की निगाह से देखा जाता है जिस कारण वकील साहब ने लड़के को नौकरी पर नहीं रखा था। 

प्रश्न - 3 ‘अपना - अपना भाग्य' कहानी में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – अपना-अपना भाग्य इस वाक्य का यह अर्थ है कि जिस व्यक्ति के भाग्य में जो लिखा होता है,  उसे वही मिलता है न  तो उससे अधिक और न तो उससे कम मिलता है। जिस प्रकार बालक के भाग्य में दुख, पीड़ा और कपट  थे तो उसे वहीं मिले। पहले उसका मित्र इस निर्दयी संसार को छोड़कर चला गया था और बाद में दुनिया का सताया वह  बालक भी ठिठुरती ठंड में अपने प्राण त्याग देता है। 

प्रश्न - 4 ‘अपना - अपना भाग्य' कहानी के  शीर्षक की सार्थकता पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर – इस कहानी के शीर्षक की सार्थकता यह है कि जिस व्यक्ति के भाग्य में जो होता है उसको वही मिलता है।  जिस प्रकार उस बालक को दुख और पीड़ा सहनी पड़ी क्योंकि उसके भाग्य में वही लिखा था, उसी प्रकार हम सब के भाग्य में भी  जो लिखा होता है, वही हमें मिलता है। हम अपना अपना भाग्य बदल नहीं सकते। 

Monday, 19 October 2020

सूर के पद (सूरदास)


सूर के पद
कवि - सूरदास 


प्रस्तुत पद्यांशों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

1. जसोदा हरि पालने ••••••••••••••••••••••••• सो नंद भामिनी पावै ।

प्रश्न – 1 यशोदा बालकृष्ण को सुलाने के लिए क्या-क्या करती हैं? 

उत्तर – यशोदा बालकृष्ण को सुलाने के लिए उन्हें पालने में झुला रही हैं।  वे श्रीकृष्ण को दुलारतीं हैं, पुचकारतीं हैं, मधुर स्वर में गाना (लोरी) गाती हैं। वह निंद्रा को भी बुलाती है ताकि भगवान कृष्ण को नींद आ जाए और वह सो जाएँ। 

प्रश्न – 2 बालकृष्ण पालने में झूलते समय क्या-क्या चेष्टाएँ कर रहे हैं? 

उत्तर – जब यशोदा श्री कृष्ण को पालने में झुलाती तथा सुलाती हैं, तब श्री कृष्ण कभी तो अपनी पलकें मूंद लेते हैं तथा कभी वे अपने होठों को हिलाने लगते हैं। यह देखकर  ऐसा लगता है जैसे कि भगवान श्रीकृष्ण को नींद नहीं आ रही है और इसी कारण यशोदा पुनः गाना गाने लगती है। 
प्रश्न – 3 ‘जो सुख ‘सूर’ अमर मुनि दुरलभ, सो नंद भामिनी पावै’ – कवि ने ऐसा क्यों कहा है? 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति में हिंदी साहित्य के वात्सल्य रस सम्राट महाकवि सूरदास जी कहते हैं कि सुख देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है, वह नंद की स्त्री यशोदा को प्राप्त है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कृष्ण को पालने में सुलाने का प्रयत्न करना तथा उनकी चेष्टाओं का अवलोकन करना केवल यशोदा के भाग्य में ही है। 

प्रश्न – 4 यशोदा द्वारा कृष्ण को पालने में झुलाने का दृश्य अपने शब्दों में लिखिए। 

उत्तर – प्रस्तुत पद्यांश में यशोदा द्वारा कृष्ण को पालने में झुलाने का दृश्य बहुत ही सुंदर है,  जिसमे यशोदा माँ  की ममता और उनके बालकृष्ण को पालने में झुलाने के सौभाग्य का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है । वे कृष्ण को दुलार करतीं हैं, पुचकारतीं हैं और कुछ-कुछ गाने भी गाती हैं और जब उनको लगता है की वे सो गए हैं तो संकेतों के माध्यम से सबको चुप रहने का संकेत करती है कि कहीं सोते हुए कृष्ण जगना जाएँ। कवि के अनुसार जो सौभाग्य नंद की स्त्री यशोदा को प्राप्त है वह देवताओं और मुनियों के लिए भी दुर्लभ है। 

2. खीजत जात माखन खात ••••••••••••••••••••••••• निमिख तजत न मात। 

प्रश्न – 1 माखन खाते समय बालकृष्ण की चेष्टाओं का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – माखन खाते समय बालकृष्ण मचल रहे हैं और थोड़े चिड़चिड़ा रहे हैं। उनकी आँखे लाल है,  अतः उन्हें नींद आ रही है। उपर्युक्त पद में भगवान श्रीकृष्ण अपने घुटनों पर चल रहे हैं, जिसके कारण उनके पैर के घुंघरू बजने लगे हैं। वे  धूल में सने हुए हैं,  कभी माँ यशोदा के बाल खींचते हैं,  कभी तोतली आवाज़ में कुछ बोलने लगते हैं तो कभी नंद बाबा को ‘तात’ कहकर पुकारने  की चेष्टा करते हैं। 

प्रश्न – 2 बालकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन कीजिए। 

उत्तर – महाकवि सूरदास द्वारा रचित उपर्युक्त पद में वे बालकृष्ण के सौंदर्य का सुंदर वर्णन करते हुए कहते हैं कि श्री कृष्ण के नेत्र बहुत ही प्यारे हैं और जब वे टेढ़ी भौहें करके देखते हैं तो और सुंदर दिखते हैं। उनके पैरों में घुँघरू बहुत प्यारे लग रहें हैं और धूल में सना हुआ उनका शरीर उनकी सुंदरता और बढ़ा रहा है। 

प्रश्न – 3 ‘सूर वात्सल्य रस के सम्राट थे’ – उपर्युक्त पद के आधार पर स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – सूर वात्सल्य रस के सम्राट थे क्योंकि जिस प्रकार उन्होंने श्री कृष्ण के बालपन का सुंदर वर्णन अपनी कविता में किया है, उसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो कि वास्तव में ही वे श्रीकृष्ण और उनके विभिन्न घटनाक्रम के साक्षी बने हैं। अतः इसलिए सूरदास को  वात्सल्य - रस का सम्राट कहा गया है  

प्रश्न – 4 शब्दार्थ लिखिए – खीजत, अरुण लोचन, जम्हात, अलक, निमिख, तुतरे। 

उत्तर –  खीजत – झुँझलाना,  अरुण लोचन – लाल आँखे, अलक – बाल,  निमिख – एक बार पलक झपक ने में लगने वाला समय, तुतरे – तोतले 

3 मैया मेरी चंद्र खिलौना लैहों ••••••••••••••••••••••••• नूतन मंगल गैहौं। 

प्रश्न – 1 बालकृष्ण क्या लेने की ज़िद कर रहें हैं? माँ यशोदा उनकी ज़िद पूरी करने में क्यों असमर्थ है? 

उत्तर – बालकृष्ण चंद्र रूपी खिलौने को लेने की जिद कर रहें हैं। माँ यशोदा उनकी जिद पूरी करने में असमर्थ है क्योंकि बालकृष्ण चंद्रमा से खेलना चाहते हैं और बालकृष्ण की इस जीत को पूरा करना माई सदा के लिए असंभव है। 

प्रश्न – 2 अपनी ज़िद को पूरी करवाने के लिए बालकृष्ण माँ से क्या – क्या कह रहे हैं। 

उत्तर – अपनी ज़िद को पूरी करवाने के लिए बालकृष्ण माँ को धमकी देते हुए  कहते हैं कि यदि यशोदा उनकी जिद को पूरी नहीं करेंगी तो वह न तो सफ़ेद गाय का दूध पीयेंगे, न बालों की चोटी गुँथवाएँगे, न मोतियों की माला पहनेंगे और तो और ज़मीन पर लेटने, गोद में न आने और यशोदा और नंद का पुत्र न कहलाने की धमकी देते हैं। 

प्रश्न – 3 माँ यशोदा ने बालकृष्ण को बहकाने के लिए क्या प्रयास किया? उस पर बालकृष्ण की क्या प्रतिक्रिया हुई? 

उत्तर – माँ यशोदा बालकृष्ण की धमकियों को सुनकर बालकृष्ण को बहकाते हुए उनके कान में कहती हैं कि वे चंद्रमा से भी सुंदर नई नवेली दुल्हन के साथ उनका विवाह करवाएंगी।  माँ  की बात को सुनकर कृष्ण माँ की सौगंध खाते हुए बोलते हैं कि हे माँ, मैं अभी विवाह करना चाहता हूँ। 

प्रश्न – 4 सूरदास के बाल-वर्णन की विशेषताएँ बताइए। 

उत्तर – सूरदास जी कृष्ण काव्य धारा के प्रतिनिधि कवि थे। उन्होंने कृष्ण की बाल क्रीड़ाओ और मातृभावना को बहुत ही सुंदर, मनोहर और प्रभावशाली वर्णन किया है। महाकवि सूरदास बाल मनोविज्ञान के महान पंडित थे। बाल मनोविज्ञान के अद्भुत ज्ञान ने वात्सल्य रस के वर्णन में उनकी बहुत सहायता की है। वास्तव में वात्सल्य रस का इतना सजीव ,सरस एवं स्वाभाविक वर्णन हिंदी में कोई कवि नहीं कर सका है।

Friday, 2 October 2020

मेघ आए

पद्य भाग - 5
मेघ आये
कवि - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना 

निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए -

1. मेघ आये _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के।

प्रश्न 1.कवि ने मेघों के आगमन की तुलना किससे की है? उनका स्वागत किस प्रकार होता है?

उत्तर – कवि ने मेघों  के आगमन की तुलना शहर से गाँव में आए मेघ रूपी अतिथि से की है। उनका स्वागत अतिथि की तरह होता है।  जिस तरह गाँव में आए हुए अतिथि का स्वागत किया जाता है,  ठीक उसी प्रकार उपर्युक्त पंक्तियों में मेघों का स्वागत किया जा रहा है।

प्रश्न 2. मेघों के आगमन पर बयार (हवा) की क्या प्रतिक्रिया हुई तथा क्यों? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – मेघों के आगमन पर पुरवाई हवा नाचती गाती चल पड़ती है,  मानो की वे मेघों के आने का संकेत दें रही हो और इस हवा के बहते ही लोगों के खिड़की दरवाज़े खुलने लगते है जिसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि लोग मेघ रूपी दामाद को देखने को आतुर है।

प्रश्न 3. मेघों के लिए ‘बन-ठन के’,  ‘सँवर के’ शब्दों का प्रयोग क्यों किया गया है?

उत्तर – जिस प्रकार शहर से कोई अतिथि (पाहुन) सज-धजकर तैयार होकर गाव आता है तो उसे देखकर लोगों में प्रसन्नता भर जाती है, उसी प्रकार मेघों के बन सँवरकर आने से लोगों में उसे देखने के लिए उल्लास उत्सुकता भर जाती है। अतः इसलिए मेघों के लिए बन-ठन के,  सँवर के शब्दों का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 4. ‘पाहुन ज्यों आएं हों, गाँव में शहर के’ – पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि ग्रामीण संस्कृति में ‘पाहुन’ का विशेष महत्त्व क्यों है?

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों में पाहुन अर्थात दामाद के रूप में प्रकृति का मानवीकरण हुआ है।  प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने मेघों के आगमन की तुलना किसी शहरीय अतिथि से की है।  वह कहते हैं कि जिस प्रकार मेघ बहुत दिनों के बाद गाँव में आया है, उसी प्रकार वे अतिथि भी कई दिनों के बाद गाँव में पधारे हैं। ग्रामीण संस्कृति में पाहुन का विशेष महत्व है क्योंकि उनके लिए अतिथि देव स्वरूप हैं, अर्थात अतिथि देवो भव:।


2. पेड़ झुक झाँकने लगे _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के।

प्रश्न 1. ‘पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों में सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी द्वारा आकाश में बादलों के घिर आने के माध्यम से किसी शहरी से गाँव में आये मेहमान का मानवीकरण किया गया है। जब मेघ आ गए तो पेड़ों का गरदन उचकाकर उन्हें देखने लगतें हैं। अतः भाव यह है कि जब पुरवाई हवा चलती है तो पेड़ों की टहनियाँ झुक जाती हैं और तब ऐसा प्रतीत होता है मानो मेघों के आगमन पर पेड़ गर्दन झुकाए अत्यंत उल्लास एवं उत्सुकता के साथ मेघों को देख रहें हैं।

प्रश्न 2. उपर्युक्त पंक्तियों में ‘पेड़’,  ‘धूल’ और ‘नदी’ को किस-किस का प्रतीक बताया गया है और कैसे?

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में पेड़ नगरवासियों का प्रतीक बताया गया है। जिस प्रकार गाँव के लोग झुक-झुककर मेहमान को प्रणाम करते हैं,  ठीक उसी प्रकार पेड़ भी अपनी गरदन झुकाकर आए हुए मेहमान को देखते है। धूल एक दौड़ती हुई युवती का प्रतीक है,  जो आए हुए मेहमान को देखकर भागी चली जा रही है तथा कवि ने नदी को वधुओं का प्रतीक बताया है,  जो घूँघट करके अपने मेहमानों को देखती है।

प्रश्न 3. ‘ बाँकी चितवन उठा नदी ठिठकी, घूँघट सरकाए’ – पंक्ति का भाव – सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति का भाव यह है कि मेघों के आने का प्रभाव पूरी प्रकृति पर पड़ता है। जिस प्रकार नदी ठिठकर ऊपर मेघ को देखने की चेष्टा करती है और तिरछी नज़र से मेघों को देखती है, ठीक उसी प्रकार गाँव की वधुओं ने घूँघट कर लिया है और वह मेहमान को देखने लगी हैं।

प्रश्न 4. उपर्युक्त पंक्तियों का भाव – सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति का भाव यह है कि गाँव में शहर से आए मेहमान के बन ठनकर आने पर जिस प्रकार गाँव के लोग उसे झुक-झुककर प्रणाम करते हैं वैसे ही पेड़ भी मेघों के गरदन झुकाकर देख रहे हैं। आँधी को उड़ते हुए देखकर कवि कल्पना करते हैं कि गाँव की मानो कोई युवती भेंट करने मेहमान की ओर भागी चली जा रही है। नदी के ठिठकने से कवि का आशय है कि गाँव की वधुओं ने घूँघट कर लिया है और वे मेहमानों को देखने लगी है।


3. बूढ़े पीपल ने आगे  _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के। 

प्रश्न 1.  मेघों के आगमन पर पीपल ने क्या किया?  उसके लिए बूढ़े शब्द का प्रयोग क्यों किया गया है? 

उत्तर – मेघों के आगमन पर पीपल उनका अभिवादन किया है। पीपल के पेड़ के लिए बूढ़े शब्द का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि उसकी आयु बहुत लंबी होती है। 

प्रश्न 2.  लता ने मेघों के आगमन पर उनसे क्या कहा और कैसे? काव्य पंक्ति में ‘ओट को किवार की’ का प्रयोग क्यों किया गया है? 

उत्तर – उपयुक्त पंक्तियों में लता को ऐसी पत्नी के रूप में दिखाया गया है जिसका पति उससे एक  वर्ष बाद मिलने आया हो। इसलिए वे लता किवाड़ की ओट में खड़ी होकर अपने पति को एक वर्ष के बाद आने का उलाहना देती है। काव्य पंक्ति में ‘ओट हो किवार की’ का प्रयोग इसलिए किया गया है क्योंकि उस गाँव में पत्नी अपने पति के सामने नहीं आती इसलिए कवि  ने कल्पना की है कि लता किवार की ओट में खड़ी होकर अपने पति को देखती है। 

प्रश्न 3. उपर्युक्त पंक्तियों में ‘पीपल’, ‘लता’ और ‘ताल’ शब्दों का प्रयोग कवि ने किस-किस के प्रतीक के रूप में किया है? 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में पीपल बूढ़े-बुजुर्गों का प्रतीक है, लता किवार की ओट से अतिथि को उलाहना देने वाली एक युवती का प्रतीक है और ताल उन सेवकों का प्रतीक है जो ख़ुशी ख़ुशी परात में पानी भरकर लाता है और मेहमानों के चरणों को धोता है। 

प्रश्न 4. शब्दार्थ लिखिए – जुहार,  सुधि, अकुलाई,  किवार। 

उत्तर – जुहार       – अभिवादन
            सुधि        – खबर
            अकुलाई  – उत्सुकता
            किवार     – दरवाजा 


4. क्षितिज अटारी गहराई _ _ _ _ _ _ _ _ _ _ सँवर के। 

प्रश्न 1. ‘क्षितिज अटारी’ से कवि का क्या अभिप्राय है? वहाँ किस-किस का मिलन हुआ? 

उत्तर –  क्षितिज अटारी से कवि का अभिप्राय है कि आकाश में बादल आ गए हैं,  यहाँ पर गहरे बादलों में बिजली चमकी और वर्षा शुरू होने लगी। यहाँ पर अथिति व उसकी पत्नी का मिलन हुआ है। 

प्रश्न 2. ‘क्षमा करो गाँठ खुल गई भरम की’ – पंक्ति के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि किसने,  किससे, कब तथा क्यों क्षमा माँगी? 

उत्तर – मिलन के उपरांत पत्नी के मन में जो भ्रम था,  वह दूर हो गया,  उसके भ्रम की गाँठ खुल गई अर्थात उसके मन की सारी शंकाएं दूर हो गई। जब पति-पत्नी का मिलन हुआ तो मिलन के अश्रु बह निकले तथा एक वर्ष के वियोग का बाँध भी मानो टूट गया। उसने मेहमान(अपने पति से) से क्षमा याचना की।

प्रश्न 3. ‘बाँध टूटा, झर-झर मिलन के अश्रु ढरके’ – आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि जैसे ही मेहमान और उसकी पत्नी का मिलन हुआ वैसे ही पत्नी की पति के प्रति सभी शिकायतें दूर हो गई। कवि ने इस संबंध में कल्पना की है कि जब दोनों का मिलन हुआ तो बिजली-सी कौंध गई और मिलन के अश्रु बहने लगे मानो कि एक वर्ष के वियोग का बाँध टूट गया। 

प्रश्न 4. उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – उपयुक्त पंक्तियों में कवि ने पति-पत्नी  के मिलने का सुंदर चित्र अंकित किया है। पत्नी के ह्रदय में पति के प्रति जो उलाहना व शिकायतें थी,  मिलन होते ही दूर हो गई। मेघों से वर्षा की छड़ी लगने को कवि ने आनंद एवं मिलन के अश्रु कहा है। बादलों का जल इस प्रकार बरसने लगा जैसे कि बाँध के टूटने पर पानी तेजी से बहने लगता हो। अतः भाव यह है कि पति-पत्नी का मिलन क्षितिज रूपी अटारी पर हुआ है। 

Friday, 31 July 2020

स्वर्ग बना सकते हैं


स्वर्ग बना सकते हैं
कवि - रामधारी सिंह 'दिनकर'

पद्यांशों के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 

1.धर्मराज यह भूमि किसी की _ _ _ _ _ _ _ _ आशंकाओं से जीवन। 

प्रश्न – 1 कौन किसे उपदेश दे रहा है?  वक्ता ने उसे धर्मराज क्यों कहा है?  उसने भूमि और भूमि पर बसने वाले मनुष्यों के संबंध में क्या कहा है?  

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति में भीष्म पितामह धर्मराज युधिष्ठिर को उपदेश दे रहें हैं। भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को धर्मराज इसलिए कहा है क्योंकि उसने कभी भी अपना धर्म नहीं छोड़ा तथा दूसरों को धर्म पर चलने की प्रेरणा दी। उसने भूमि और भूमि पर बसने वाले मनुष्य के संबंध में कहा है कि इस पृथ्वी पर सभी लोग समान है और सभी को प्रकृति के तत्व(धरती, आकाश, धूप व हवा) समान रूप से मिलने चाहिए क्योंकि उन पर सभी का समान रूप से अधिकार है। 

प्रश्न – 2 उपर्युक्त पंक्तियों में ‘भूमि’ के संबंध में क्या कहा गया है तथा क्यों?  

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों में भूमि के संबंध में कहा गया है कि यह भूमि किसी की खरीदी हुई दासी नहीं है। इस भूमि पर जन्म लेने वाले हर एक मनुष्य का इस पर समान अधिकार है। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कुछ लोगों से उनका अधिकार छीन लिया जाता है और ईश्वर द्वारा दी गई हर एक चीज से वंचित कर दिया जाता है। 

प्रश्न – 3 कवि के अनुसार मानवता के विकास के लिए क्या-क्या आवश्यक है? 

उत्तर – कवि के अनुसार मानवता के विकास के लिए मुक्त प्रकाश,  मुक्त वायु,  बाधा रहित विकास और  आशंका मुक्त जीवन अति आवश्यक है। इस पृथ्वी पर निवास करने वाले सभी लोगों का यह अधिकार है कि उनका बिना किसी बाधा के विकास हो।  उन्हें किसी भी प्रकार की चिंता अथवा भय का सामना न करना पड़े तथा सभी को प्रकृति के तत्व समान रूप से मिलें। मानवता के विकास के लिए यही सबसे आवश्यक है। 

प्रश्न – 4 उपयुक्त पंक्तियों द्वारा कवि क्या संदेश दे रहा है? 

उत्तर – पंक्तियों द्वारा कवि यह संदेश दे रहे हैं कि पृथ्वी पर जन्म लेने वाले सभी लोग समान है।  इसलिए उन्हें समान रूप से उनका अधिकार मिलना चाहिए।  ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रत्येक चीजों पर सभी का अधिकार है। किसी भी मनुष्य का अधिकार छीना नही जाना चाहिए और यही मानवता है। 

2. लेकिन विघ्न अनेक अभी _ _ _ _ _ _ _ _ शांति कहाँ इस भव को? 

प्रश्न – 1 ‘लेकिन विघ्न अनेक अभी इस पथ पर अड़े हुए है ‘ – कवि किस पथ की बात कर रहा है? उस पथ में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं? 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति में कवि मानवता रूपी विकास के पथ की बात कर रहे हैं। इस पथ पर अनेक प्रकार की कठिनाइयाँ समस्याएँ और बाधाएँ हैं,  जिससे मानव का समुचित विकास नहीं हो पाया है। कवि कहते हैं कि जब तक मनुष्य के न्याय के अनुसार अधिकारों को स्वीकार नहीं किया जाता,  जब तक उन्हें वे अधिकार नहीं मिल जाते,  तब तक समाज में शांति स्थापित नहीं हो सकती। 


प्रश्न – 2 धरती पर चैन और शांति लाने के लिए क्या आवश्यक है?  स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – धरती पर चैन और शांति लाने के लिए आवश्यक है कि मनुष्य के न्यायोचित अधिकार उन्हें दिए जाएं। इसलिए कवि कहते हैं कि जब तक मनुष्यों के न्याय के अनुसार अधिकारों को स्वीकार नहीं किया जाता,  जब तक उनके अधिकार उन्हें मिलने न जाएं तब तक धरती पर चैन और शांति नही हो सकती। 

प्रश्न – 3 उपर्युक्त पंक्तियों का संदेश स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – पंक्तियों में कवि  कहते हैं कि मानवता रूपी विकास के पथ में अनेक समस्याएँ तथा कठिनाइयाँ  हैं जो पर्वत बनकर उस मार्ग पर अड़े हैं। अतः मानवता रुपी विकास तथा समाज में शांति की स्थापना के लिए मनुष्यों को उनके न्यायोचित अधिकार मिलने चाहिए। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्तियों का भावार्थ यह है कि मानवता रूपी विकास के पथ में अनेक समस्याएँ तथा कठिनाइयाँ  हैं जो पर्वत बनकर उस मार्ग पर अड़े हैं और इसलिए समाज का समुचित विकास नहीं हो पाया है। मनुष्यों को न्याय के अनुसार अधिकार देना अत्यावश्यक है तभी समाज में शांति स्थापित हो सकती है। 

3. जब तक मनुज-मनुज का यह _ _ _ _ _ _ _ _ और भोग – संचय में। 

प्रश्न – 1 ‘शमित न होगा कोलाहल’ – कवि का संकेत किस प्रकार के कोलाहल की ओर है?  यह कोलाहल किस प्रकार शांत हो सकता है?  

उत्तर – उपर्युक्त पंक्तियों में कवि का संकेत मनुष्यों को समान अधिकार न मिलने से उत्पन्न युद्ध तथा मतभेद जैसे कोलाहल की ओर है। यदि सभी मनुष्य को सुख प्राप्ति के समान अधिकार प्राप्त हो गए तो कोलाहल शांत हो सकता है। 

प्रश्न – 2 आज मानव के संघर्ष का मुख्य कारण क्या है?  कभी के इस संबंध में क्या विचार हैं? 

उत्तर – आज मानव के संघर्ष का मुख्य कारण यह है कि उन्हें प्रकृति के सभी साधन तथा समानता के आधार पर सबको समान अधिकार प्राप्त नहीं हो पाए हैं। कवि का इस संबंध में यह विचार है कि स्वार्थ से ग्रसित कुछ लोग दूसरों की चिंता किए बिना धन-संचय में लगे हुए हैं जिससे संदेह तथा भय का वातावरण बना रहता है। 

प्रश्न – 3 कवि के अनुसार आज का मनुष्य कौन-सी बात भूल गया है तथा वह किस प्रवृत्ति में फँस गया है? 

उत्तर – कवि के अनुसार मनुष्य मानवता को भूल गया है। वह स्वार्थी बनकर धन-संचय की प्रवृति में फँस  गया है। वह दूसरे के बारे में ना सोच कर केवल अपने स्वार्थ के बारे में सोचता है। 
प्रश्न – 4 ‘ लगा हुआ केवल अपने में और भोग-संचय में’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – उपर्युक्त पंक्ति का आशय यह है कि कुछ स्वार्थी व्यक्ति दूसरे के बारे में न सोचकर केवल अपने लिए धन संचय में लगे हुए हैं इसलिए समाज में असमानता विकसित होती है और दूसरों के अधिकारों का हनन होता है। परिणामस्वरूप संदेह और भय का वातावरण बन जाता है। 

4. प्रभु के दिए हुए सुख इतने _ _ _ _ _ _ _ _ स्वर्ग बना सकते हैं। 

प्रश्न – 1 ‘ प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है? 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति द्वारा कवि यह कहना चाहते हैं कि ईश्वर के द्वारा इस पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में सुख के इतने साधन उपलब्ध है कि उससे भी मनुष्यों की सभी आवश्यकता पूर्ण हो सकती हैं। यदि स्वार्थी लोग अपने लिए संचय करने की भावना छोड़ दे तो पृथ्वी के साधनों का उपयोग सभी मनुष्य कर सकते हैं। अतः भाव यह है कि पृथ्वी पर सुख के साधनों की कमी नही है। 

प्रश्न – 2 ‘कहाँ अभी इतने नर’ – पति द्वारा कवि क्या समझाना चाहता है और क्यों? 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति द्वारा कवि यह समझाना चाहते हैं कि पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में सुख के इतने साधन उपलब्ध है कि उसमें हर एक मनुष्य अपनी जरूरतों को पूरा कर सकता है तथा उपभोग करने के बाद भी वे साधन बच जाएंगे अतः इसलिए कवि  कहते हैं कि इस पृथ्वी पर अभी इतने मनुष्य भी मौजूद नही जो पृथ्वी पर मौजूद भोग-सामग्री को समाप्त कर सकें। 

प्रश्न – 3 उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर -  उपर्युक्त पंक्तियों में कवि यह कहते हैं कि इस धरती पर ईश्वर द्वारा प्रदत सुख के इतने साधन है कि उससे सभी मनुष्यों  की आवश्यकताएं पूर्ण हो सकती है यदि कोई व्यक्ति अपने लिए संचय की दुष्ट प्रवृत्ति त्याग दें तो सबके भोगने के बाद भी खाद्य सामग्री समाप्त बची रह जाएगी। अतः कहने का भाव यह है कि इस पृथ्वी पर अभी इतने मनुष्य भी मौजूद नही जो इस पर मौजूद भोग-सामग्री को समाप्त कर सकें। 

प्रश्न – 4 कवि के अनुसार इस पृथ्वी को स्वर्ग किस प्रकार बनाया जा सकता है? 

उत्तर – कवि के अनुसार इस धरती पर सभी मनुष्य समान रूप से जन्म लेते हैं और जन्म लेते ही धरती पर समस्त संसाधनों पर उनका समान अधिकार बनता है। यदि सभी मनुष्यों को न्यायोचित अधिकार प्राप्त हो तथा सभी स्वार्थी व्यक्ति अपने बारे में न सोचकर दूसरे के बारे में सोचें और सभी को समान अधिकार और पृथ्वी पर उपस्थित समान भोग सामग्री प्राप्त हो तो निश्चय ही पृथ्वी को स्वर्ग बनाया जा सकता है। 

Monday, 29 June 2020

नेता जी का चश्मा


पाठ  का सारांश
  यह कहानी हालदार साहब और नेता जी सुभाषचंद्र बोस के चश्मे के  इर्द-गिर्द घूमती हैं। इस कहानी में कहानीकार स्वयं प्रकाश  एक सामान्य नागरिक कैप्टन चश्मेवाले के माध्यम से देश के करोड़ों नागरिकों के योगदान की चर्चा कर रहे हैं, जो अपनी स्तर पर देश के निर्माण में सहयोग देते हैं तथा अपनी देशभक्ति का परिचय देते हैं।
हालदार साहब को हर पँद्रह  दिन कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था। जहाँ  किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। जिसे कस्बे के इकलौते ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी  ने बनाया था।
मूर्ति संगमरमर की थी और लगभग दो फुट ऊँची थी।  मूर्ति  देखने में बहुत सुंदर लगती थी और फौजी वर्दी में थी। एक बात हालदार साहब को खटकती थी।  नेताजी की आँखों  पर चश्मा नही था।  यानी चश्मा तो था,  लेकिन संगमरमर का नहीं था।  एक सामान्य और सचमुच के चश्मे का चौड़ा काला प्रेम मूर्ति को पहना दिया गया था। दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजरे तो उन्होंने देखा की पहले  मूर्ति पर मोटे फ्रेम  वाला चौकोर चश्मा था,  अब तार के फ्रेमवाला गोल चश्मा और जब तीसरी बार वहाँ  से गुजरे तो दूसरा चश्मा था।
जब हालदार साहब के मन का कौतूहल बहुत बढ़ गया तो चौराहे पर स्थित पानवाले से पूछ ही लिया कि मूर्ति का चश्मा कैसे बदल जाता है। उत्तर में पानवाला बताता है कि एक कैप्टन चश्मे वाला है जो मूर्ति का चश्मा बदल देता है। हालदार साहब पानवाले से पूछते हैं कि कैप्टन चश्मेवाला चश्मा क्यों बदलता रहता है तो जवाब में पानवाला हालदार साहब को बताता है कि यदि ग्राहक को मूर्ति पर लगा चश्मा पसंद आता है तो कैप्टन वही चश्मा उतार कर ग्राहक को दे देता है और मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा देता है। कैप्टन को  नेताजी के बिना चश्मे की मूर्ति अच्छी नहीं लगती।  कैप्टन एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लंगड़ा आदमी था, जो सिर पर  गाँधी  टोपी और आँखों  पर काला चश्मा पहनता था। हालदार साहब फिर पूछते हैं की ओरिजिनल चश्मा कहाँ है तो पानवाला बताता है कि मास्टर बनाना भूल गया।
दो  साल तक हालदार साहब अपने काम के सिलसिले में उसी कस्बे से गुजरते और मूर्ति के बदलते हुए चश्मे को देखकर प्रसन्न होते। एक दिन ऐसा हुआ कि मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था और आसपास की दुकानें भी बंद थीं, लेकिन जब अगली बार भी चश्मा नहीं दिखाई दिया तो उन्होंने उसी पान वाले से पूछा कि आज तुम्हारे नेता जी की आंखों पर चश्मा क्यों नहीं है। तो उत्तर में पान वाले ने दुखी होकर कहा  “साहब! कैप्टन मर गया।“ हालदार साहब उदास हो गए और वहाँ से  चले गए। जाते-जाते वे सोच रहे थे कि क्या होगा उन लोगों का जो अपने लिए बिकने के मौके ढूंढते है और  उन लोगों पर भी हँसते  हैं जो अपनी जिंदगी, गृहस्थी व जवानी  सब कुछ देश के नाम  कर देते हैं।
पंद्रह दिनों बाद हालदार साहब उसी कस्बे से गुजरते हैं और यह सोचकर निकलते हैं कि वहाँ  पर नहीं रुकेंगे लेकिन वहाँ से गुजरते समय वह कुछ ऐसा देखते हैं जिससे वह गाड़ी को एकदम से रुकवाकर मूर्ति की ओर जाकर अटेंशन में खड़े हो जाते हैं।।, मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा था,  जिसे देखकर हालदार साहब की आँखे भर आईं।

नेता जी का चश्मा
- स्वयं प्रकाश जी 

प्रस्तुत पंक्तियों को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए  -

1.हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम के सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था।

प्रश्न – 1 कस्बे की क्या क्या विशेषताएँ थी ?

उत्तर – कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। कुछ पक्के मकान और एक ही बाज़ार था। एक  लड़कों का स्कूल व एक लड़कियों का स्कूल था। एक सीमेंट का कारखाना था और चौराहे पर नेता जी की  संगमरमर की मूर्ति बनी हुई थी,  जो नगरपालिका द्वारा बनवाई गई थी। नगरपालिका कभी-कभी कवि सम्मेलन भी करवा दिया करती थी। 

प्रश्न – 2 ‘नगरपालिका भी कुछ-न-कुछ करती रहती थी’ - स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – उस कस्बे की एक नगरपालिका थी जो हमेशा कुछ-न-कुछ करती रहती थी ताकि लोग उन्हें गलत न समझें। इसके लिए कभी कोई  सड़क पक्की करवा दिया करते थे या कभी  कुछ शौचालय बनवा दिया करते थे। अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए वे कभी-कभी कवि सम्मेलन भी करा दिया करते थे। इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार शहर के मुख्य बाज़ार में चौराहे पर नेता जी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी।

प्रश्न – 3 सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा किसने,  कहाँ  लगवाई?  उसे बनाने का काम किसे सौंपा गया और क्यों ? 

उत्तर - नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने  शहर के मुख्य बाज़ार में चौराहे पर नेता जी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवाई। मूर्ति बनाने की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं ज़्यादा थी तथा शासनावधि  समाप्त होने को थी। इसलिए  उसे बनाने का काम कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर मोतीलाल जी को सौंपा गया। 

प्रश्न – 4 नेता जी की मूर्ति की क्या विशेषताएँ थी?  मूर्ति में किस चीज की कमी थी ? 

उत्तर - मूर्ति की विशेषता यह है कि  वह संगमरमर की बनी थी तथा टोपी के नोक से कोट के दूसरे बटन तक कोई दो  फुट ऊँची थी। मूर्ति बहुत सुंदर लगती थी जिसको देखकर ‘दिल्ली चलो’ और ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा’ जैसे नारे याद आने लगते थे। केवल एक चीज की कसर थी नेताजी की आँखों पर चश्मा नहीं था। 

2.क्या मतलब?  क्यों चेंज कर देता है?  हालदार साहब अब भी  नहीं समझ पाए? 

प्रश्न - 1 पानवाले ने कैप्टन चश्मेवाले द्वारा नेता जी की मूर्ति का चश्मा चेंज करने के संबंध में क्या बताया? 

उत्तर – पानवाले ने कैप्टन चश्मेवाले द्वारा नेता जी की मूर्ति का चश्मा चेंज करने के संबंध में यह बताया कि जब कैप्टन चश्मेवाले के यहाँ कोई ग्राहक आता है तो उसे वैसा ही फ्रेम वाला चश्मा चाहिए होता है जैसा मूर्ति पर होता है तो वह नेता जी की मूर्ति के ऊपर से चश्मा निकालकर ग्राहक को दे देता है और मूर्ति पर दूसरे फ्रेम का चश्मा लगा देता है जिससे मूर्ति बुरी न लगे। 

प्रश्न - 2 पानवाले की बात सुनकर भी हालदार साहब को कौन-सी बात अभी भी समझ में नहीं आई? 

उत्तर - पानवाले की बात सुनकर हालदार साहब को अभी भी यह समझ नहीं आया था कि नेताजी का असली चश्मा कहाँ है। इस पर पानवाला हालदार साहब को बताता है कि मास्टर चश्मा बनाना भूल गया था। फिर  हालदार साहब को यह समझाया कि एक कैप्टन चश्मेवाला है जिसको नेताजी की बिना चश्मे के मूर्ति अच्छी नहीं लगती इसलिए वह बार-बार नेता जी की मूर्ति पर नया चश्मा लगा देता है।

प्रश्न – 3 पानवाले ने हालदार साहब की बात का क्या उत्तर दिया ?  उसका उत्तर उसके लिए तथा हालदार साहब के लिए अलग-अलग किस प्रकार था ? 

उत्तर - जब कैप्टन चश्मेवाले के यहाँ कोई ग्राहक आता है तो उसे वैसा ही फ्रेम वाला चश्मा चाहिए होता है जैसा मूर्ति पर होता है तो कैप्टन नेता जी की मूर्ति के ऊपर से चश्मा निकालकर ग्राहक को दे देता है और मूर्ति पर दूसरे फ्रेम का चश्मा लगा देता है। यह बात पान वाले के लिए तो एक मज़ेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए बहुत ही चकित और द्रवित करने वाली बात थी। 

प्रश्न – 4 मूर्ति बनानेवाले  के संबंध में हालदार साहब के मन में किस प्रकार का भाव जाग्रत हुए ? 

उत्तर – हालदार साहब सोचने लगे कि बेचारे मास्टर मोतीलाल जी ने महीने-भर में मूर्ति बनाकर पटक देने का वादा किया होगा। बना भी ली होगी और असफल रहा होगा या बनाते-बनाते कुछ और बारीकी के चक्कर में चश्मा टूट गया होगा या पत्थर का चश्मा अलग से बनाकर फिट किया होगा और वह निकल गया होगा। 

3.‘नहीं साब, वो लंगड़ा क्या जाएगा फ़ौज में ? पागल है,  पागल।  वो  देखो वो आ रहा है। आप उसी से बात कर लो।  फ़ोटो-वोटों छपवा दो उसका कहीं।'

प्रश्न – 1 हालदार साहब को पानवाले की कौन-सी बात अच्छी नहीं लगी और क्यों? 

उत्तर –  हालदार साहब को पानवाले का कैप्टन को पागल कहकर मजाक उड़ाना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा क्योंकि कैप्टन चश्मेवाला बूढ़ा व लंगड़ा होकर भी पूरा देशभक्त था।  खुद लंगड़ा होकर भी नेता जी को बुरा नहीं दिखाना चाहता था और इसके लिए को उनकी मूर्ति पर चश्मा लगाता था चाहे वह कैसा भी हो। मास्टर साहब ने तो मूर्ति  बनाकर छोड़ दी लेकिन एक ज़रूरी बात भूल गए की मूर्ति पर चश्मा नहीं था, लेकिन कैप्टन कभी नहीं भूला।
 
प्रश्न – 2 सेनानी न होने पर भी चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहा जाता था?  सोचकर लिखिए। 

उत्तर – सेनानी ने होने पर भी चश्मे वाले को कैप्टन इसलिए कहा जाता था क्योंकि बूढ़ा व लंगड़ा होने पर भी उसने अपनी देशभक्ति नहीं छोड़ी। यदि किसी मनुष्य की आँखों पर चश्मा लगा रहता  है और वह चश्मा उसकी  मूर्ति पर न लगा हो तो हमें उसको देख कर अच्छा नहीं लगता यहाँ तो बात नेता जी की मूर्ति की थी इसलिए कैप्टन मूर्ति पर कोई न कोई चश्मा लगाकर रखता था ताकि नेता जी की मूर्ति अच्छी दिखाई दे। 

 प्रश्न – 3 चश्मेवाले को देखकर हालदार साहब अवाक् क्यों रह गए?  चश्मेवाले का परिचय दीजिए। 

उत्तर – कैप्टन चश्मे वाले को देखकर हालदार साहब अवाक् इसलिए  रह गए क्योंकि वह एक बेहद बूढ़ा मरियल-सा लंगड़ा आदमी था।  उसके सिर पर गांधी टोपी और आंखों पर काला चश्मा लगा रहता था। उस बेचारे की कोई दुकान भी नहीं थी। एक हाथ में एक छोटी-सी संदूकची थी और दूसरे हाथ में एक बाँस पर टंगे हुए चश्मे लिए फेरी लगाता था।

प्रश्न – 4 हालदार साहब पानवाले से क्या पूछना चाहते थे और क्यों?  पानवाले ने उनकी बात पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की? 

उत्तर – हालदार साहब कैप्टन चश्मेवाले की देशभक्ति की भावना देखकर बहुत प्रभावित थे इसलिए पानवाले से पूछना चाहते थे, चश्मेवाले को कैप्टन क्यों कहते हैं?  उसका वास्तविक नाम क्या है? लेकिन पान वाले ने साफ बता दिया था कि वह इस बारे में और बात करने को तैयार नहीं है। 

4. ‘बार-बार सोचते,  क्या होगा उस काम का,  जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी,  जवानी-जिंदगी सब कुछ होम कर देने वालों पर भी हँसती  है और अपने लिए बिकने के मौके ढूंढती है?’

प्रश्न – 1 उपर्युक्त कथन का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – उपर्युक्त कथन से लेखक का आशय यह है कि जिन लोगों में सिर्फ स्वार्थ की भावना निहित है, भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और  देशप्रेम की भावना नहीं है, वे लोग देश के निर्माण कार्यों  में सहायता कैसे कर सकते हैं। ऐसे लोग उन लोगों पर हँसते हैं जिन्होंने ने अपना घर-गृहस्थी, जवानी, जिंदगी सब कुछ देश पर न्योछावर कर दिया। 

प्रश्न – 2 हालदार साहब को कैप्टन चश्मेवाला देशभक्त क्यों लगा?  स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर –  हालदार साहब को कैप्टन चश्मेवाला देशभक्त इसलिए लगा क्योंकि उसने गरीब और अपाहिज होने के बाद भी नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाया ताकि उनकी मूर्ति अच्छी दिखाई दे। उसने जीवन की अंत तक एक देशभक्त का जीवन व्यतीत किया। 

प्रश्न – 3 पंद्रह दिन बाद जब हालदार साहब उस कस्बे से गुज़रे तो उनके मन में कौन-कौन सी विचार आ रहे थे? 

उत्तर – पंद्रह दिन बाद जब हालदार साहब उस कस्बे से गुजरे तो उनके मन में यह विचार आ रहे थे कि चौराहे पर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति होगी लेकिन उस पर चश्मा नहीं होगा क्योंकि मास्टर भूल गया और कैप्टन मर गया।  उन्होंने सोचा कि उस दिन वह वहाँ नहीं रुकेंगे, पान नहीं खाएंगे और मूर्ति को नहीं देखेंगे लेकिन वे आदत से मजबूर थे और वहाँ से गुजरते ही उनकी नजर मूर्ति पर चली  गई। 

प्रश्न – 4 चौराहे पर रुकते हुए हालदार साहब क्या देखकर भावुक हो गए और क्यों? 

उत्तर – चौराहे पर रुकते हुए हालदार साहब भावुक हो गए क्योंकि मूर्ति की आँखों  पर सरकंडे से बना चश्मा रखा हुआ था। वे सोच रहे थे की अब मूर्ति पर चश्मा नहीं होगा जिससे मूर्ति बुरी दिखाई देगी क्योंकि उस  कस्बे में एक ही जो सच्चा देशभक्त था वह मर चुका था, लेकिन जब उन्होंने देखा कि मूर्ति पर चश्मा लगा है तो उनकी आँखे भर आईं क्योंकि उन्हें लगा चश्मेवाले की तरह कुछ और भी लोग देशभक्त हैं।

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