Monday, 25 August 2025

Class 8 Sanskrit Chapter 6 एकम दिनम यापय गुजराते v

गुजरात, भारत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित एक राज्य है, जो विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसकी राजधानी गांधीनगर है। इस राज्य की प्रमुख भाषा गुजराती है। देश के आर्थिक विकास में गुजरात की अर्थव्यवस्था का योगदान महत्वपूर्ण है। अहमदाबाद (कर्णावती), सूरत, वडोदरा और राजकोट इसके प्रमुख शहर हैं।

गुजरात के दर्शनीय स्थान

अहमदाबाद का प्रसिद्ध साबरमती आश्रम स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र था। गांधीजी ने यहीं से दांडी यात्रा की शुरुआत की थी। लोथल नामक नगर में सिन्धु सभ्यता के अवशेष संरक्षित हैं। सोमनाथ मंदिर और द्वारिका मंदिर गुजरात के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित हैं। पास ही कच्छ का रेगिस्तान लोगों को आकर्षित करता है। लोग अम्बाजी मंदिर में भक्ति भाव से पूजा करने आते हैं।
एशिया का एकमात्र शेरों का अभयारण्य जूनागढ़ का गीर क्षेत्र है। गुजरात का सापुतारा नामक प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल लोगों को आनंदित करता है। गुजरात में अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थान भी हैं, जैसे साबरमती रिवरफ्रंट, अक्षरधाम स्वामीनारायण मंदिर, अडालज की बावड़ी, रानी की बावड़ी, नागेश्वर, और मोढेरा सूर्य मंदिर आदि।

गुजरात का भोजन
गुजराती लोग शाकाहारी होते हैं। उनके भोजन में चीनी, सूप, रोटी, भाखरी, दाल, छाछ और चटनी शामिल होती है। यहाँ चने से बने खाद्य पदार्थ अधिक मात्रा में उपलब्ध हैं, जैसे खमण, ढोकला, फाफड़ा, थेपला आदि।
गुजरात के उत्सव
नवरात्रि एक रंगारंग उत्सव है। इस उत्सव में जगदम्बिका की आराधना और रात में गरबा नृत्य होता है।
भाद्रपद मास में तरणेतर गाँव में तरणेतर मेला आयोजित होता है, जहाँ विभिन्न स्थानों से लोग आकर 'हुडो' नामक नृत्य करके आनंद लेते हैं।
मकर संक्रांति (उत्तरायण) भी गुजरात का एक प्रसिद्ध उत्सव है। इस उत्सव में आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें दिखाई देती हैं। अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव में विदेशी लोग भी आकर अपनी पतंगों का प्रदर्शन करते हैं। लोग तिल-गुड़ के लड्डू और कुंडलिया भी खाते हैं।

गुजरात में संस्कृत
गुजरात में संस्कृत का महत्व भी बहुत अधिक है। स्कूलों और कॉलेजों में छात्र उत्साहपूर्वक संस्कृत पढ़ते हैं। इसके अलावा, संस्कृत भारती, संस्कृत साहित्य परिषद, संस्कृत साहित्य अकादमी, एकलव्य संस्कृत अकादमी आदि कई संस्थाएँ संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए कार्य कर रही हैं। श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय में भी पढ़ाई-लिखाई की उचित व्यवस्था है। संस्कृत विकिपीडिया परियोजना का एक केंद्र अहमदाबाद शहर में कार्यरत है।

Sanskrit class 8, Ch 5 - Vishva Manava

लंका विजय के बाद राम ने कहा, 'माता और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं।' धन्य हैं वे विश्व के भारतीय जो पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाते हैं। उनमें से प्रमुख हैं सत्य नडेला, शिव नडार और सुंदर पिचाई।

सत्य नडेला
1967 में हैदराबाद नगर में सत्य का जन्म हुआ। उन्होंने मनीपाल विश्वविद्यालय से अभियांत्रिकी शिक्षा प्राप्त की। 1992 में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट संस्थान में कार्य शुरू किया। उन्होंने विश्वास और निष्ठा के साथ अपना कार्य किया। फलस्वरूप, 2014 में वे माइक्रोसॉफ्ट संस्थान के तृतीय मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) बने। बचपन से ही उनकी क्रिकेट खेल और संगीत में रुचि थी। अंग्रेजी भाषा और हिंदी भाषा में काव्य निर्माण में निपुण सत्य नडेला ने विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया।

शिव सुब्रमण्य नादर
शिव का जन्म 1945 में तमिलनाडु राज्य में हुआ। उन्होंने अभियांत्रिकी शिक्षा में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1976 में, जब भारत में केवल 250 संगणक थे, तब उन्होंने छह मित्रों के साथ मिलकर 'एच.सी.एल.' नामक संगणक निर्माण संस्थान की स्थापना की। इसके बाद, 1989 में उन्होंने अमेरिका में भी एच.सी.एल. संस्थान की शाखाएँ शुरू कीं। इसके अतिरिक्त, भारत में उन्होंने 'शिव नादर' के नाम से विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना की। वे 'सूचना-प्रौद्योगिकी-जनक' के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। सॉफ्टवेयर निर्माण में प्रगति करके अब पद्मभूषण शिव नादर संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हो गए हैं।

सुंदर पिचाई
सुंदर का जन्म 1972 में मदुरै नगर में हुआ। उन्होंने खड़गपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) से अभियांत्रिकी की शिक्षा प्राप्त की। बचपन से ही उनकी स्मरणशक्ति अत्यंत उत्कृष्ट थी। वे अपने विश्वविद्यालय के क्रिकेट खेल दल के नायक थे। फुटबॉल और शतरंज (चेस) खेलों में भी उनकी रुचि थी। 2004 में उन्होंने गूगल संस्थान में कार्य शुरू किया। अपनी सृजनात्मक सोच के साथ वे एंड्रॉइड के प्रमुख बने। गूगल गियर्स, गूगल क्रोम, गूगल ड्राइव, गूगल मैप्स, जीमेल आदि के मुख्य चिंतन का श्रेय उन्हें ही जाता है। अंततः, विनम्रता, परिश्रम और विश्वास जैसे गुणों के साथ, 2015 में वे गूगल संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) बने।

हम विश्व में कहीं भी अपनी प्रगति करें, परंतु इसके साथ-साथ भारत के विकास के लिए भी चिंतन करें। छात्र भी देश के प्रति स्नेह को केवल 15 अगस्त या 26 जनवरी को न दिखाएँ, बल्कि संगठन और परिश्रम के साथ भारत के विकास के लिए कार्य करें।

Thursday, 21 August 2025

class 6 sanskrit ch 11

चिह्न: 'को'
जिस पर क्रिया का प्रभाव पड़ता है, उसे कर्मकारक कहते हैं। कर्मकारक में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग किया जाता है।
पिता:
मैं दुकान जा रहा हूँ। सब क्या-क्या चाहते हैं?
पुत्र:
मैं किताब, नोटबुक और रंगीन पेन चाहता हूँ।
माता:
मैं कुछ भी नहीं चाहती।
पिता:
ठीक है। मैं जाता हूँ।
(पिता दुकान जाता है।)
पिता:
महोदय, मैं एक नोटबुक, रंगीन पेन और किताब चाहता हूँ।
दुकानदार:
हाँ, मैं देता हूँ। यह नोटबुक है। यह रंगीन पेन है। यह किताब है।
(पिता सामान लेता है। वह घर लौटता है।)
पिता:
पुत्र, ये तुम्हारे सामान हैं।
पुत्र:
धन्यवाद।

Monday, 18 August 2025

Class 7 केरलराज्यम

भौगोलिक परिचय
केरल राज्य भारत के दक्षिण में स्थित है। केरल राज्य पर्यटन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। केरल राज्य को 'ईश्वर का अपना घर' के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ कई दर्शनीय स्थान हैं। यहाँ पर्वत, समुद्र, जंगल और तीर्थस्थल सभी एक ही स्थान पर हैं, इसलिए विदेशी पर्यटकों का आना-जाना हमेशा होता रहता है।

नदियाँ और पर्वत
केरल में 44 नदियाँ हैं। उनमें नील (भारतपुझा) सबसे लंबी नदी है। पर्वतों में मुन्नार पर्वतीय क्षेत्र और समुद्र तटों में कोवलम पर्यटकों का मन मोह लेते हैं।

संस्कृति
केरल राज्य की संस्कृति प्राचीन है। यहाँ अनेक उत्सव मनाए जाते हैं। ओणम केरल का प्रमुख उत्सव है। इस दिन महिलाएँ ओणपुक्कलम यानी फूलों की रंगोली बनाती हैं। उस दिन आडाप्रधमन (खीर) का वितरण भी होता है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रमों, प्रतियोगिताओं और नृत्यों का आयोजन होता है। 'कथकली' एक पारंपरिक नृत्य है। इसमें श्रृंगार और वेशभूषा का विशेष महत्व है।
वर्तमान में नौका दौड़ लोकप्रिय है। दौड़ प्रतियोगिता में श्रेष्ठतम पी.टी. उषा केरल प्रदेश की ही है।

भाषा
केरल की मुख्य भाषा मलयालम है। तमिल भाषा और संस्कृत भाषा का मलयालम भाषा के साथ घनिष्ठ संबंध है।
भोजन
चावल इस प्रदेश का मुख्य भोजन है। चावल से बने विभिन्न व्यंजनों को लोग खाते हैं। डोसा, इडली, पुट्टु, पालप्पम जैसे खाद्य पदार्थ भी महत्वपूर्ण हैं। फलों में केला और मिठाइयों में पायसम (खीर) भोजन में अवश्य शामिल होता है।
आयुर्वेद और चिकित्सा का पर्यटन क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

इस प्रकार भारत देश के सभी राज्यों में केरल का एक अलग ही महत्व है। केरल राज्य में संस्कृत का विशेष महत्व है। प्राचीन काल से ही यहाँ शंकराचार्य जैसे अनेक विद्वान हुए हैं। आधुनिक काल में भी इन विद्वानों का लोगों के मन में सम्मानपूर्ण स्थान है।

Monday, 11 August 2025

Class 8 Sanskrit Ch 4 विद्या महिमा

Chapter:4
विद्या-महिमा

श्लोक 1:
विद्या विनम्रता प्रदान करती है, विनम्रता से योग्यता प्राप्त होती है।
योग्यता से धन प्राप्त होता है, धन से धर्म, और धर्म से सुख।

श्लोक 2:
विद्वत्ता और राजत्व कभी भी समान नहीं होते।
राजा अपने देश में पूज्य होता है, किंतु विद्वान् सर्वत्र पूज्य होता है।

श्लोक 3:
न चोर इसे चुरा सकता, न राजा इसे हर सकता,
न भाइयों में बाँटा जा सकता, न यह बोझ बनता।
खर्च करने पर भी यह सदा बढ़ता है,
विद्या-धन सभी धनों में प्रधान है।

श्लोक 4:
विद्या मनुष्य का सर्वोत्तम रूप है, यह गुप्त और छिपा हुआ धन है।
विद्या भोग प्रदान करती है, यश देती है, सुख देती है,
विद्या गुरुओं की भी गुरु है।
विद्या विदेश में बंधु-जनों का काम करती है,
विद्या परम देवता है।
विद्या राजाओं द्वारा पूजी जाती है, धन नहीं।
विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है।


श्लोक 5
सुख की इच्छा करने वाले को विद्या कहाँ? और विद्या की इच्छा करने वाले को सुख कहाँ?
सुख चाहने वाला विद्या त्याग दे, या विद्या चाहने वाला सुख त्याग दे।



Class 8 Sanskrit Chapter 2 : प्रथम: कूप:

एक सरोवर के आसपास एक छोटा-सा राज्य था। एक बार गर्मियों में भयंकर गर्मी पड़ी और बारिश नहीं हुई। सरोवर सूख गया। लोग चिंतित हो गए। वे सभी राजा के पास गए।

किसान और मछुआरे बोले, "लंबे समय से बारिश नहीं हुई। हमारे खेत सूख गए हैं। सरोवर में मछली पकड़ने के लिए मछलियाँ नहीं हैं। हम अपनी आजीविका कैसे कमाएँगे? हे राजन! हमारी रक्षा करें।"



जल की खोज के लिए राजा ने सभी दिशाओं में चार चतुर सेनापतियों को भेजा। उन्होंने रात-दिन जल की खोज की। उनमें से तीन सेनापति खाली हाथ नगर लौट आए।

जो सेनापति उत्तर दिशा में गया, उसने सोचा, "किसी भी तरह मैं जल की खोज करूँगा। यह मेरा कर्तव्य है।" इसलिए वह आगे बढ़ता गया। अंततः वह एक पर्वत पर एक ठंडे गाँव में पहुँचा। जब वह पर्वत की घाटी में बैठा, तब एक वृद्धा वहाँ आई और उसके पास बैठ गई।

सेनापति ने कहा, "मैं एक सुंदर राज्य से आया हूँ, जहाँ पूरे वर्ष बारिश नहीं हुई। क्या तुम जल ढूँढने में मेरी सहायता करोगी?"

उस महिला ने सेनापति को अपने साथ चलने के लिए कहा और उसे एक पर्वतीय गुफा में ले गई। उसने गुफा में एक हिमखंड दिखाते हुए कहा, "यह बर्फ है। इसे ले लो। तुम्हारा देश कभी प्यासा नहीं रहेगा।"

सेनापति ने एक बड़ा हिमखंड तोड़ा और उसे अपनी गाड़ी में रख लिया। वह तेजी से घर की ओर चल पड़ा। जब तक वह नगर पहुँचा, तब तक वह विशाल हिमखंड छोटा हो चुका था।

सभी ने आश्चर्य से उस हिमखंड को देखा। "यह जल का बीज हो सकता है," एक मंत्री ने अचानक कहा।
राजा ने जल-बीज को शीघ्र बोने का आदेश दिया। जब किसानों ने गड्ढा खोदा, तो हिमखंड और अधिक पिघल गया।
उन्होंने जल्दी से उस बीज को गड्ढे में रखा, लेकिन ढकने से पहले ही वह बीज अदृश्य हो गया। उन्होंने उस गड्ढे को और गहरा खोदा, रात तक खोदते रहे और उस विचित्र बीज की खोज करते रहे।
सुबह राजा ने गड्ढे में देखा। चकित होकर उसने ऊँचे स्वर में कहा, "जागो, मेरी प्रजा! जल-बीज अंकुरित हो गया है। गड्ढे में जल है।"
इस प्रकार पहला कुआँ बनाया गया।

Thursday, 24 July 2025

Nukkad Natak 2025

नुक्कड़ नाटक
विषय : Prevalence of child labour and importance of education
Theme : बच्चें पढ़ेंगे, आगे बढ़ेंगे
All : सुनो-सुनो भई सुनो-सुनो
     सुनो-सुनो भई सुनो-सुनो
झूम-झूम कर घूम घूम कर, सबको यह बतलाएंगे,
हम सब विद्यालय के बच्चें
नई दिशा दिखाएंगे, नई दिशा दिखाएंगे
आओ-आओ मिलकर देखे, आओ-आओ नाटक देखे-2
दूर वाले पास आओ, पास वाले बैठ जाओ
Aditi: अच्छा तो आज यहां नाटक होगा और नाटक का शीर्षक महंगाई होगा
All: नही-नही, नही-नही
Tanishk: तो नाटक का शीर्षक बेरोज़गारी होगा
All: नही-नही, नही-नही
Akshat: तो फिर नाटक का शीर्षक जरूर भ्रष्टाचार होगा
All: बिल्कुल नही बिल्कुल नही
Sambhav: न महंगाई, न बेरोजगारी इस नुक्कड़ नाटक का शीर्षक हैं “बचपन को बचाना हैं, देश को बढ़ाना हैं
All : बिल्कुल सही बिल्कुल सही
Aditi: चलिए आज हम आपको एक नाटक का दृश्य दिखाते है

All: सुनो-सुनो भई, सुनो-सुनो
     नई कहानी सुनो सुनो
    सुनो-सुनो भई, सुनो-सुनो
     नई कहानी सुनो सुनो
चाय की दुकान
(छोटू तेजी से चाय के गिलास साफ कर रहा है। मालिक चिल्ला रहा है।)
Reyansh: अरे छोटू ! तेजी से काम कर ! ग्राहक इंतजार कर रहे हैं। एक भी चाय का गिलास टूटा तो तेरी खैर नहीं!
Yuvraj : (मुंह बनाते हुए) अरे मालिक, मैं तो सुपरमैन हूँ! एक साथ सारा काम कर सकता हूँ, लेकिन मेरी उंगलियाँ अब जवाब दे रहीं हैं मालिक।
Reyansh : जुबान लड़ाता हैं, चुपचाप अपना काम कर
Reyansh : और रिंकी तू इतनी देर से क्या कर रही है? देख यहाँ भी कूड़ा पड़ा हैं, तू कैसे झाड़ू लगाती हैं। एक काम ढंग से नही होता इन बच्चों से
Yuvraj: अगर ये मोटा सेठ थोड़ा काम खुद भी करले तो इसकी सेहत अच्छी बन जाए।
Bhavya: सही कहा ये हमसे बहुत काम करवाते हैं, हमको पढ़ने भी नही देते, सच कहूं तो मैं पढ़ना चाहती हूँ, आगे बढ़ना चाहती हूँ।
Yuvraj: अरे ये पढ़ना लिखना हमारे नसीब में कहाँ,,,अब तो हाथ की लकीरें भी बर्तन घिस-घिसकर मिट गई हैं।
Reyansh: तुम पढ़ लिख कर क्या करोगे, पैसे कमाओ, माँ बाप की मदद करो। चलो निकलो

Sambhav: बच्चों के संग ये दुर व्यवहार
All: बंद करो ये अत्याचार
Sambhav: बच्चों के संग ये दुर व्यवहार
All: बंद करो ये अत्याचार
Jayant : हमारे देश में शुरू से ही बच्चों को भगवान का रूप माना जाता हैं और भगवान के बाल रूप इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं,
Vaishnavi: लेकिन आज की तस्वीर बिल्कुल अलग हैं, देखो क्या हालत हैं इन नन्हे बच्चों की
Manas: रोटी की खातिर देखो, बच्चा करता मजदूरी हैं, यह कठोर अभिशाप झेलने की कैसी मजदूरी हैं।
Aditi: हम समाज का यह कलंक अभिशाप मिटाना होगा, दबे हुए अरमानो में पँख लगाना होगा।
Sonakshi: कदम से कदम मिलना है, सबको साक्षर बनाना है, सपना साकार कर दिखाना हैं, देश को भी तो आगे बढ़ाना है,
Vaishnavi:, प्यारे दोस्तों, देश में हो रहीं बाल मजदूरी से हम हो रहे बदनाम
अब इन नन्हे बच्चों का बचपन बचाना ही है हमारा काम

Tanishk: कैसी ये मज़बूरी है,
All: बंद करो ये मजदूरी है
Tanishk: कैसी ये मज़बूरी है,
All: बंद करो ये मजदूरी है
All: सुनो-सुनो भई, सुनो-सुनो
     नई कहानी सुनो सुनो
    सुनो-सुनो भई, सुनो-सुनो
     नई कहानी सुनो सुनो
Taniahk: टेलीग्राम, टेलीग्राम टेलीग्राम माता जी ये लीजिये आपका टेलीग्राम आया हैं
Somya: जाने किसका टेलीग्राम आया हैं, पता नही क्या लिखा होगा, अगर मैं पढ़ी लिखी होती तो इसे पढ़ लेती, अब किससे पढ़वाऊ
Sarthak: अरे काकी बड़ी परेशान दिख रहीं हो, के हुआ, सब ठीक है ना
Somya: अरे भईया जरा ये टेलीग्राम तो पढ़ देना कहीं कोई जरूरी बात तो नहीं लिखी इसमें
Sarthak: नही काकी अभी मन्ने भोत काम है
Somya to Reyansh: बेटा जरा ये पढ़ दो
Reyansh: रे चाची यों मेरे काम ना हैं, अपनी बेटी से पढ़वा लेना
Somya: 7 दिन बाद मेरी बेटी आएगी, अब ये टेलीग्राम मैं अपनी बेटी से ही पढवाउंगी
(7 दिन बाद)
(Manas take round with poster)
Somya: अरे बेटा तू आ गयी, लें जरा ये पढ़कर सुना दे क्या लिखा है इसमें
Kashvi: माँ आपने मुझे पहले क्यों नही बताया, मुझे तत्काल सरकारी नौकरी ज्वाइन करने का टेलीग्राम था, कितना अच्छा अवसर था जो मेरे हाथों से निकल गया, अब क्या होगा मेरा? माँ काश तुम पढ़ी-लिखी होती तो आज मेरे हाथों ये नौकरी मेरे हाथ से ना जाती।
Jayant : इसलिए मै कहता हूँ, 
              गली गली लगाओ नारा,
All: शिक्षा से मिटता अँधियारा
Jayant: गली गली लगाओ नारा,
All: शिक्षा से मिटता अँधियारा
Bhavya: जब शिक्षित हो हर नर नारी,
All: तभी मिटेगी दिक्कत सारी
Jayant: 21वीं सदी की यही पुकार, शिक्षा है सब का अधिकार
All: शिक्षा है सब का अधिकार-2
Sarthak : अरे भईया बच्चों को भेजो स्कूल, और नही तुम करना भूल
All: और नही तुम करना भूल-2
Sonakshi: जो अनपढ़ रह जाता है, जीवन भर पछताता है
All: जीवनभर पछताता है जीवनभर पछताता है
Akriti : पढ़ लिख लिखकर बन होशियार, 
All: समझ बढ़े तो बढ़े विचार
Akriti : पढ़ लिख लिखकर बन होशियार, 
All: समझ बढ़े तो बढ़े विचार
Reyansh : सुनो सुनो भई सुनो सुनो एक नई कहानी सुनो सुनो
All: सुनो सुनो भई सुनो सुनो एक नई कहानी सुनो सुनो
Yuvraj to Aditi: अरे अम्मा वोट किसे दिया है
Aditi: अरे बेटा वहाँ तो बहुत सारे फोटो थे मैंने तो गाय का बटन दबाया (लाठी के साथ)
Yuvraj – गाय पर क्यों
Aditi – अरे बेटा गाय पवित्र मानते है, इसलिए मैंने उसका बटन दबाया
Yuvraj: अरे ये क्या किया अम्मा, हम वोट नेता को देते हैं गाय को नही
Aditi- अरे यो बात तो मैंने सोच्ची नी, अर जो मैं पढ़ी लिखी होती तो आज मुझसे ये गलती ना होती
Tanishk: अम्मा जैसे अनपढ़ लोगों के कारण ही चुनाव में गलत लोगों का चुनाव हो जाता है और देश की तरक्की में बाधा आती है
All: बिन शिक्षा से ही दास हुए,
   शिक्षा से ही राज मिले
   शिक्षा ही इतिहास बदलती
   शिक्षा ही विकास है लाती
Sambhav: शिक्षा है अनमोल रतन, पढ़ने का कुछ करो जतन
All: पढ़ने का कुछ करो जतन
Jayant : आज हमारे देश में बाल मजदूरी और अशिक्षा बढ़ती जा रही है हमें इस से मिलकर लड़ना होगा
Reyansh :  भारत सरकार के सर्व शिक्षा अभियान को हमें जन जन तक पहुंचना होगा।
Tanishk: अगर पोहोचना आसमान तक
All:अगर पोहोचना आसमान तक
Tanishk: समझ समझकर पढ़ना होगा
All: समझ समझकर पढ़ना होगा
Tanishk: विश्व गुरु अगर बनना हो तो
All :विश्व गुरु अगर बनना हो तो
Tanishk: मिलकर आगे बढ़ना होगा
All : मिलकर आगे बढ़ना होगा-2
All: सुनो-सुनो भई, सुनो-सुनो
    हमारी वही कहानी सुनो सुनो
    सुनो-सुनो भई, सुनो-सुनो
    हमारी वही कहानी सुनो सुनो
Aditi to Yuvraj : उठो बच्चे, तुम स्कूल क्यों नही जाते
Yuvraj: मैडम मैं पढ़ना तो चाहता हूँ लेकिन काम से छुट्टी नही मिलती
Aditi: बेटा शिक्षा से ही आज है, शिक्षा से ही विकास है,
      यूँ तोड़ो न तुम अपनी उम्मीदों को
      तुम सबमे बहुत कुछ खास है
All: तुम सब में बहुत कुछ खास है।
Kaasvi: बेटा, परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है-2
ज़मीन पर बैठा तू क्यों आसमान देखता है
All: उठो बेटा उठो, तुम्हें समाज से लड़ना होगा तुम्हें ही आगे बढ़ना होगा तुम्हें ही आगे बढ़ना होगा
Reyansh: अरे छोटू बर्तन क्यों नही किए तुमने? (आश्चर्य से)
Yuvraj : अब मैंने काम छोड़ दिया है
Somya: नही अब और नही, हम इस अन्याय को बंद करेंगे. ये बच्चें ही देश का भविष्य है। 
Sambhav: नही छोटू,  अब तू मत करना मजदूरी, 
तेरे लिए है शिक्षा जरुरी
Yuvraj : झुक झुक कर सीधा खड़ा हुआ,
           अब फिर झुकने का शौक नही
          अपने ही हाथों से रचूंगा खुदको,
           तुमसे मिटने का खौफ नही
            पढूँगा मै लिखूंगा मै
         जब तक मंजिल मिल न जाए, 
          आगे बढ़ता रहूँगा मै।

(गोल चककर लगाकर वापिस जाते वक़्त)
Sambhav सुनो सुनो भई सुनो सुनो 
All :सुनो सुनो भई सुनो सुनो 
Sambhav:  हम तुम्हें सिखाने आए है
All :हम तुम्हें बताने आए है
 Sambhav: दबे हुए अरमानो में, 
 All : हम पँख लगाने आएं है।



Tuesday, 27 May 2025

गिरिधर की कुंडलियाँ




गिरिधर की कुंडलियाँ
- गिरिधर कविराय

 निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

1. लाठी में गुण बहुत हैँ   ____________हाथ महँ लीजै लाठी।। 

प्रश्न – 1 गिरिधर कविराय ने लाठी के किन-किन गुणों की ओर संकेत किया है? 

उत्तर – कवि कहते हैं कि लाठी में बहुत गुण है,  इसलिए इसे हमेशा अपने साथ रखना चाहिए। यदि गहरी नदी या नाली हो तो यह न सिर्फ हमें गिरने से बचाती है, बल्कि लाठी के सहारे हम गहराई नाप कर उसे पार भी कर सकते है। मार्ग में कुत्ते से सामना हो तो लाठी द्वारा उससे रक्षा हो सकती है। लाठी से दुश्मन पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न – 2 लाठी हमारी किन-किन स्थितियों में सहायता करती है?

उत्तर – लाठी अनेक प्रकार से हमारी सहायता करती है।  नदी व नाली की गहराई नापने के काम आती है।  मार्ग में अगर कुत्ता झपट पड़े तो उससे बचाव हो सकता है और दुश्मन अगर आक्रमण करें तो लाठी उससे भी हमें बचा सकती है। 

प्रश्न  - 3 कवि सब हथियारों को छोड़कर अपने साथ लाठी रखने की बात कह रहे हैं। क्या आप उनकी बात से सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – कवि  सब हथियारों को छोड़कर अपने साथ लाठी रखने की बात कह रहे हैं। हाँ, हम उनकी बातों से सहमत हैं क्योंकि लाठी घर के बाहर सब जगह रखी जा सकती है,  यह हथियार भी नहीं है जो इसे रखने पर पाबंदी होगी। यह हर प्रकार से मनुष्य की सच्ची दोस्त है, जो हर प्रकार के मनुष्य की रक्षा करती है।

प्रश्न – 4 शब्दार्थ लिखिए – नारी, दावागीर,  तिनहूँ,  छाँड़ि 

उत्तर –  नारी – नाली,    
             दावागीर – हमला, 
             तिनहूँ – उनके ,  
             छाँड़ि – छोड़कर


2. कमरी थोरे  दाम कि _____________ बड़ी मर्यादा कमरी।। 

प्रश्न – 1 छोटी-सी कमरी हमारे किस-किस काम आ सकती है? 

उत्तर – कवि के अनुसार काला कमरी( साधारण कंबल ) थोड़ी मूल्य में प्राप्त हो जाती है। इसके अनेक लाभ हैं जैसे कीमती कपड़ों को लपेट कर उन्हें कंबल में रखा जा सकता है क्योंकि यह कीमती कपड़ों को धूल व धूप से बचाता है, उनका मान रखता है। इसकी छोटी-सी गठरी बनाई जा सकती है। रात में कंबल को झाड़ कर बिछाया जा सकता है तथा उस पर आराम से सोया जा सकता है।

प्रश्न – 2 गिरिधर कविराय के अनुसार कमरी में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं? 

उत्तर – कवि के अनुसार कंबल थोड़े से मूल्य में ही प्राप्त हो जाता है। इसके अनेक लाभ हैं।  उत्तम वे महंगे कपड़ों को लपेटकर कंबल में रखा जा सकता है,  जिससे उन कपड़ों पर धूल व धूप लगने से बचती है और उनका मान बना रहता है। इसकी छोटी-सी गठरी बनाई जा सकती है। रात में कंबल को झाड़ कर बिछाया जा सकता है और उस पर आराम से सोया जा सकता है, इसलिए इसे हमेशा साथ रखना चाहिए। 

प्रश्न – 3 ‘बकुचा बाँटे मोट, राति को झारि बिछाव’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – इस पंक्ति द्वारा कवि कहना चाहते हैं कि इस कमरी के अनेक लाभ हैं। यह हमारे बहुत प्रकार से काम आती है। हम रात में कमरे को झाड़ कर उसे बिछा सकते हैं तथा उस पर आराम से सोया भी जा सकता है। इसी प्रकार ठंड लगने पर इसे ओढ़ा भी जा सकता है। 

 प्रश्न – 4  ‘खासा मलमल वाफ़्ता, उनकर राखै मान’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं?  

उत्तर - उपर्युक्त पंक्ति द्वारा कवि बताते हैं कि खासा व मलमल और महंगे कपड़ों को कमरी धूप में धूल और पानी से बचाती है, उनका मान रखती है। अत: कंबल बहुत उपयोगी चीज़ है।


3. गुन के गाहक सहस  ________________ सहस नर गाहक गुन के।।

प्रश्न – 1 ‘गुन के गाहक सहस नर’ को स्पष्ट करने के लिए कविराय ने कौन-सा उदाहरण दिया है और क्यों? 

उत्तर – कवि के अनुसार संसार में सर्वत्र गुणी व्यक्ति का आदर व सम्मान होता है। गुणी व्यक्ति  को चाहने वाले हजारों होते हैं। ऐसे व्यक्ति को कोई नहीं पूछता, जिसमें कोई गुण न हो। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने गुणों का विकास करना चाहिए। कवि ने कौवा और कोयल का उदाहरण देकर भी समझाया है कि कौवा और कोयल दोनों का रंग काला होता है, किंतु कोयल को उसकी आवाज़ की वजह से पसंद किया जाता है और कौवे को उसकी कर्कश आवाज की वजह से कोई पसंद नहीं करता।

प्रश्न – 2 कागा और कोकिला में कौन-सी बात समान है और कौन- सी असमान?  स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर – कवि के अनुसार कागा और कोकिला दोनों का रंग काला होता है और दोनों समान आकर के भी होते हैं, किंतु कोयल को उसकी मधुर आवाज़ के कारण पसंद किया जाता है और कौवे को उसकी काँव-काँव की वजह से  कोई पसंद नहीं करता। 

प्रश्न – 3 बिनु गुन लहै न कोय,  सहस नर गाहक गुन के’ पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – कवि इस पंक्ति द्वारा कहते हैं कि समाज में केवल गुणों की सराहना की जाती है। गुणों का ही  आदर किया जाता है, रंग रूप आदि का नहीं।  बिना गुणों के किसी भी व्यक्ति का सम्मान नहीं होता और गुणी व्यक्ति को चाहने वाले हज़ारों होते हैं। 

प्रश्न – 4 उपर्युक्त कुंडलियों का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए तथा बताइए कि इस कुंडलियां द्वारा क्या संदेश दिया गया है? 

उत्तर – केंद्रीय भाव यह है कि गुणी व्यक्ति के हज़ारो प्रशंसक होते हैं एवं उसके गुणों की सरहाना की जाती है, इसलिए व्यक्ति को सदैव अपने गुणों का  विकास करने का निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। 


4. साईं सब _______________________ कोई साईं।। 

प्रश्न – 1 कवि के अनुसार इस संसार में किस प्रकार का व्यवहार प्रचलित है? 

उत्तर – कवि  के अनुसार इस संसार में सभी लोग मतलब से व्यवहार करते हैं,  मतलब से  ही संबंध बनाए रखते हैं और  जब मतलब सिद्ध हो जाता है तब संबंध समाप्त हो जाता है।  भाव यह है कि संसार में लगभग सभी व्यक्ति स्वार्थी हैं। जब तक किसी पर धन दौलत रुपया पैसा रहेगा उसके मित्र उसके चारों ओर बैठे रहेंगे और जब धन समाप्त हो जाता है तब मित्रता भी समाप्त हो जाती है। 

प्रश्न – 2 ‘साईं सब संसार में’ - शीर्षक कुंडलिया से मिलने वाले संदेश पर प्रकाश डालिए। 

उत्तर - 'साईं इस संसार में’ नामक शीर्षक कुंडली से संदेश मिलता है कि दुनिया में रहने वाले सभी व्यक्ति स्वार्थी एवं मतलबी होते हैं।  जब तक उनका मतलब सिद्ध होता है तब तक व्यक्ति के साथ संबंध बना रहता है और जब मतलब खत्म हो जाता है तो संबंध भी समाप्त हो जाता है। 

प्रश्न – 3 उपर्युक्त कुंडलिया में  सच्चे एवं झूठे मित्र की क्या पहचान बताई गई है? 

उत्तर – उपर्युक्त कुंडलिया में बताया गया है कि सच्चा मित्र विपरीत परिस्थितियों में भी कभी साथ नहीं छोड़ता,  परंतु झूठा मित्र सुख में तो हरदम साथ रहता है और दुख पड़ने पर मित्र को भूल जाता है।  सच्ची मित्रता मरते दम तक साथ रहती है,  परंतु झूठी मित्रता चार दिन की चांदनी के बाद समाप्त हो जाती है। 

प्रश्न - 4 उपर्युक्त कुंडलिया का प्रतिपाद्य लिखिए। 

उत्तर - प्रस्तुत कुंडलिया  में कवि ने इस बात पर बल दिया है कि हमें मित्रों का चयन बहुत सोच समझ कर करना चाहिए क्योंकि इस संसार में बहुत से स्वार्थी लोग भरे हैं जो हमारे अच्छे समय में तो हमारे साथ रहते हैं किंतु बुरे वक्त में हम से दूरी बना लेते हैं और सीधे मुंह बात भी नहीं करते। अतः संसार का यही व्यवहार है,  यही रीति है और यहाँ का व्यवहार स्वार्थ पर आधारित है। 


5. रहिए लटपट ______________________ छाया में रहिए।। 

प्रश्न  – 1 कवि के अनुसार हमें किस प्रकार के पेड़ की छाया में बैठना चाहिए और क्यों? 

उत्तर – कवि के अनुसार हमें मजबूत पेड़ की छाया में ही बैठना चाहिए क्योंकि आँधी  या तूफ़ान आने पर  उसके पत्ते तो झड़ सकते हैं किंतु तना और डालियाँ सुरक्षित रहेंगी। अतः मनुष्य को भी किसी बलवान व्यक्ति के साथ ही संगत करनी चाहिए क्योंकि वह खुद को भी सुरक्षित रखता है और अपने पास आए व्यक्ति को भी सुरक्षित रख सकता है। 

प्रश्न – 2 ‘छाँह मोटे की गहिए’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहते हैं? 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति द्वारा गिरिधर कविराय जी हमें मोटे तने वाले पेड़ की छाँव में बैठने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि तूफान व आँधी आने पर उसके पत्ते तो झड़ सकते हैं,  किंतु उसका तना व डालियाँ सुरक्षित रहती हैं। अतः मनुष्य को किसी अनुभवी व मजबूत व्यक्ति के साथ संगत करनी चाहिए क्योंकि विपत्ति आने पर वह स्वयं को भी संभाल सकता है और अपने संगी साथी को भी। 

प्रश्न – 3 उपर्युक्त कुंडलियां द्वारा कवि क्या संदेश दे रहे हैं? 

उत्तर – उपर्युक्त कुंडली द्वारा कविराय पेड़ के माध्यम से यह संदेश दे रहे हैं कि हमें समर्थ एवं अनुभवी व्यक्ति का सहारा लेना चाहिए निर्बल का नहीं।  निर्बल व्यक्ति न अपनी सुरक्षा कर सकता है न ही दूसरे की जबकि सबल व्यक्ति स्वयं भी सुरक्षित रहता है और अपने पास आए व्यक्ति को भी सुरक्षित रख सकता है। 

प्रश्न – 4 कवि के अनुसार एक दिन कौन धोखा देगा तथा कब ? उससे बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए? 

उत्तर – कवि के अनुसार जिस प्रकार आँधी व तूफ़ान में पतले तने वाला पेड़ और कमजोर डालियाँ  टूट जाती हैं उसी प्रकार विपत्ति आने पर कमजोर व्यक्ति भी धोखा दे देता है। अतः ऐसे धोखे से बचने के लिए मजबूत एवं अनुभवी व्यक्ति के साथ रहना चाहिए। 


6. पानी बाढ़ै नाव में  _____________________  राखिये अपना पानी।। 

प्रश्न – 1 ‘दोऊ हाथ उलीचिए, यही सयानों काम’ – पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति द्वारा कविराय जी कहते हैं कि यदि नाव में ज्यादा पानी आ जाए या घर में धन बढ़ जाए तो हमें दोनों हाथों से उसे निकालकर परोपकारी कार्यों में लगाना चाहिए। यही बुद्धिमानी का काम है। अतः हमें सबका परोपकार करना चाहिए।

प्रश्न – 2 ‘पर-स्वारथ के काज, शीश आगे धर दीजै’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहना चाहते हैं कि अगर कभी जीवन में किसी का परोपकार करने के लिए हमें शीश का बलिदान भी देना पड़े तो हमें अवश्य शीश को अर्पित कर देना चाहिए। अर्थात् दूसरों के भले के लिए हमें प्रभु का नाम स्मरण करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे देना चाहिए।

प्रश्न – 3 उपर्युक्त कुंडलिया में ‘बड़ों की किस वाणी’ की चर्चा की गई हैं तथा क्यों? 

उत्तर – उपर्युक्त कुंडलियां में बड़े बुजुर्गों ने यह सीख दी है कि हमें हमेशा अच्छे ढंग से जीवन यापन करना चाहिए और सही मार्ग पर चलते हुए अपने सम्मान को बनाए रखना चाहिए। बड़े बुजुर्गों ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि सही मार्ग पर चलने से ही हम अपने सम्मान की रक्षा कर सकते हैं।

प्रश्न – 4 उपर्युक्त कुंडलिया का प्रतिपाद्य लिखिए। 

उत्तर – उपर्युक्त कुंडलिया का प्रतिपाद्य यह है कि जब नाव में अधिक पानी भर जाए या घर में अधिक धन हो जाए तो हमें उसका प्रयोग खुशी से दूसरे के भले के लिए परोपकारी कार्यों में करना चाहिए।


7. राजा के दरबार में  ____________________  बहुरि अनखैहैं राजा।। 

प्रश्न – 1 राजा के दरबार में कब जाना चाहिए,  कहाँ नहीं बैठना चाहिए और क्यों? 

उत्तर – व्यवहार कुशलता के विषय में बताते हुए कविराय जी ने बताया है कि हमें अवसर पाकर ही राजा के दरबार में जाना चाहिए और अपने स्तर के अनुसार ही स्थान ग्रहण करना चाहिए। हमें ऐसे स्थान पर नहीं बैठना चाहिए जो हमारे स्तर के अनुसार नए हो क्योंकि ऐसे स्थान पर बैठने से हमें कोई भी वहाँ से उठा सकता है।

प्रश्न – 2 कवि ने दरबार में कब बोलने और कब न बोलने की सलाह दी है? 

उत्तर – गिरिधर कविराय जी ने यह सलाह दी है कि राजा के दरबार में जब कुछ बोलने को कहा जाए तभी राजा के समक्ष अपने विचार प्रस्तुत करने चाहिए। बोलते समय संयम बरतना चाहिए तथा अधिक उतावला नहीं होना चाहिए। जब तक बोलने के लिए कुछ कहा न जाए तब तक चुप ही रहना चाहिए। यही व्यवहार की कुशलता है।

प्रश्न – 3 ‘हँसिये नहीं हहाय, बात पूछे ते कहिए’ – पंक्ति द्वारा कवि क्या स्पष्ट करना चाहते हैं? 

उत्तर – प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से गिरिधर कविराय जी कहना चाहते हैं कि राजा के दरबार में ज़ोर–ज़ोर से नहीं हँसना चाहिए। बोलने के लिए उतावला नहीं होना चाहिए और जब कुछ पूछा जाए तभी बोलना चाहिए।

प्रश्न – 4 उपर्युक्त कुंडलिया से क्या शिक्षा मिलती है? 

उत्तर – उपर्युक्त कुंडली से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी भी प्रकार की सभा में अपने स्तर के अनुकूल स्थान ग्रहण करना चाहिए, सभा में कभी भी ज़ोर-ज़ोर से नहीं हँसना चाहिए, बोलने के लिए उतावला नहीं होना चाहिए और जब बोलने के लिए कहा जाए तभी बोलना चाहिए। 

Monday, 5 May 2025

Class 8 संस्कृत CH 2 Pratham kuuph

सरोवर के चारों ओर एक छोटा-सा राज्य था। एक बार गर्मियों में भयंकर गर्मी पड़ी और वर्षा नहीं हुई। सरोवर सूख गया। लोग चिंतित हो गए। वे सभी राजा के पास गए।

किसानों और मछुआरों ने कहा, "लंबे समय से वर्षा नहीं हुई। हमारे खेत सूख गए हैं। सरोवर में मछली पकड़ने के लिए मछलियाँ नहीं हैं। हम अपनी आजीविका कैसे चलाएँगे? हे राजन, हमारी रक्षा करें।

जल की खोज के लिए राजा ने चारों दिशाओं में चार कुशल सेनापतियों को भेजा। उन्होंने दिन-रात जल की खोज की। उनमें से तीन सेनापति खाली हाथ नगर लौट आए।जो सेनापति उत्तर दिशा में गया, उसने सोचा, "मुझे किसी भी तरह जल की खोज करनी होगी। यह मेरा कर्तव्य है।" वह आगे बढ़ता गया। अंततः उसे पर्वत पर एक ठंडा गाँव मिला। जब वह पर्वत की घाटी में बैठा, तब एक वृद्धा वहाँ आई और उसके पास बैठ गई।


सेनापति ने कहा, "मैं एक सुंदर राज्य से आया हूँ, जहाँ पूरे वर्ष वर्षा नहीं हुई। क्या तुम जल खोजने में मेरी सहायता करोगी?"वह महिला सेनापति का अनुसरण करने को तैयार हो गई और उसे एक पर्वत गुफा में ले गई। उसने गुफा में हिमशंकु दिखाते हुए कहा, "यह हिम है। इसे ले लो। तुम्हारा देश कभी प्यासा नहीं रहेगा।"सेनापति ने एक बड़ा हिमखंड तोड़ा और उसे अपने रथ में रखा। वह तेजी से घर की ओर लौटा। जब तक वह नगर पहुँचा, तब तक वह विशाल हिमशंकु छोटा हो गया था।

सभी आश्चर्य से उस हिमखंड को देख रहे थे। "यह जल-बीज हो सकता है," एक मंत्री ने अचानक कहा।राजा ने जल-बीज को शीघ्र बोने का आदेश दिया। जब किसानों ने गड्ढा खोदा, तो हिमखंड और अधिक पिघल गया।उन्होंने जल्दी से उस बीज को गड्ढे में रखा, लेकिन उसे ढकने से पहले ही वह बीज अदृश्य हो गया। उन्होंने उस गड्ढे को और गहरा, रात तक खोदा और उस विचित्र बीज की खोज की।सेनापति ने कहा, "मैं एक सुंदर राज्य से आया हूँ, जहाँ पूरे वर्ष वर्षा नहीं हुई। क्या तुम जल खोजने में मेरी सहायता करोगी?"वह महिला सेनापति का अनुसरण करने को तैयार हो गई और उसे एक पर्वत गुफा में ले गई। उसने गुफा में हिमशंकु दिखाते हुए कहा, "यह हिम है। इसे ले लो। तुम्हारा देश कभी प्यासा नहीं रहेगा।"सेनापति ने एक बड़ा हिमखंड तोड़ा और उसे अपनी रथ में रखा। वह तेजी से घर की ओर लौटा। जब तक वह नगर पहुँचा, तब तक वह विशाल हिमशंकु छोटा हो गया था।
सुबह राजा ने गड्ढे में देखा। चकित होकर उसने जोर से कहा, "जागो, मेरी प्रजा! जल-बीज अंकुरित हो गया है। गड्ढे में जल है।" इस प्रकार पहला कुआँ बनाया गया।

Monday, 28 April 2025

Class 8 Sanskrit Chapter 5 : विश्वमनवा :

लंका विजय के पश्चात् राम ने कहा, "जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर हैं।"
धन्य हैं वे विश्व-मानव भारतीय, जिन्होंने संपूर्ण विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया।
उनमें से कुछ प्रमुख हैं सत्य नडेला, शिवनादर, और सुंदर पिचाई।

सत्य नडेला
1967 में हैदराबाद नगर में सत्य का जन्म हुआ। उन्होंने मनीपाल विश्वविद्यालय से अभियांत्रिकी शिक्षा प्राप्त की। 1992 में उन्होंने माइक्रोसॉफ्ट संस्थान में कार्य शुरू किया। उन्होंने विश्वास और श्रद्धा के साथ अपना कार्य किया। फलस्वरूप, 2014 में वे माइक्रोसॉफ्ट संस्थान के तीसरे मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) बने। बचपन से ही उन्हें क्रिकेट और संगीत में रुचि थी।अंग्रेजी और हिंदी भाषा में काव्य निर्माण में कुशल सत्य नडेला ने विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया।

शिव सुब्रमण्य नदर
शिव का जन्म 1945 में तमिलनाडु राज्य में हुआ। उन्होंने अभियांत्रिकी शिक्षा में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। 1976 में, जब भारत में केवल 250 संगणक (कंप्यूटर) थे, तब उन्होंने अपने छह मित्रों के साथ मिलकर 'एच.सी.एल.' नामक संगणक निर्माण की संस्था की स्थापना की। इसके बाद, 1989 में उन्होंने अमेरिका में भी एच.सी.एल. संस्था की शाखाएँ शुरू कीं। इसके अतिरिक्त, भारत में उन्होंने 'शिव नदर' नाम से विद्यालयों और महाविद्यालयों की स्थापना की। वे 'सूचना प्रौद्योगिकी के जनक' के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। सॉफ्टवेयर निर्माण में प्रगति करके अब पद्मभूषण शिव नदर पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो गए हैं।

सुंदर पिचाई
सुंदर का जन्म 1972 में मदुरै नगर में हुआ। उन्होंने खड़गपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आई.आई.टी.) में अभियांत्रिकी पढ़ाई की। बचपन से ही उनकी स्मरणशक्ति अत्यंत उत्कृष्ट थी। वे अपने विश्वविद्यालय की क्रिकेट टीम के कप्तान थे। फुटबॉल और शतरंज (चेस) में भी उनकी रुचि है। 2004 में उन्होंने गूगल संस्थान में कार्य शुरू किया। अपने सर्जनात्मक चिंतन से वे एंड्रॉइड के प्रमुख बने। गूगल गियर्स, गूगल क्रोम, गूगल ड्राइव, गूगल मैप, जीमेल इत्यादि के मुख्य चिंतन उनके ही थे। अंततः, विनम्रता, परिश्रम और विश्वास जैसे गुणों के साथ, 2015 में वे गूगल संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सी.ई.ओ.) बने।

हम विश्व में कहीं भी अपने विकास के लिए कार्य करें, परंतु इसके साथ ही भारत के विकास के लिए भी चिंतन करें। छात्र भी देश के प्रति स्नेह केवल 15 अगस्त या 26 जनवरी को ही न दिखाएँ, बल्कि संगठन भावना और परिश्रम के साथ भारत के विकास के लिए कार्य करें।

Nav Sanskrit Class 8 Ch 1 Explanation

संस्कृत कक्षा 8 पाठ - 1
हिंदी अनुवाद

(आठवीं कक्षा। उत्सव का वातावरण। कक्षा के एक कोने में भगवान श्रीगणेश की भव्य सुसज्जित मूर्ति है। छात्र एकत्रित होकर प्रार्थना करते हैं।) वक्रतुण्ड! महाकाय! सूर्यकोटिसमप्रभ! निर्विघ्नं कुरु मे देव! सर्वकार्येषु सर्वदा।।(प्रार्थना के बाद प्रसन्न छात्र आपस में बातचीत करते हैं। तभी आचार्य कक्षा में प्रवेश करते हैं।)

सभी छात्र:(खड़े होकर हाथ जोड़कर) – नमस्ते आचार्य! आपको गणेशोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ।

आचार्य: शुभ हो। धन्यवाद! गणेशोत्सव की आप सभी को बधाइयाँ। कृपया बैठ जाएँ।

सभी छात्र: धन्यवाद, आचार्य।

गोपाल: (कक्षा का छात्रप्रमुख) आचार्य, आज से इस उत्सव का आरंभ होगा। अतः हम इस विषय में कुछ विशेष जानना चाहते हैं।

आचार्य: ठीक है। सबसे पहले कोई यह बताए कि आज कौन सी तिथि है?

जया: हाँ, आचार्य। मैं जानती हूँ। आज भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि है।

आचार्य: बहुत अच्छे। शिवपुराण की कथा के अनुसार, इसी तिथि को भगवान श्रीगणेश का आविर्भाव हुआ था। इसलिए हम उनके जन्मदिवस को गणेश चतुर्थी के रूप में श्रद्धा के साथ मनाते हैं।

गिरिजा : महोदय! तो फिर वह कथा सुनाइए।

आचार्य: (हल्के से हँसते हुए) – ठीक है। ध्यान और शांति के साथ सुनो। पुराने समय में एक समस्या के समाधान के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की। उस समय श्रीगणेश अपने बड़े भाई कार्तिकेय के साथ वहाँ बैठे थे। देवताओं के कष्ट को दूर करने के लिए भगवान शिव ने दोनों महावीरों, गणेश और कार्तिकेय, से पूछा, “तुम दोनों में से कौन देवताओं के कष्ट को शीघ्र दूर करने में सक्षम है?” दोनों ने ही उत्साहपूर्वक कहा, ‘मैं सक्षम हूँ।‘ भगवान शिव ने कहा, “तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करेगा, वही इस कार्य के लिए नियुक्त होगा। “यह सुनकर कार्तिकेय ने तुरंत अपने वाहन मयूर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए प्रस्थान किया। अब बाल गणेश ने सोचा, ‘मैं अपने वाहन मूषक के साथ इतने कम समय में पृथ्वी की परिक्रमा कैसे करूँगा?’
कुछ सोचकर गणेश ने तुरंत अपने माता-पिता, शिव और पार्वती, की सात बार प्रदक्षिणा की और उन्हें प्रणाम किया।कुछ समय बाद, पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटे कार्तिकेय ने पूछा, “गणेश ने परिक्रमा क्यों नहीं की?” श्रीगणेश ने कहा, “माता और पिता के चरणों में ही समस्त लोक समाहित हैं। इसलिए मैंने केवल उनकी ही परिक्रमा की।“गणेश के इस बुद्धिमत्तापूर्ण उत्तर को सुनकर भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने गणेश को देवताओं के संकट निवारण के लिए नियुक्त किया।

सभी छात्र: (प्रसन्न मुद्रा में) आचार्य, इस कथा से हमारी जिज्ञासा शांत हुई और ज्ञानवर्धन भी हुआ। इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।

आरिफ: आचार्य, मेरे मन में एक प्रश्न है कि श्रीगणेश का रूप इतना भिन्न क्यों है? जैसे मूषक जैसा छोटा वाहन, लंबा पेट, छोटी आँखें, बड़े कान इत्यादि।

आचार्य: वत्स, यह सब प्रतीकात्मक है। इससे हमें जीवन के लिए सकारात्मक संदेश मिलते हैं। जैसे- उनका स्थूल शरीर यह बताता है कि धीरे-धीरे चलो, लेकिन अपने लक्ष्य को कभी न भूलो। उनकी थोड़ी टेढ़ी सूंड यह दर्शाती है कि ‘सफलता का मार्ग आसान नहीं होता।‘ बड़े कान यह कहते हैं कि हमें सब कुछ सुनना चाहिए। छोटी आँखें सूक्ष्म दृष्टि की सूचक हैं। अतः जीवन में मनुष्य हमेशा सकारात्मक रहे, यही भगवान श्रीगणेश का जीवन संदेश है।(तभी घंटी बजती है।)

सभी छात्र: (खड़े होकर हाथ जोड़ते हुए) धन्यवाद, आचार्य। हम जीवन में इन संदेशों को कभी नहीं भूलेंगे। श्रीगणेश की तरह विघ्नों और कष्टों को अनदेखा कर प्रगति के पथ पर चलेंगे। (उच्च स्वर में) ॐ श्रीगणेशाय नमः।
आचार्य: तुम्हारे मार्ग शुभ हों।

Class 8 Sanskrit Chapter 6 एकम दिनम यापय गुजराते v

गुजरात, भारत के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित एक राज्य है, जो विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसकी राजधानी गांधीनगर है। इस राज्य की प्रमुख भाषा गुजरात...