Monday, 28 April 2025

Nav Sanskrit Class 8 Ch 1 Explanation

संस्कृत कक्षा 8 पाठ - 1
हिंदी अनुवाद

(आठवीं कक्षा। उत्सव का वातावरण। कक्षा के एक कोने में भगवान श्रीगणेश की भव्य सुसज्जित मूर्ति है। छात्र एकत्रित होकर प्रार्थना करते हैं।) वक्रतुण्ड! महाकाय! सूर्यकोटिसमप्रभ! निर्विघ्नं कुरु मे देव! सर्वकार्येषु सर्वदा।।(प्रार्थना के बाद प्रसन्न छात्र आपस में बातचीत करते हैं। तभी आचार्य कक्षा में प्रवेश करते हैं।)

सभी छात्र:(खड़े होकर हाथ जोड़कर) – नमस्ते आचार्य! आपको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।

आचार्य: शुभ हो। धन्यवाद! गणेशोत्सव की आप सभी को बधाइयाँ। कृपया बैठ जाएँ।

सभी छात्र: धन्यवाद, आचार्य।

गोपाल: (कक्षा का छात्रप्रमुख) आचार्य, आज से इस उत्सव का आरंभ होगा। अतः हम इस विषय में कुछ विशेष जानना चाहते हैं।

आचार्य: ठीक है। सबसे पहले कोई यह बताए कि आज कौन सी तिथि है?

जया: हाँ, आचार्य। मैं जानती हूँ। आज भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि है।

आचार्य: बहुत अच्छे। शिवपुराण की कथा के अनुसार, इसी तिथि को भगवान श्रीगणेश का आविर्भाव हुआ था। इसलिए हम उनके जन्मदिवस को गणेश चतुर्थी के रूप में श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

गिरिजा : महोदय! तो फिर वह कथा सुनाइए।

आचार्य: (हल्के से हँसते हुए) – ठीक है। ध्यान और शांति के साथ सुनो। पुराने समय में एक समस्या के समाधान के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। उस समय श्रीगणेश अपने बड़े भाई कार्तिकेय के साथ वहाँ बैठे थे। देवताओं के कष्ट को दूर करने के लिए भगवान शिव ने दोनों महावीरों, गणेश और कार्तिकेय, से पूछा, “तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्ट को शीघ्र दूर करने में सक्षम है?” दोनों ने ही उत्साहपूर्वक कहा, ‘मैं सक्षम हूँ।‘ भगवान शिव ने कहा, “तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, वही इस कार्य के लिए नियुक्त होगा। “यह सुनकर कार्तिकेय ने तुरंत अपने वाहन मयूर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए प्रस्थान किया। अब बाल गणेश ने सोचा, ‘मैं अपने वाहन मूषक के साथ इतने कम समय में पृथ्वी की परिक्रमा कैसे करूँगा?’
कुछ सोचकर गणेश ने तुरंत अपने माता-पिता, शिव और पार्वती, की सात बार प्रदक्षिणा की और उन्हें प्रणाम किया।कुछ समय बाद, पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटे कार्तिकेय ने पूछा, “गणेश ने परिक्रमा क्यों नहीं की?” श्रीगणेश ने कहा, “माता और पिता के चरणों में ही समस्त लोक समाहित हैं। इसलिए मैंने केवल उनकी ही परिक्रमा की।“गणेश के इस बुद्धिमत्तापूर्ण उत्तर को सुनकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने गणेश को देवताओं के संकट निवारण के लिए नियुक्त किया।

सभी छात्र: (प्रसन्न मुद्रा में) आचार्य, इस कथा से हमारी जिज्ञासा शांत हुई और ज्ञानवर्धन भी हुआ। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

आरिफ: आचार्य, मेरे मन में एक प्रश्न है कि श्रीगणेश का रूप इतना भिन्न क्यों है? जैसे मूषक जैसा छोटा वाहन, लंबा पेट, छोटी आँखें, बड़े कान इत्यादि।

आचार्य: वत्स, यह सब प्रतीकात्मक है। इससे हमें जीवन के लिए सकारात्मक संदेश मिलते हैं। जैसे- उनका स्थूल शरीर यह बताता है कि धीरे-धीरे चलो, लेकिन अपने लक्ष्य को कभी न भूलो। उनकी थोड़ी टेढ़ी सूंड यह दर्शाती है कि ‘सफलता का मार्ग आसान नहीं होता।‘ बड़े कान यह कहते हैं कि हमें सब कुछ सुनना चाहिए। छोटी आँखें सूक्ष्म दृष्टि की सूचक हैं। अतः जीवन में मनुष्य हमेशा सकारात्मक रहे, यही भगवान श्रीगणेश का जीवन संदेश है।(तभी घंटी बजती है।)

सभी छात्र: (खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए) धन्यवाद, आचार्य। हम जीवन में इन संदेशों को कभी नहीं भूलेंगे। श्रीगणेश की तरह विघ्नों और कष्टों को अनदेखा कर प्रगति के पथ पर चलेंगे। (उच्च स्वर में) ॐ श्रीगणेशाय नमः।
आचार्य: तुम्हारे मार्ग शुभ हों।

No comments:

Post a Comment

Nukkad Natak 2025

नुक्कड़ नाटक विषय : Prevalence of child labour and importance of education Theme : बच्चें पढ़ेंगे, आगे बढ़ेंगे All : सुनो-सुनो भई सुनो-सुनो   ...